आज का एक्सप्लेनर: ‘लापता लेडीज’ ऑस्कर से बाहर, फिर ‘कंगुवा’ जैसी फ्लॉप फिल्में रेस में कैसे; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

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आज का एक्सप्लेनर:  ‘लापता लेडीज’ ऑस्कर से बाहर, फिर ‘कंगुवा’ जैसी फ्लॉप फिल्में रेस में कैसे; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

आज का एक्सप्लेनर: ‘लापता लेडीज’ ऑस्कर से बाहर, फिर ‘कंगुवा’ जैसी फ्लॉप फिल्में रेस में कैसे; वो सबकुछ जो जानना जरूरी है

ऑस्कर में भारत की ऑफिशियल एंट्री ‘लापता लेडीज’ बाहर हो गई। जबकि ‘वीर सावरकर’ जैसी विवादित और बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप ‘कंगुवा’ जैसी फिल्में अभी भी रेस में बरकरार हैं। फिलहाल 232 फिल्में एलिजिबल पाई गईं, जिनमें भारत की 6 फिल्में अभी भी हैं। फाइनल नॉमिनेशन

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‘वीर सावरकर’ या कंगुवा जैसी फिल्मों में ऐसा क्या है, जो लापता लेडीज में नहीं था, ऑस्कर में बेस्ट फिल्म के लिए नॉमिनेशन की शर्तें क्या हैं और इस पर क्यों उठते हैं सवाल; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल 1: ऑस्कर के लिए भारत से कौन-सी फिल्में गई थीं, इनमें से कितनी अभी भी रेस में हैं?

जवाब: भारत से लापता लेडीज सहित कुल 29 फिल्में ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए भेजी गई थीं। इनमें से 12 हिंदी फिल्में, 6 तमिल और 4 मलयालम फिल्में थीं। अमेरिकन अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (AMPAS) ने ऑस्कर 2025 के लिए योग्य कुल 232 फिल्मों की लिस्ट जारी की है। इन 232 फिल्मों में से 207 फिल्में ‘बेस्ट पिक्चर’ की कैटेगरी में हैं। इसी लिस्ट में भारत की 6 फिल्में शामिल हैं, जिनका ऑस्कर के लिए दावा अभी बरकरार है।

ये फिल्में हैं- कंगुवा (तमिल), आदुजीविथम (द गोट लाइफ) (हिंदी), स्वातंत्र्य वीर सावरकर (हिंदी), पुतुल (बंगाली), ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट (मलयालम-हिंदी) और गर्ल्स विल बी गर्ल्स (हिंदी-अंग्रेजी)।

350 करोड़ रुपए के बड़े बजट में तैयार हुई फिल्म ‘कंगुवा’ बॉक्स ऑफिस पर करीब 100 करोड़ रुपए की ही कमाई कर सकी थी। वहीं 22 मार्च 2024 को रिलीज हुई रणदीप हुड्डा स्टारर फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ राजनीतिक विवादों में रही थी।

इनके अलावा हनु-मान, कल्कि 2898 AD, एनिमल, चंदू चैंपियन, सैम बहादुर, गुड लक, घरत गणपति, मैदान, जोरम, कोट्टुकाली, जामा, आर्टिकल 370 और अट्टम जैसी फिल्में भी नॉमिनेशन के लिए भेजी गई थीं। क्रिएटिविटी, फिल्म की कहानी और कमाई जैसे कई मानकों पर ये फिल्में खरी भी उतरीं, लेकिन इन्हें ऑस्कर की रेस से बाहर कर दिया गया है।

वहीं ऑस्कर नॉमिनेशन के लिए एलिजिबल फिल्म ‘संतोष’ को ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी ने बनाया है। इसमें भारतीय एक्ट्रेस शाहना गोस्वामी और सुनीता राजवार लीड रोल में हैं। हालांकि ये फिल्म ब्रिटेन की तरफ से भेजी गई है।

ब्रिटिश फिल्म ‘संतोष’ की एक्ट्रेस शाहना गोस्वामी (सबसे दाएं नीचे) और नॉमिनेट होने वाली 6 भारतीय फिल्मों की तस्वीरें

सवाल 2: ‘लापता लेडीज’ ऑस्कर की रेस से बाहर क्यों हुई, बेस्ट पिक्चर्स के नॉमिनेशन के सिलेक्शन का क्राइटेरिया क्या है?

जवाबः किरण राव निर्देशित ‘लापता लेडीज’ ‘इंटरनेशनल फीचर फिल्म’ अवॉर्ड की कैटेगरी की लिस्ट में शामिल कर ली गई थी। इस कैटेगरी को पहले ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म अवॉर्ड’ कहा जाता था। 18 दिसंबर को AMPAS ने कहा,

बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म की कैटेगरी की 15 फिल्मों की लिस्ट में लापता लेडीज शामिल नहीं है।

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इन्हीं 15 फिल्मों के बीच फाइनल 5 फिल्मों में शामिल होने के लिए कॉम्पिटिशन होगा।

AMPAS के नियमों के मुताबिक, ऑस्कर की जनरल कैटेगरी में नॉमिनेशन के लिए फिल्म को बेसिक थिएट्रिकल क्राइटेरिया पूरा करना होता है। इसके तहत फिल्म को अमेरिका के 6 महानगरीय इलाकों में से किसी एक में कम से कम 7 दिन तक थिएटर में दिखाया जाना जरूरी है। ये 6 इलाके हैं- लॉस एंजिलिस, न्यूयॉर्क, बे एरिया, शिकागो, डलास-फोर्ट वर्थ और अटलांटा।

बेस्ट पिक्चर की कैटेगरी में नॉमिनेशन के लिए 2024 में ‘अकादमी रिप्रजेंटेशन एंड इन्क्लूजन स्टैंडर्ड्स’ यानी RAISE के नियम भी लागू किए गए हैं। इनके मुताबिक, 4 डाइवर्सिटी बेंचमार्क्स हैं, जिनमें से कम से कम 2 बेंचमार्क्स पर फिल्म खरी उतरनी चाहिए।

ये चार बेंचमार्क्स कुछ इस तरह हैं-

1. फिल्म के को-एक्टर्स या लीड एक्टर्स में से कम से कम एक किसी पिछड़े देश या जातीय और सामाजिक आधार पर पिछड़े वर्ग से हो।

2. फिल्म बनाने वाले प्रमुख लोगों या फिल्म के क्रू मेंबर्स में विविधता हो। फिल्म की कहानी में भी महिलाएं, LGBTQ+ समुदाय या विकलांग लोग शामिल हों।

3. फिल्म बनाने के दौरान सामाजिक आधार पर हाशिए पर खड़े वर्ग यानी महिलाएं, LGBTQ+ समुदाय या विकलांगों को रोजगार या इंटर्नशिप दी गई हो।

4. फिल्म की मार्केटिंग और पब्लिसिटी का तरीका इंक्लूसिव हो। सभी वर्गों, खास तौर पर महिलाओं, पिछड़े देशों के लोगों और LGBTQ+ समुदाय के लोगों को शामिल किया गया हो।

इसके अलावा बेस्ट पिक्चर के ऑस्कर अवॉर्ड के लिए फिल्म रिलीज होने के बाद अमेरिका के 50 प्रमुख बाजार वाले शहरों में से कम से कम 10 बाजारों में कम से कम 10 दिन थिएटर में दिखाई गई होनी चाहिए।

हालांकि लापता लेडीज को नॉमिनेशन की लिस्ट से बाहर करने की आधिकारिक रूप से कोई वजह नहीं बताई गई है।

सवाल 3: क्या ये नियम सही हैं? इन पर क्या सवाल उठते हैं?

जवाबः 2025 में RAISE के नियम दूसरी बार लागू किए गए हैं। फिल्ममेकर्स इन नियमों पर सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि यह नियम जरूरत से ज्यादा सख्त हैं, इसीलिए कई इंटरनेशनल फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज ऑस्कर के लिए दावा ही नहीं करतीं। ऑस्कर नॉमिनेशन के नियमों की आलोचना करने वाले 2 बड़े तर्क देते हैं-

1. कम बजट की फिल्मों के लिए शर्त पूरी करना मुश्किल: कम खर्च से बनी, छोटे इलाके की फिल्में भले ही क्रिएटिविटी के मामले में कितनी भी अच्छी हों, उन्हें कम बजट के चलते ज्यादा जगह नहीं दिखाया जा सकता। इन फिल्मों में सभी वर्गों के लोगों को शामिल करने की शर्त पूरी करना भी मुश्किल होता है। इसलिए ये ऑस्कर की दौड़ से बाहर हो जाती हैं। ऐसी ही कुछ विदेशी फिल्मों और डॉक्यूमेंट्रीज को दर्शकों ने खूब सराहा। जैसे- ‘रिमार्केबल लाइफ ऑफ इबेलिन’, ‘द गर्ल विद द नीडल’, ‘डाहोमी’, ‘फ्रिडा’, ‘आर्मंड’ और ‘यूनिवर्सल लैंग्वेज’। ये फिल्में कई दूसरी कैटेगरीज में नॉमिनेशन के लिए तो क्वालीफाई हो गईं, लेकिन ‘बेस्ट फिल्म’ की रेस से बाहर कर दी गईं।

2. फिल्मों के चयन में पक्षपात: ‘लापता लेडीज’ के ऑस्कर की रेस से बाहर होने के बाद एक्टर और बीजेपी सांसद कंगना रनोट ने AMPAS पर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अक्सर अकादमी इंडिया से वही फिल्में लेती है, जो हमें खराब या गंदा दिखाती हैं या जो एंटी इंडिया होती हैं।

कंगना ने कहा,

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अक्सर इंडिया के खिलाफ अकादमी का एजेंडा बहुत अलग होता है। अकादमी वही फिल्में ऑस्कर के लिए चुनती है जो एंटी इंडिया होती हैं। ऑस्कर के लिए फिल्म को ऐसा होना चाहिए जो हमारे देश को बुरा और गंदा दिखाए जैसे स्लमडॉग मिलियनेयर।

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सवाल 4: भारत ने लापता लेडीज को ही ऑफिशियल एंट्री क्यों बनाया, जबकि कई अन्य बेहतरीन फिल्में भी थीं? इसका प्रोसेस क्या है?

जवाबः इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी के लिए एक देश किसी एक फिल्म को ही अपनी ऑफिशियल एंट्री बना सकता है। हर साल सितंबर से ही इसकी तैयारी शुरू हो जाती है।

फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी FFI, देश के सभी फिल्म एसोसिएशन को इनविटेशन भेजता है। एसोसिएशन के जरिए सभी फिल्में ऑफिशियल एंट्री बनने के लिए FFI में अप्लाई करती हैं। FFI की सिलेक्शन कमेटी इन फिल्मों में से किसी एक को चुनकर उसे ऑस्कर के लिए भारत की ऑफिशियल एंट्री बनाती है। इस ज्यूरी के सभी 13 मेंबर पुरुष हैं, जबकि वर्तमान चेयरमैन असम के फिल्म निर्माता जाहनु बरुआ हैं।

23 सितंबर को FFI की ज्यूरी ने ‘लापता लेडीज’ को अपनी ऑफिशियल एंट्री बनाने की घोषणा की। FFI जिस फिल्म को ऑफिशियल एंट्री बनाता है, उसके लिए एक साइटेशन यानी उद्धरण भी जारी करता है।

लापता लेडीज के साइटेशन में FFI की ज्यूरी ने लिखा था, ‘भारतीय महिलाओं में समर्पण और प्रभुत्व दोनों हैं। लापता लेडीज के कैरेक्टर्स इस विविधता को मजाकिया अंदाज में अच्छे तरीके से दर्शाते हैं। यह फिल्म दिखाती है कि महिलाएं खुशी-खुशी घर के काम कर सकती हैं, साथ ही विद्रोही या उद्यमी भी हो सकती हैं। इस फिल्म की कहानी को बदलाव लाने वाली कहानी कहा जा सकता है। लापता लेडीज एक ऐसी फिल्म है जो न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए मनोरंजक और अर्थपूर्ण है।’

इस साइटेशन का सोशल मीडिया पर विरोध किया गया। लोगों ने कहा कि ‘लापता लेडीज’ में जो मैसेज देने की कोशिश की गई है, यह नोट उसके खिलाफ है।

लापता लेडीज को भारत की तरफ से ऑफिशियल एंट्री बनाने पर यह भी कहा गया कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया का सिलेक्शन प्रोसेस सही नहीं है। इसमें लापरवाही की गई है।

पायल कपाड़िया के निर्देशन में बनी फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ को ऑफिशियल एंट्री न देने पर भी लोगों ने FFI को आड़े हाथों लिया। ये फिल्म गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स के लिए बेस्ट फिल्म (नॉन इंग्लिश) कैटेगरी में नॉमिनेट हुई थी, हालांकि अवॉर्ड नहीं जीत सकी। इसे कांस फिल्म फेस्टिवल में भी अवॉर्ड मिल चुका है। फिल्म के प्रशंसकों का कहना था कि लापता लेडीज की जगह इसे ऑस्कर के नॉमिनेशन के लिए भेजा जाना चाहिए था।

कांस फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड लेतीं पायल कपाड़िया और ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ की एक्ट्रेसेज

सवाल-5: क्या ऑस्कर अवॉर्ड देने में कोई पक्षपात किया जाता है, अगर हां तो कैसे?

जवाबः ऑस्कर को लेकर हमेशा से यह आरोप लगता रहा है कि किस देश को कब अवॉर्ड देना है यह अमेरिकी सरकार की उस देश को लेकर तब की विदेश नीति के अनुसार तय होता है। साल 1952 से 2023 तक के ऑस्कर अवॉर्ड्स में जब भी किसी एशियाई देश की फिल्म को ऑस्कर अवॉर्ड मिला, उसके पीछे अमेरिका की राजनीतिक इच्छा एक वजह रही है।

सवाल-6: भारत की जो फिल्में रेस में बरकरार हैं, उनका आगे क्या होगा?

जवाबः AMPAS की दुनिया भर में 18 ब्रांच हैं, जिनमें दुनिया भर के फिल्ममेकिंग से जुड़े हुए करीब 10,000 लोग मेंबर्स होते हैं। अलग-अलग कुल 17 कैटेगरीज में ऑस्कर मिलते हैं, इसके लिए हर कैटेगरी में उसी कैटेगरी के मेंबर वोटिंग करते हैं। जैसे- अगर कोई फिल्म डायरेक्टर अकादमी का सदस्य है तो वह डायरेक्टर की कैटेगरी के अवॉर्ड के लिए ही वोटिंग करेगा।

बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के नॉमिनेशन के लिए एलिजिबल भारत की 6 फिल्मों सहित सभी 232 फिल्मों के बीच 8 जनवरी से शुरू होकर 12 जनवरी तक वोटिंग हुई है, इसके आधार पर फिल्मों को फाइनल नॉमिनेशन मिलेगा। अकादमी के सभी एक्टिव और लाइफ टाइम मेंबर्स बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म के लिए 3 स्टेप में फिल्मों को वोट देते हैं-

  • मेंबर्स को फिल्में दिखाई जाती हैं। इसके बाद मेंबर्स सीक्रेट बैलट के जरिए 15 फिल्मों को अपनी पसंद के क्रम में वोट करते हैं। इन मेंबर्स को प्रिलिमिनरी कमेटी कहते हैं।
  • मेंबर्स शॉर्टलिस्ट की गई इन सभी 15 फिल्मों को देखते हैं। इसके बाद दोबारा इन फिल्मों के लिए वोटिंग होती है। हर मेंबर अपनी पसंद के क्रम में अधिकतम 5 फिल्मों के लिए वोट कर सकता है। ये मेंबर्स नॉमिनेटिंग कमेटी का हिस्सा होते हैं।
  • सबसे ज्यादा वोट पाने वाली 5 फिल्मों के लिए फाइनल वोटिंग होगी। यह जरूरी है कि सभी मेंबर्स ने इन 5 फिल्मों को देखा हो। इनमें सबसे ज्यादा वोट पाने वाली फिल्म को विजेता घोषित किया जाएगा।

सवाल-7: ऑस्कर में भारत की फिल्मों का सफर कैसा रहा है?

जवाबः

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