ब्रह्मा चेलानी का कॉलम: वायरस की जिम्मेदारी से चीन को बरी नहीं कर सकते हैं h3>
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2 घंटे पहले
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ब्रह्मा चेलानी पॉलिसी फॉर सेंटर रिसर्च के प्रोफेसर एमेरिटस
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में एक अनुमान के तौर पर 71 लाख लोगों की जानें ली थीं, जिससे 2019 और 2021 के बीच वैश्विक जीवन-प्रत्याशा में 1.6 साल की गिरावट आ गई। इसने कई देशों में अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया, आजीविकाएं छीनीं और सामाजिक सामंजस्य को भी गहरे तक प्रभावित किया। फिर भी इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
कोरोना वायरस के उभरने के पांच साल बाद भी हम नहीं जानते हैं कि वो कहां से आया था। क्या यह चीन के वेट मार्केट में से उभरा था, या यह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से फरार हुआ था, जहां चमगादड़ों पर कोरोना वायरस के प्रभाव का अध्ययन चल रहा था? हम इतना जरूर जानते हैं कि चीन की सरकार ने इस स्थानीय प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य-संकट में बदलने दिया।
वुहान में कोविड-19 के शुरुआती मामले सामने आने के बाद शी जिनपिंग ने बीमारी से सम्बंधित खबरों को सेंसर कर दिया और कई हफ्तों तक संक्रमण के सबूत छिपाए। वुहान से आवागमन निर्बाध जारी रहा। शिनशियांग प्रांत में उइघरों का शोषण करने वाले यंत्रणा शिविरों या दक्षिण चीन सागर में नौसैनिक अड्डे के निर्माण को तो चीन दुनिया की नजरों से छुपाकर रखता है, लेकिन वो कोरोना वायरस को छिपा नहीं सका।
दुनिया के बाकी देश भी इस रहस्य का खुलासा होने के बाद इसकी अनदेखी नहीं कर सके। देखते ही देखते, करोड़ों लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके थे, अस्पताल भर गए, कई पीड़ितों को शिविरों में इलाज कराना पड़ा। लाखों जानें गईं।
इसके बाद चीन की हुकूमत डैमेज-कंट्रोल के मोड में आई। वहां के सरकारी मीडिया ने वुहान में संकट को रिकवरी की सफल कहानी के रूप में पेश किया। मृत्युओं के वास्तविक आंकड़ों को छुपाया गया। शी जिनपिंग ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में स्वतंत्र फोरेंसिक जांच करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को भी विफल कर दिया और इसे पश्चिमी देशों का ‘आतंकवाद’ तक करार दिया। उन्होंने जिस एकमात्र जांच की अनुमति दी, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ 2021 का एक संयुक्त अध्ययन था, जिसे खुद चीन ही नियंत्रित और संचालित कर रहा था।
कोविड-19 के समय अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति थे। वे अकसर चीन और कोविड-19 के संबंधों पर बात करते थे, जबकि जो बाइडेन ने चीन को इस मामले में प्रभावी रूप से ढील दे दी। अपने शपथ ग्रहण के एक सप्ताह से भी कम समय बाद बाइडेन ने एक राष्ट्रपति ज्ञापन जारी करते हुए संघीय एजेंसियों से आग्रह किया था कि वे इस बारे में चर्चा करने से बचें कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई थी।
बाइडेन का लक्ष्य अमेरिका में बसे एशियाइयों के खिलाफ हेट-क्राइम में हो रही बढ़ोतरी को रोकना था। लेकिन इसके फेर में उन्होंने पूरी दुनिया के सामने महामारी का संकट पैदा करने में चीन की भूमिका पर किसी भी चर्चा को बंद करवा दिया। सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्मों, मुख्यधारा के मीडिया और कुछ प्रमुख अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी कोविड-19 की उत्पत्ति पर चल रही बहस को दबाने में मदद की।
कोविड-19 के लिए चीन की जिम्मेदारी की जांच की जाए या नहीं, इस पर आज भी विपरीत विचार मिलते हैं। पिछले महीने ही, डेमोक्रेट्स ने 520 पन्नों की एक ऐसी रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसे रिपब्लिकंस के द्वारा नियंत्रित यूएस हाउस सिलेक्ट सब-कमेटी ने कोरोना वायरस महामारी पर तैयार किया था।
इसमें दो साल की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया था कि वायरस संभवतः वुहान की लैब से आया था। डेमोक्रेट्स ने इस रिपोर्ट की प्रणाली को गलत ठहराया। वहीं अमेरिकी ऊर्जा विभाग और एफबीआई ने लैब-लीक थ्योरी में विश्वास जताया।
कोविड-19 की उत्पत्ति कहां से हुई, इसकी तह तक पहुंचने में विफलता न केवल चीन को उसकी जिम्मेदारी से छूट देगी, बल्कि यह एक और वैश्विक महामारी को रोकने की दुनिया की क्षमता को भी कमजोर करेगी। लेकिन उम्मीद है कि आगामी ट्रम्प प्रशासन इस महत्वपूर्ण सवाल के जवाब की खोज फिर से शुरू करेगा। लेकिन प्रभावी जांच के लिए अमेरिका को काफी पारदर्शिता दिखाना होगी।
कारण, खुद अमेरिकी सरकार की मेडिकल-रिसर्च एजेंसी एनआईएच 2014 से वुहान लैब में चमगादड़ों पर कोरोना वायरस के प्रभाव के अध्ययन के लिए फंडिंग कर रही थी। एनआईएच को पता था कि यह काम जोखिम भरा था; इसीलिए इसे चीन में किया जा रहा था। महामारी शुरू होने के बाद ही फंडिंग रोकी गई।
चीन, रूस और पश्चिम की कुछ प्रयोगशालाओं में अभी भी वुहान लैब जैसी खतरनाक रिसर्च चल रही हैं। रोगाणुओं का जेनेटिक-संवर्धन मनुष्यता के लिए परमाणु हथियारों से भी बड़ा खतरा है। इसे हर हाल में रोकना होगा। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
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ब्रह्मा चेलानी पॉलिसी फॉर सेंटर रिसर्च के प्रोफेसर एमेरिटस
कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में एक अनुमान के तौर पर 71 लाख लोगों की जानें ली थीं, जिससे 2019 और 2021 के बीच वैश्विक जीवन-प्रत्याशा में 1.6 साल की गिरावट आ गई। इसने कई देशों में अर्थव्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया, आजीविकाएं छीनीं और सामाजिक सामंजस्य को भी गहरे तक प्रभावित किया। फिर भी इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
कोरोना वायरस के उभरने के पांच साल बाद भी हम नहीं जानते हैं कि वो कहां से आया था। क्या यह चीन के वेट मार्केट में से उभरा था, या यह वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से फरार हुआ था, जहां चमगादड़ों पर कोरोना वायरस के प्रभाव का अध्ययन चल रहा था? हम इतना जरूर जानते हैं कि चीन की सरकार ने इस स्थानीय प्रकोप को वैश्विक स्वास्थ्य-संकट में बदलने दिया।
वुहान में कोविड-19 के शुरुआती मामले सामने आने के बाद शी जिनपिंग ने बीमारी से सम्बंधित खबरों को सेंसर कर दिया और कई हफ्तों तक संक्रमण के सबूत छिपाए। वुहान से आवागमन निर्बाध जारी रहा। शिनशियांग प्रांत में उइघरों का शोषण करने वाले यंत्रणा शिविरों या दक्षिण चीन सागर में नौसैनिक अड्डे के निर्माण को तो चीन दुनिया की नजरों से छुपाकर रखता है, लेकिन वो कोरोना वायरस को छिपा नहीं सका।
दुनिया के बाकी देश भी इस रहस्य का खुलासा होने के बाद इसकी अनदेखी नहीं कर सके। देखते ही देखते, करोड़ों लोग कोविड-19 से संक्रमित हो चुके थे, अस्पताल भर गए, कई पीड़ितों को शिविरों में इलाज कराना पड़ा। लाखों जानें गईं।
इसके बाद चीन की हुकूमत डैमेज-कंट्रोल के मोड में आई। वहां के सरकारी मीडिया ने वुहान में संकट को रिकवरी की सफल कहानी के रूप में पेश किया। मृत्युओं के वास्तविक आंकड़ों को छुपाया गया। शी जिनपिंग ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में स्वतंत्र फोरेंसिक जांच करने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को भी विफल कर दिया और इसे पश्चिमी देशों का ‘आतंकवाद’ तक करार दिया। उन्होंने जिस एकमात्र जांच की अनुमति दी, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ 2021 का एक संयुक्त अध्ययन था, जिसे खुद चीन ही नियंत्रित और संचालित कर रहा था।
कोविड-19 के समय अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति थे। वे अकसर चीन और कोविड-19 के संबंधों पर बात करते थे, जबकि जो बाइडेन ने चीन को इस मामले में प्रभावी रूप से ढील दे दी। अपने शपथ ग्रहण के एक सप्ताह से भी कम समय बाद बाइडेन ने एक राष्ट्रपति ज्ञापन जारी करते हुए संघीय एजेंसियों से आग्रह किया था कि वे इस बारे में चर्चा करने से बचें कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति कहां से हुई थी।
बाइडेन का लक्ष्य अमेरिका में बसे एशियाइयों के खिलाफ हेट-क्राइम में हो रही बढ़ोतरी को रोकना था। लेकिन इसके फेर में उन्होंने पूरी दुनिया के सामने महामारी का संकट पैदा करने में चीन की भूमिका पर किसी भी चर्चा को बंद करवा दिया। सोशल-मीडिया प्लेटफॉर्मों, मुख्यधारा के मीडिया और कुछ प्रमुख अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी कोविड-19 की उत्पत्ति पर चल रही बहस को दबाने में मदद की।
कोविड-19 के लिए चीन की जिम्मेदारी की जांच की जाए या नहीं, इस पर आज भी विपरीत विचार मिलते हैं। पिछले महीने ही, डेमोक्रेट्स ने 520 पन्नों की एक ऐसी रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसे रिपब्लिकंस के द्वारा नियंत्रित यूएस हाउस सिलेक्ट सब-कमेटी ने कोरोना वायरस महामारी पर तैयार किया था।
इसमें दो साल की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया था कि वायरस संभवतः वुहान की लैब से आया था। डेमोक्रेट्स ने इस रिपोर्ट की प्रणाली को गलत ठहराया। वहीं अमेरिकी ऊर्जा विभाग और एफबीआई ने लैब-लीक थ्योरी में विश्वास जताया।
कोविड-19 की उत्पत्ति कहां से हुई, इसकी तह तक पहुंचने में विफलता न केवल चीन को उसकी जिम्मेदारी से छूट देगी, बल्कि यह एक और वैश्विक महामारी को रोकने की दुनिया की क्षमता को भी कमजोर करेगी। लेकिन उम्मीद है कि आगामी ट्रम्प प्रशासन इस महत्वपूर्ण सवाल के जवाब की खोज फिर से शुरू करेगा। लेकिन प्रभावी जांच के लिए अमेरिका को काफी पारदर्शिता दिखाना होगी।
कारण, खुद अमेरिकी सरकार की मेडिकल-रिसर्च एजेंसी एनआईएच 2014 से वुहान लैब में चमगादड़ों पर कोरोना वायरस के प्रभाव के अध्ययन के लिए फंडिंग कर रही थी। एनआईएच को पता था कि यह काम जोखिम भरा था; इसीलिए इसे चीन में किया जा रहा था। महामारी शुरू होने के बाद ही फंडिंग रोकी गई।
चीन, रूस और पश्चिम की कुछ प्रयोगशालाओं में अभी भी वुहान लैब जैसी खतरनाक रिसर्च चल रही हैं। रोगाणुओं का जेनेटिक-संवर्धन मनुष्यता के लिए परमाणु हथियारों से भी बड़ा खतरा है। इसे हर हाल में रोकना होगा। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)
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