काशी में श्रद्धालुओं के छोड़े कपड़ों से बने 2-लाख झोले: अब… महाकुंभ में लोगों को किए जा रहे वितरित,ग्रीन आर्मी की 40 महिलाएं कर रहीं तैयार – Varanasi News

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काशी में श्रद्धालुओं के छोड़े कपड़ों से बने 2-लाख झोले:  अब… महाकुंभ में लोगों को किए जा रहे वितरित,ग्रीन आर्मी की 40 महिलाएं कर रहीं तैयार – Varanasi News

काशी में श्रद्धालुओं के छोड़े कपड़ों से बने 2-लाख झोले: अब… महाकुंभ में लोगों को किए जा रहे वितरित,ग्रीन आर्मी की 40 महिलाएं कर रहीं तैयार – Varanasi News

प्रयागराज महाकुंभ को प्लास्टिक मुक्त बनाने में वाराणसी की 40 महिलाओं का अहम योगदान है। दरअसल,यह महिलाएं वाराणसी के गंगा घाट पर आने वाले पर्यटकों के उतारे खराब कपड़ों को एकत्र करके उसे अच्छे से धुलाई के लिए भेजते है। और फिर उसका खूबसूरत झोला तैयार करत

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यह महिलाएं किस तरह से कपड़ों को एकत्र करती है? कैसे इसे तैयार किया जाता है? और लोगों तक इसे कैसे पहुंचाया जाता है? इस बारे में हमने पड़ताल की पेश है एक रिपोर्ट..

वाराणसी में प्रतिदिन इन दोनों करीब 30 से 40 हजार पर्यटक गंगा में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। कोई विशेष पर्व रहता है तो यह संख्या 1 लाख से 5 लाख तक पहुंच जाती है। इस दौरान गंगा में स्नान करने वाले पर्यटक अपने वस्त्र गंगा तट के किनारे छोड़ देते हैं। ऐसे में यह कपड़े ऐसे ही इधर-उधर फेक दिए जाते हैं लेकिन अब इन कपड़ों का उपयोग झोला बनाने के लिए हो रहा है। इसको लेकर होप फाउंडेशन की टीम गंगा से इन कपड़ो को कलेक्ट करती है और ग्रीन आर्मी की महिलाओं तक पहुंचती है

पहले देखें तस्वीर…

संस्था के युवाओं द्वारा गंगा घाट से सप्ताह में दो दिन कपड़े उठाए जाते हैं।

40 महिलाएं तैयार कर रही झोला।

झोला बनाने के लिए महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण।

टीम की 5 महिलाओं से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी मुलाकात कर पूरे काम को समझा।

सवाल -1 : कैसे झोला बनाने के लिए तैयार होता है कपड़ा ?

दिव्यांशु ने बताया कि सबसे पहले हम लोगों की टीम गंगा किनारे जाती है। सप्ताह में दो दिन हम लोग वहां से खराब कपड़ों को एकत्र करते हैं उसके बाद उन कपड़ों को धुलाई के लिए भेजा जाता है करीब तीन से चार दिन में यह कपड़े अच्छी तरह से धुल कर हमारे पास आते हैं उसके बाद हम ग्रीन आर्मी की 40 महिलाओं तक यह कपड़े पहुंचते है। इससे महिलाएं सशक्त होती है और उन्हें रोजगार भी मिलता है इन कपड़ों से हम झोला तैयार कराते हैं। इससे फायदा या हो रहा है कि लोगों को प्लास्टिक मुक्त शहर बनाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा इसके अलावा लोग इन महिलाओं का सराहना भी कर रहे हैं तमाम संस्थाएं और सरकारी विभाग भी हमारी मदद कर रहे हैं। महिलाओं को अभी झोला बनाने के लिए 7 हजार रूपए दिया जा रहा है।

अपने हाथों से तैयार किया गया झोला महिलाओं ने राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र को भी दिया।

सवाल-2 : महिलाएं कैसे तैयार कर रही झोला?

टीम में शामिल सुशीला ने बताया कि हम 40 महिलाओं द्वारा कपड़ा तैयार किया जा रहा है। हम लोग सुबह 10 बजे सेंटर पर पहुंचते हैं। उसके बाद सिलाई मशीन से झोला बनाना शुरू किया जाता है। इस समय 40 महिलाएं इसको बना रही हैं। एक दिन में 1000 झोला तैयार हो जाता है। इससे इन महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और सामाजिक जागरूकता के लिए वह एक बड़ी ब्रांड इन्वेस्टर बन जा रही है।

कुंभ में हर दुकानदारों तक पहुंचाया जा रहा झोला।

सवाल-2 काशी से कुंभ तक जाने की प्लानिंग?

दिव्यांशु ने बताया कि हम लोगों की टीम इस समय प्रयागराज महाकुंभ में है। वहां पर हम लोग 2 लाख‌ झोला वितरण कर चुके हैं । उन्होंने बताया कि भारत डिजास्टर रिलीफ फाउंडेशन 22 युवाओं की टीम के साथ विभिन्न सेक्टरों में घूम-घूमकर इन बैगों का वितरण कर रही है और लोगों को प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए प्रेरित कर रही है। अब तक, विभिन्न क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक कपड़े के बैग वितरित किए हैं। बैग वितरण के साथ-साथ लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे प्लास्टिक का बैग पूरी तरह से छोड़ दें और पर्यावरण को संरक्षित रखने में अपना योगदान दें।

पीएम मोदी ने भी बीते माह इन महिलाओं के काम को सराहा था।

आइए अब जानते हैं कौन हैं झोला तैयार करने वाली ग्रीन आर्मी

2017 में बीएचयू के कुछ छात्रों ने होप वेलफेयर ट्रस्ट नाम से एक एनजीओ बनाकर ऐसी महिलाओं को एकजुट करना शुरू किया जिनके पति या घरवाले नशे की चपेट में हैं और वो जुए में अपने घर और मेहनत का पैसा बर्बाद कर रहे हों। इसकी शुरुआत वाराणसी के खुशियारी गांव से हुई थी। सबसे पहले खुशियारी गांव में ही 25 महिलाओं वाली ग्रीन आर्मी बनी।

ग्रीन आर्मी की महिलाएं वाराणसी के चेतसिंह घाट पर।

हरी साड़ी पहने जब ये महिलाएं शराब और जुए के अड्डों पर धावा बोलतीं तो शराबियों और जुआरियों का बचना मुश्किल हो जाता था। और आप यह महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही हैं। हाल ही वाराणसी से सांसद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के देवरा गांव की निर्मला देवी और उनकी ग्रीन आर्मी की सखियों को पत्र लिखकर नशे के खिलाफ उनके प्रयास की सराहना की है।

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