ग्रे मार्केट एक्टिविटी रोकना चाहती है SEBI: IPO शेयर के लिए प्री-लिस्टिंग ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाने पर विचार, चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने दी जानकारी h3>
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मुंबई49 मिनट पहले
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मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच।
स्टॉक मार्केट रेगुलेटर SEBI एक ऐसे प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने के बारे में विचार कर रही है, जहां शेयर की लिस्टिंग से पहले निवेशकों को कंपनियों के शेयर में ट्रेडिंग की इजाजत मिल सके। इसके जरिए रेगुलेटर इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO आने पर होने वाले ग्रे मार्केट एक्टिविटी को रोकना चाहता है।
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मुंबई में एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह जानकारी दी। बुच ने कहा – शेयरों के अलॉटमेंट होने से लेकर उसकी ट्रेडिंग शुरू होने के बीच बड़े पैमाने पर अनौपचारिक ट्रेडिंग होती है। अगर निवेशक ऐसा करना चाहते हैं, तो उन्हें रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर ही इस तरह का मौका क्यों नहीं दिया जाए।
लिस्टिंग से पहले शेयर्स की ट्रेडिंग की सुविधा मिल सकेगी
माधबी पुरी बुच का कहना है कि लिस्टिंग से पहले भले ही स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की ट्रेडिंग शुरू नहीं हुई है, लेकिन अगर शेयरों का अलॉटमेंट हो चुका है तो निवेशक उन शेयरों का हकदार होता है। अगर लिस्टिंग से पहले ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म शुरू होता है, तो निवेशकों को शेयर्स की ट्रेडिंग की सुविधा मिल सकेगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, IPO की लिस्टिंग से होने वाले प्रॉफिट से ग्रे-मार्केट एक्टीविटी काफी बढ़ी है। माधबी पुरी बुच ने कहा कि जब वे इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं, तो ग्रे मार्केट एक्टीविटी को ‘कर्ब ट्रेडिंग’ कहा जाता था।
ग्रे मार्केट क्या होता है?
ग्रे मार्केट IPO में डील करने का अनाधिकारिक प्लेटफॉर्म है। ये गैर-कानूनी होने के बावजूद काफी पॉपुलर है। हालांकि, इसमें चुनिंदा लोग ही ट्रेडिंग करते हैं। इसमें आपसी भरोसे के साथ फोन पर ट्रेडिंग होती है। इसके लिए ऑपरेट करने वाले का पर्सनल कॉन्टैक्ट होना जरूरी है। ग्रे मार्केट में डील पूरा होने की गारंटी नहीं होती।
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।
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स्टॉक मार्केट रेगुलेटर SEBI एक ऐसे प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने के बारे में विचार कर रही है, जहां शेयर की लिस्टिंग से पहले निवेशकों को कंपनियों के शेयर में ट्रेडिंग की इजाजत मिल सके। इसके जरिए रेगुलेटर इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO आने पर होने वाले ग्रे मार्केट एक्टिविटी को रोकना चाहता है।
SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मुंबई में एसोसिएशन ऑफ इन्वेस्टमेंट बैंकर्स ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह जानकारी दी। बुच ने कहा – शेयरों के अलॉटमेंट होने से लेकर उसकी ट्रेडिंग शुरू होने के बीच बड़े पैमाने पर अनौपचारिक ट्रेडिंग होती है। अगर निवेशक ऐसा करना चाहते हैं, तो उन्हें रेगुलेटेड प्लेटफॉर्म पर ही इस तरह का मौका क्यों नहीं दिया जाए।
लिस्टिंग से पहले शेयर्स की ट्रेडिंग की सुविधा मिल सकेगी
माधबी पुरी बुच का कहना है कि लिस्टिंग से पहले भले ही स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की ट्रेडिंग शुरू नहीं हुई है, लेकिन अगर शेयरों का अलॉटमेंट हो चुका है तो निवेशक उन शेयरों का हकदार होता है। अगर लिस्टिंग से पहले ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म शुरू होता है, तो निवेशकों को शेयर्स की ट्रेडिंग की सुविधा मिल सकेगी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, IPO की लिस्टिंग से होने वाले प्रॉफिट से ग्रे-मार्केट एक्टीविटी काफी बढ़ी है। माधबी पुरी बुच ने कहा कि जब वे इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं, तो ग्रे मार्केट एक्टीविटी को ‘कर्ब ट्रेडिंग’ कहा जाता था।
ग्रे मार्केट क्या होता है?
ग्रे मार्केट IPO में डील करने का अनाधिकारिक प्लेटफॉर्म है। ये गैर-कानूनी होने के बावजूद काफी पॉपुलर है। हालांकि, इसमें चुनिंदा लोग ही ट्रेडिंग करते हैं। इसमें आपसी भरोसे के साथ फोन पर ट्रेडिंग होती है। इसके लिए ऑपरेट करने वाले का पर्सनल कॉन्टैक्ट होना जरूरी है। ग्रे मार्केट में डील पूरा होने की गारंटी नहीं होती।
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।
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