ईडी कोर्ट ने सौरभ शर्मा की जमानत याचिका खारिज की: वकील ने कोर्ट में रखा तर्क; कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं, जमानत मिलनी चाहिए – Bhopal News h3>
आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की जमानत याचिका पर बुधवार को ईडी कोर्ट में सुनवाई हुई। सौरभ के वकील ने जमानत देने कोर्ट में तर्क रखा कि, उनके मुवक्किल की कोई आपराधिक पृष्ठभूिम नहीं है। उनके पास से कोई जब्ती नहीं हुई। सोने और कैश से भरी कार से उनका क
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हालांकि सरकारी वकील ने एडवोकेट के तर्कों का कटाक्ष करते हुए जमानत का विरोध किया। वहीं कोर्ट ने फैसला रिजर्व रख लिया था। गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमानत को निरस्त कर दिया।
आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौड़ को ईडी ने सोमवार को कोर्ट में पेश किया था। दोपहर 1:22 बजे तीनों को पेश किया गया। 1.57 बजे तीनों को जेल के लिए रवाना कर दिया गया। ईडी की कस्टडी से लौटने के बाद तीनों को ब खंड स्थित बिल्डिंग सेंटर में बने तीन अलग-अलग खास बैरक में रखा गया। यहीं उन्हें पहले रखा गया था, इस बैरक के आस पास गमलों के निर्माण का काम किया जाता है।
तीनों को आम कैदियों से अलग रखा गया
इस बैरक में आम कैदियों को जाने की इजाजत नहीं है। तीनों को खास निगरानी में रखा गया है। तीनों के बैरक में केवल वही कैदी हैं, जो जेल प्रशासन के लिए खुफिया सूचना देने का काम करते हैं। यह कैदी तीनों की हर गतिविधि की निगरानी कर रहे हैं।
ईडी ने सोमवार को तीनों को कोर्ट में पेश किया था।
निगरानी में निकाला जाता है बैरक से बाहर
तीनों को जेल में इस तरह से रखा गया है कि, आपस में बातचीत न कर सकें। महज 45 मिनट के लिए दोपहर के समय से तीनों को बैरक से बाहर निकलने की इजाजत होती है। इस दौरान उनकी निगरानी के लिए दो प्रहरी और जेल के विश्वसनीय कैदी रहते हैं।
तीनों के बैरक में आक्रामक किस्म का कोई कैदी नहीं रखा गया है। जेल के अंदर भी उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हालांकि जेल में तीनों ही अन्य कैदियों से बात करने से बचते हैं। अधिकांश समय बैरक में लेटे और बैठे हुए बिता रहे हैं।
जेल में यह मिली थी तीनों को पहचान
सौरभ को जेल में विचाराधीन बंदी नंबर 5882, शरद को 5881 और चेतन को 5880 रूप में पहचाना जाता है। सूत्रों की मानें तो तीनों की सुरक्षा को देखते हुए इन बैरक में मौजूद कुख्यात बंदियों को शिफ्ट किया गया था।