कर्नाटक हाईकोर्ट के जज बोले-संविधान बनाने में ब्राह्मणों का योगदान: अंबेडकर ने कहा था– बीएन राव नहीं होते तो संविधान 25 साल लेट तैयार होता h3>
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बेंगलुरु15 मिनट पहले
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जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित ने अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की स्वर्ण जयंती के कार्यक्रम में संबोधन के दौरान यह बयान दिया।
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित ने ब्राह्मण सम्मेलन में कहा कि संविधान निर्माण में ब्राह्मणों का अहम योगदान था। उन्होंने कहा कि संविधान की ड्रॉफ्ट कमेटी के 7 सदस्यों में से 3 ब्राह्मण थे।
जस्टिस दीक्षित ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर ने भंडारकर इंस्टीट्यूट में कहा था कि अगर बीएन राव ने संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार नहीं किया होता तो इसे तैयार होने में 25 साल और लग जाते।
जस्टिस दीक्षित ने अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 18-19 जनवरी को आयोजित दो दिवसीय ब्राह्मण सम्मेलन ‘विश्वामित्र’ में हिस्सा लिया था।
जस्टिस दीक्षित बोले- वेदव्यास मछुआरे, वाल्मीकि अनुसूचित जाति से थे उन्होंने कहा कि वेदों का वर्गीकरण करने वाले वेदव्यास मछुआरे के पुत्र थे और रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि या तो अनुसूचित जाति से या अनुसूचित जनजाति से थे। उन्होंने कहा- क्या हमने (ब्राह्मणों ने) उन्हें नीची नजर से देखा है? हम सदियों से भगवान राम की पूजा करते आए हैं और उनके मूल्यों को संविधान में सम्मलित किया गया है।
जस्टिस दीक्षित ने पूर्व में खुद के गैर-ब्राह्मण राष्ट्रवादी आंदोलनों के साथ जुड़े होने का भी उल्लेख किया और कहा कि जस्टिस बनने के बाद उन्होंने अन्य सभी गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया है और वह न्यायिक दायरे के भीतर ही ये बातें कर रहे हैं।
जस्टिस वी श्रीशानंद ने समारोह का बचाव किया इस कार्यक्रम में उपस्थित जस्टिस वी श्रीशानंद ने ऐसे समारोहों की आवश्यकता का बचाव किया और उन आलोचकों को जवाब दिया जिन्होंने व्यापक सामाजिक-आर्थिक संघर्षों के बीच इस सम्मेलन की भव्यता पर सवाल उठाया था।
उन्होंने कहा- कई लोग प्रश्न करते हैं कि ऐसे वक्त में जब लोग भोजन और शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं तब ऐसे बड़े आयोजनों की क्या जरूरत है। लेकिन ये आयोजन समुदाय को एक साथ लाने और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे आयोजन क्यों नहीं किए जाने चाहिए?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने मुस्लिमों समुदाय पर विवादित बयान दिया था इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने 8 दिसंबर, 2024 को प्रयागराज में VHP की लीगल सेल के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। उन्होंने कहा था- मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा।
उन्होंने कहा था- यह जो कठमुल्ला है, यह सही शब्द नहीं है। लेकिन कहने में परहेज नहीं है, क्योंकि वह देश के लिए बुरा है। घातक है, देश के खिलाफ है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, ऐसा सोचने वाले लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
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हाईकोर्ट जज के विवादित कमेंट्स, सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर 2024 को कर्नाटक हाईकोर्ट के जज द्वारा सुनवाई के दौरान दिए 2 विवादित बयानों पर एक्शन लिया था। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद की टिप्पणियों पर कर्नाटक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को 2 हफ्ते में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। पूरी खबर पढ़ें…
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कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित ने ब्राह्मण सम्मेलन में कहा कि संविधान निर्माण में ब्राह्मणों का अहम योगदान था। उन्होंने कहा कि संविधान की ड्रॉफ्ट कमेटी के 7 सदस्यों में से 3 ब्राह्मण थे।
जस्टिस दीक्षित ने कहा कि संविधान निर्माता डॉ बीआर अंबेडकर ने भंडारकर इंस्टीट्यूट में कहा था कि अगर बीएन राव ने संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार नहीं किया होता तो इसे तैयार होने में 25 साल और लग जाते।
जस्टिस दीक्षित ने अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 18-19 जनवरी को आयोजित दो दिवसीय ब्राह्मण सम्मेलन ‘विश्वामित्र’ में हिस्सा लिया था।
जस्टिस दीक्षित बोले- वेदव्यास मछुआरे, वाल्मीकि अनुसूचित जाति से थे उन्होंने कहा कि वेदों का वर्गीकरण करने वाले वेदव्यास मछुआरे के पुत्र थे और रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि या तो अनुसूचित जाति से या अनुसूचित जनजाति से थे। उन्होंने कहा- क्या हमने (ब्राह्मणों ने) उन्हें नीची नजर से देखा है? हम सदियों से भगवान राम की पूजा करते आए हैं और उनके मूल्यों को संविधान में सम्मलित किया गया है।
जस्टिस दीक्षित ने पूर्व में खुद के गैर-ब्राह्मण राष्ट्रवादी आंदोलनों के साथ जुड़े होने का भी उल्लेख किया और कहा कि जस्टिस बनने के बाद उन्होंने अन्य सभी गतिविधियों से खुद को अलग कर लिया है और वह न्यायिक दायरे के भीतर ही ये बातें कर रहे हैं।
जस्टिस वी श्रीशानंद ने समारोह का बचाव किया इस कार्यक्रम में उपस्थित जस्टिस वी श्रीशानंद ने ऐसे समारोहों की आवश्यकता का बचाव किया और उन आलोचकों को जवाब दिया जिन्होंने व्यापक सामाजिक-आर्थिक संघर्षों के बीच इस सम्मेलन की भव्यता पर सवाल उठाया था।
उन्होंने कहा- कई लोग प्रश्न करते हैं कि ऐसे वक्त में जब लोग भोजन और शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं तब ऐसे बड़े आयोजनों की क्या जरूरत है। लेकिन ये आयोजन समुदाय को एक साथ लाने और उससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे आयोजन क्यों नहीं किए जाने चाहिए?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने मुस्लिमों समुदाय पर विवादित बयान दिया था इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने 8 दिसंबर, 2024 को प्रयागराज में VHP की लीगल सेल के एक कार्यक्रम में शिरकत की थी। उन्होंने कहा था- मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि यह हिंदुस्तान है और यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा से चलेगा।
उन्होंने कहा था- यह जो कठमुल्ला है, यह सही शब्द नहीं है। लेकिन कहने में परहेज नहीं है, क्योंकि वह देश के लिए बुरा है। घातक है, देश के खिलाफ है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, ऐसा सोचने वाले लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।
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