MP के मंडला-जबलपुर में डामर घोटाला: 37 करोड़ के फर्जी बिल; EOW की जांच में खुलासा, पांच ठेकेदारों पर FIR दर्ज – Jabalpur News h3>
मध्यप्रदेश में सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले डामर (बिटुमिन) के फर्जी बिल लगाकर करोड़ों रुपए की हेराफेरी का मामला सामने आया है। जबलपुर, मंडला और अन्य जिलों में ठेकेदारों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए शासन से करोड़ों रुपए का अवैध भुगतान लिया।
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शिकायत के बाद जांच शुरू
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में शिकायत के आधार पर जांच की गई। शिकायत में आरोप था कि महाकौशल क्षेत्र के विभिन्न जिलों में सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदारों ने डामर के फर्जी बिल प्रस्तुत कर करोड़ों रुपए का भुगतान लिया। डीएसपी ए.व्ही. सिंह द्वारा की गई जांच में पाया गया कि ठेकेदारों ने फर्जी बिलों का उपयोग कर मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण से भारी धनराशि वसूल की।
जांच के दौरान क्या मिला?
जांच में पता चला कि ठेकेदारों ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, एचपीसीएल, बीपीसीएल, एस्सार और नायरा जैसी बड़ी कंपनियों के नाम से नकली इनवॉइस बनाए। इनकी सत्यता जांचने पर स्पष्ट हुआ कि ये कंपनियों द्वारा जारी नहीं किए गए थे, बल्कि कूटरचित (फर्जी) थे।
इन ठेकेदारों पर हुई कार्रवाई
- मेसर्स ए.डी. कंस्ट्रक्शन (अनिल दुबे): कुल 36.31 लाख रुपए के 7 फर्जी बिल।जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण से भुगतान लिया।
- मेसर्स विश्वकुसुम इन्फ्राटेक (अखिलेश मेहता): 12.07 करोड़ रुपए के 45 फर्जी बिल।जबलपुर से संबंधित 8 पैकेज के लिए फर्जी भुगतान।
- मेसर्स वैष्णव एसोसियेट (धर्मेंद्र प्रताप सिंह): 23.57 करोड़ रुपए के 42 फर्जी बिल।जबलपुर में 12 पैकेज के लिए भुगतान।
- मेसर्स लाल बहादुर यादव (लाल बहादुर यादव): 79.94 लाख रुपए के 6 फर्जी बिल।मंडला जिले में 2 पैकेज के लिए अवैध भुगतान।
- मेसर्स अब्दुल अजीज (अब्दुल अजीज): 21.99 लाख रुपए के 3 फर्जी बिल।मंडला में सड़क निर्माण के नाम पर गड़बड़ी।
37 करोड़ रुपए का घोटाला
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि इन पांच ठेकेदारों ने कुल मिलाकर 37 करोड़ रुपए की हेराफेरी की। ईओडब्ल्यू ने इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी), और 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
ईओडब्ल्यू ने इन सभी मामलों में विस्तृत जांच शुरू कर दी है। संबंधित जिलों के महाप्रबंधकों से भी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। शासन ने ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है।
ठेकेदारों ने सड़कों के निर्माण के लिए बिटुमिन की खरीदारी के फर्जी बिल लगाए। इनमें इंडियन ऑयल और अन्य प्रतिष्ठित कंपनियों के नाम से दस्तावेज बनाकर प्रस्तुत किए गए। विभाग ने बिना सत्यापन के भुगतान कर दिया। जांच में स्पष्ट हुआ कि ये बिल कंपनियों द्वारा जारी नहीं किए गए थे।
मामले में अभी और ठेकेदारों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। ईओडब्ल्यू अन्य जिलों में भी इस तरह की गड़बडिय़ों की जांच कर रहा है।