कानपुर में उद्यमियों की मांग बड़ा राहत पैकेज मिले: यूपी के बजट से आस लगाए बैठे उद्यमी; इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में डेवलपमेंट बड़ा मुद्दा – Kanpur News h3>
औद्योगिक क्षेत्र के विकास उद्यमियों की प्रमुख मांगों में से एक हैं।
कल पेश होने वाले यूपी के बजट को लेकर कानपुर के उद्यमी आस लगाए हुए हैं। शहर के औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष पैकेज की जरूरत है, ताकि इन क्षेत्रों की टूटी सड़कों, कचरा भरे नाला-नालियों को ठीक किया जा सके और विद्युत कनेक्शन व मार्ग प्रकाश व्य
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मित्र पोर्टल को सरल बनाया जाए प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज बंका ने बताया कि युवा अपना उद्योग लगाने की जगह नौकरी की ओर ज्यादा बढ़ रहे हैं। युवाओं को नया उद्योग लगाने के लिए ग्रीन कारिडोर देने की जरूरत है ताकि निवेश मित्र पोर्टल पर पंजीयन करते ही 24 घंटे में सभी अनापत्ति प्रमाणपत्र मिल जाएं।
पनकी औद्योगिक क्षेत्र में बदहाल पड़ी सड़कें।
औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया जाए फैसिलिटेशन फॉर इंडस्ट्रीज एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन (फीटा) के महामंत्री उमंग अग्रवाल ने बताया कि कानपुर में दादानगर, पनकी, फजलगंज, रूमा और चौबेपुर में औद्योगिक क्षेत्र हैं।
इसके अलावा निजी स्तर पर बनाया गया बजरंगबली औद्योगिक क्षेत्र भी है। इन सभी क्षेत्रों में सड़कों की दुर्दशा है। उद्यमी जिन लोगों से कारोबार करते हैं, उन्हें चाहते हुए भी अपनी फैक्ट्री तक नहीं लाते कि कहीं उसका खराब प्रभाव न पड़े।
क्षेत्रों का विकास बड़ा मुद्दा
टूटी-फूटी सड़कों पर धूल की पर्त जमा हैं। महीनों से वहां सफाई तक नहीं हुई है। जगह-जगह कूड़े के ढेर तो लगे ही हैं। इसके अलावा नाले-नालियों की सफाई तो इससे ही दिख जाती है कि उनमें भरे पानी पर काई जम चुकी है जो बता रही है कि लंबे समय से उस पानी को साफ करने का प्रयास ही नहीं हुआ।
उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी की मांग उमंग अग्रवाल ने आगे कहा कि कानपुर में इंडस्ट्री को बड़े राहत पैकेज की जरूरत है। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में फायर स्टेशन बनाए जाएं। साथ ही साथ नए उद्योगों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर सब्सिडी की मांग करते हैं। तभी कानपुर में नए उद्योग स्थापित हो सकेंगे। कानपुर में पुराने उद्योगों को पुर्नस्थापित किया जाए।
शहर में सवा लाख छोटी इकाईयां शहर में सवा लाख एमएसएमई इकाईयां हैं। उद्यमियों के मुताबिक इसके लिए नए प्रविधान बनाए जाएं। नए उद्योग लगाने के लिए 10 एकड़ के लैंड बेस की बात को एक एकड़ किया जाए।
इसके साथ ही तीन या चार जिलों के बीच में एक नोटिफाइड एरिया बनाया जाए। इससे पूरे प्रदेश में समान रूप से उद्योग विकसित हो सकेंगे।