निर्मला और भीम सिंह को पद्मश्री सम्मान: एक ने मुसहर समुदाय का किया उत्थान, दूसरे ने पारंपरिक कढ़ाई को दिलाई विश्वस्तरीय पहचान – Muzaffarpur News

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निर्मला और भीम सिंह को पद्मश्री सम्मान:  एक ने मुसहर समुदाय का किया उत्थान, दूसरे ने पारंपरिक कढ़ाई को दिलाई विश्वस्तरीय पहचान – Muzaffarpur News

निर्मला और भीम सिंह को पद्मश्री सम्मान: एक ने मुसहर समुदाय का किया उत्थान, दूसरे ने पारंपरिक कढ़ाई को दिलाई विश्वस्तरीय पहचान – Muzaffarpur News

बिहार के दो लोगों को पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान भारत सरकार ने किया है। एक भोजपुर के वरिष्ठ पत्रकार सह समाजसेवी भीम सिंह भवेश हैं और दूसरी मुजफ्फरपुर की निर्मला देवी हैं। भवेश ने अपनी संस्था ‘नई आशा’ से मुसहर समुदाय के उत्थान के लिए बेहतर काम किए। भ

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वहीं, निर्मला को ये सम्मान पारंपरिक सुजनी कढ़ाई के लिए दिया जा रहा है। उन्होंने ये कला अपनी मां से सिखी थी। ये ऐलान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के नाम संदेश के दौरान की है।

जानें भीम सिंह भवेश कौन हैं?

बच्चों को नामांकन कराया, लाइब्रेरी भी खोली

भीम सिंह ने करीब 8000 से ज्यादा मुसहर समुदाय के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन करवाया और उन लोगों के लिए एक लाइब्रेरी भी खोली। भीम सिंह बच्चों को डॉक्यूमेंट और फॉर्म भरवाने में मदद करते हैं। भोजपुर और बक्सर जिले में इन्होंने 100 से ज्यादा मेडिकल कैंप लगाए और कोरोना काल में भी लोगों की काफी मदद की।

2024 में पटना में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी भीम सिंह भवेश को सम्मानित किया था।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की पद्मश्री की घोषणा।

‘मन की बात’ के 110वें एपिसोड में खूब हुई सराहना

‘मन की बात’ के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिन-जिन गणमान्य व्यक्तियों का उल्लेख किया है, उन्हें 26 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया है। इस दौरान कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली में राष्ट्रीय महत्व के विशेष स्थानों का दौरा भी प्रस्तावित है।

बता दें कि मोदी ने ‘मन की बात’ के 110वें एपिसोड में भोजपुर निवासी समाजसेवी और पत्रकार भीम सिंह भवेश की विशेष चर्चा की थी। उन्होंने मुसहर समुदाय के उत्थान में डॉ. भवेश के प्रयासों की खूब सराहना की थी। कहा था कि बिहार के भोजपुर में भीम सिंह भवेश ने अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगों के लिए बहुत काम किया है।

मां आरण्य देवी मंदिर ट्रस्ट के हैं मुख्य संरक्षक हैं भवेश।

5 वर्षों में 4 पुस्तकें लिखी

समाजसेवी सह पत्रकार डॉ. भीम सिंह ‘भवेश ‘कलम के धनी व्यक्ति हैं। उन्होंने हाल के 5 वर्षों में 4 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘सानिध्य का संस्मरण’, ‘हाशिए पर हसरत’, ‘कलकत्ता से कोलकाता’ और ‘नेम प्लेट’ शामिल हैं। वर्तमान में आरा शहर की अधिष्ठात्री मां आरण्य देवी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ कराने का श्रेय भी भवेश का है। वे मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट के मुख्य संरक्षक भी है।

22 साल से मुसहर जाति के बच्चों को पढ़ा रहें।

दो दशक से मुसहर समाज के उत्थान में लगे हैं भवेश

आरा शहर के मदन जी हाता और मूल रूप से आरा सदर प्रखंड के लक्षणपुर निवासी समाजसेवी सह पत्रकार भीम सिंह भवेश ने शुरुआती दौर से ही मेहनत की। उन्होंने एमए और एलएलबी किया। इसके बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

7 भाइयों में मंझले भवेश 1992 से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं. इसके बाद समाजसेवा से जुड गए। वे ‘नई आशा’ नामक संस्था से जुड़े। इस दौरान उन्होंने मुसहर समाज के लोगों के उत्थान के लिए कार्य किया। वे विगत 2 दशक से मुसहर समाज के लोगों के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं।

निर्मला देवी को मिठाई खिलाते परिजन।

जानें कौन हैं निर्मला देवी?

1000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया

गायघाट थाना क्षेत्र के भुसरा गांव की निर्मला देवी को न सिर्फ सुजनी कलाकृति को जीवित रखा, बल्कि इसे देश भर के शहरी बाजारों और विश्व स्तर पर लोकप्रिय भी बनाया है। निर्मला ने सुजनी कढ़ाई में 15 से अधिक गांवों की 1000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है। साथ ही आजीविका के लिए सक्षम बनाया है। मुजफ्फरपुर की सुजनी कढ़ाई को जीआई टैग भी मिला है। निर्मला सुजनी कला की एंबेसडर भी हैं।

सुजनी कढ़ाई का इस्तेमाल रजाई या बिस्तर के बिछावन के रूप में किया जाता है। सुजनी कढ़ाई का इस्तेमाल साड़ियों, शॉल, कुर्ता, और कुशन पर भी किया जाता है।

अपने पूरे परिवार के साथ निर्मला देवी।

बेटी-दामाद ने दी मुझे खुशखबरी

निर्मला देवी ने कहा कि काफी खुशी हो रही है कि मुझे पद्मश्री सम्मान के लिए चुना गया है। इसमें सभी लोगों का काफी सहयोग है। परिवार के लोग खुश हैं। गांव के लोग बधाई दे रहे हैं। सुजनी कढ़ाई 39 साल से कर रही हूं। मेरा जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ था। मुझे सम्मान के लिए अप्रैल या मई में बुलाया जाएगा।

मेरी एक बेटी है। बेटी-दामाद ने टीवी पर न्यूज देखी थी। उनलोगों ने वीडियो कॉल कर मुझे इसकी जानकारी दी। सभी लोग काफी खुश हैं। इस कला को मैंने अपनी मां से सीखा है।

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