‘वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन’: मदनी बोले-वक्फ संपत्तियां अल्लाह के लिए दी गई, सरकार को दखल देने हक नहीं – Saharanpur News h3>
जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की फाइल फोटो।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक दिल्ली स्थित मुख्यालय में हुई। बैठक की अध्यक्षता मौलाना अरशद मदनी ने की, जिसमें वक्फ संशोधन विधेयक के अलावा देश में बढ़ती सांप्रदायिकता, मुसलमानों के साथ भेदभाव, समान नागरिक संहिता, मस्जिदों एवं इबादतग
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उन्होंने कहा-वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। जमीयत कानून के दायरे में रहकर इस विधेयक के खिलाफ अपना विरोध जारी रखेगा और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाएगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार को तानाशाही से ही कानून पास करने हैं तो लोकतंत्र का दिखावा क्यों?
“सरकार की मंशा वक्फ संपत्तियों को हड़पने की” मौलाना अरशद मदनी ने कहा-केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों की प्रकृति बदलना चाहती है ताकि उन्हें आसानी से अपने नियंत्रण में लिया जा सके। उन्होंने कहा, “पहले धारा-3 के तहत वक्फ बोर्ड ये तय करता था कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, लेकिन अब ये अधिकार कलेक्टर को दे दिया गया है। संशोधन के तहत अब कलेक्टर से लेकर अन्य सरकारी अधिकारी तय करेंगे कि कोई संपत्ति सरकारी है या वक्फ की। जब तक जांच पूरी नहीं होती, संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी।”
मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि ये विधेयक बेहद चालाकी से तैयार किया गया है ताकि वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लाया जा सके। उन्होंने कहा, “मस्जिद, मदरसे, कब्रिस्तान और खानकाह जैसी संपत्तियों को तो वक्फ माना जाएगा, लेकिन जिन संपत्तियों पर विवाद है या मुकदमे चल रहे हैं, उन्हें वक्फ की श्रेणी से बाहर कर दिया जाएगा। ये मुसलमानों के हक को छीनने की एक गहरी साजिश है।”
“संशोधन अलोकतांत्रिक, संसद में रोकना जरूरी” मदनी ने कहा-इस बिल को पास करने की सिफारिश करना अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार को तानाशाही से ही कानून पास करने हैं तो लोकतंत्र का दिखावा क्यों? संसद में मुसलमानों की राय नहीं सुनी गई और विपक्ष के सुझावों को भी खारिज कर दिया गया। धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने भी चुप्पी साध रखी है, जिससे उनकी कमजोरी उजागर होती है।”
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ये विधेयक कानून बनता है, तो जमीयत उलमा-ए-हिंद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। साथ ही, मुसलमानों और न्यायप्रिय नागरिकों के साथ मिलकर लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से विरोध जारी रखा जाएगा।
“धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं” मौलाना मदनी ने सरकार पर धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए कहा कि “सरकार पहले भी तीन तलाक और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर जबरन दखल दे चुकी है। वक्फ संपत्तियां अल्लाह के लिए दी गई हैं, सरकार को इसमें दखल देने का कोई हक नहीं है।”
उन्होंने कहा-मुसलमान अपने धार्मिक मामलों और इबादत के तौर-तरीकों में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे। “हमने 1300 साल से इस देश में अपने धर्म का पालन किया है और आगे भी करते रहेंगे।”