Punjab: स्कूलों में फिर हो जाएंगी छुट्टियां…? पूर्व मंत्री ने कर दी यह मांग, कड़ाके की ठंड में स्कूल जा रहे बच्चे

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Punjab: स्कूलों में फिर हो जाएंगी छुट्टियां…? पूर्व मंत्री ने कर दी यह मांग, कड़ाके की ठंड में स्कूल जा रहे बच्चे

Punjab: स्कूलों में फिर हो जाएंगी छुट्टियां…? पूर्व मंत्री ने कर दी यह मांग, कड़ाके की ठंड में स्कूल जा रहे बच्चे


स्कूलों में छुट्टियां।
– फोटो : अमर उजाला।

विस्तार


पंजाब में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बच्चे पढ़ाई के दौर में स्कूलों में कड़ाके की ठंड झेलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। पंजाब और केंद्र सरकार सर्दियों के हिसाब से छुट्टियां करें। अंग्रेजों की तर्ज पर न चलें। सारी दुनिया आज यह स्वीकार कर रही है कि मौसम में परिवर्तन हो रहा है। कहीं गर्मी बढ़ रही है, कहीं सर्दी बढ़ रही है। पंजाब में तो पिछले पांच साल से अधिक समय से सर्दी दिसंबर में नहीं बल्कि जनवरी में पड़ती है। यह बात पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कही है। 

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पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि अंग्रेजों के बनाए रिवाज को चलाते हुए 25 दिसंबर से ही स्कूलों में सर्दियों की छुट्टियां करते हैं और कहीं-कहीं तो इसे क्रिसमस की छुट्टियां भी कहा जाता है। बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र कोई दुर्गा पूजा पर छुट्टी करते हैं और दीपावली की करते हैं और दक्षिण पूर्वोत्तर के प्रांत अपने रीति रिवाजों के हिसाब से छुट्टियां करते हैं। 

इन दिनों में स्कूल बुलाना बच्चों से अन्याय

पूर्व मंत्री ने कहा कि क्या सरकार यह नहीं देख रही कि 31 दिसंबर से सर्दी ज्यादा बढ़ गई। आज के जो हालत हैं सरकारी स्कूलों में जहां बच्चे पैदल जाते हैं और अधिकतर सर्दी में ही उन्हें खेलना, खाना, बैठना पड़ता है। उनके लिए सरकार ने बसें गाड़ियां नहीं लगाईं। उन बच्चों को इन दिनों स्कूलों में बुलाना उनके साथ अन्याय है। 

स्कूलों में छुट्टियां करे सरकार

प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि पंजाब सरकार एक तो इन दिनों बच्चों को छुट्टियां करे और आगे से हमेशा यही होना चाहिए कि एक जनवरी से लोहड़ी तक सर्दियों की छुट्टियां हों। क्या यह हमारे संविधान में लिखा है कि जिस ढंग से अंग्रेज छुट्टियां करते थे और छुट्टी मनाते थे। हम उसी ढंग से अपने बच्चों को स्कूलों में अवकाश दें। 

आमदनी देखकर आर्थिक सहायता करें न कि जाति देखकर

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सरकार को यह याद हो कि बच्चों को शिक्षा के लिए जो भी आर्थिक सहायता देनी है। उनके परिवार की आमदनी देखकर दी जाए, केवल जाति देखकर नहीं। पढ़ने का अधिकार सभी बच्चों को है। अगर सरकार नहीं संभलती तो विद्यार्थी जीवन से ही जाति के आधार पर बच्चे एक-दूसरे से दूर हो जाएंगे।

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