एन. रघुरामन का कॉलम: पूर्वजों की जीवनशैली अपनाने से स्वच्छता में मदद मिलती है h3>
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17 घंटे पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
बुधवार शाम मुम्बई के पवई में एक मेडिकल स्टोर पर कुछ दवा खरीदते समय एक दोस्त ने मुझे फोन करके कहा, ‘मैंने एक असामान्य चीज देखी, स्टोर में आने वाले पांच में से चार लोग सैनिटाइजर खरीद रहे हैं।’ जब उन्होंने स्टोर वाले से इस बारे में पूछा, तो उसने कहा यह घबराहट में की गई प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन हम इसे असामान्य नहीं मानते, क्योंकि कभी-कभी ऐसा हो जाता है।
तभी उन्होंने अपना मोबाइल देखा, जिसमें एक समाचार में बताया गया था कि पवई अस्पताल में छह महीने की बच्ची में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का पहला मामला पाया गया है, जो मुंबई में पहला, महाराष्ट्र में तीसरा और भारत में 11वां मामला है। बेंगलुरु में दो, गुजरात में एक, चेन्नई में दो, कोलकाता में तीन और नागपुर में दो मामले मिले हैं।
चार लोगों का उस तरह के बड़े मेडिकल स्टोर से सैनिटाइजर खरीदना कोई असामान्य बात नहीं, लेकिन खरीदारों के मन में सैनिटाइजर के साथ अपने स्वच्छता मानक को सुरक्षित रखने का विचार आ सकता है। वास्तव में, इस सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही कह दिया था कि एचएमपीवी भारत सहित दुनिया भर में पहले से ही प्रचलन में है।
उसने यह भी बताया कि भारत में इससे ग्रस्त पाए गए किसी भी रोगी की कोई ट्रैवल-हिस्ट्री नहीं रही है, जैसी कि कोरोना वायरस के समय थी। एचएमपीवी- जिसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था- तभी से पूरी दुनिया में घूम रहा है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सौम्या स्वामीनाथन- जो कोविड-19 के समय विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक थीं- ने कहा ऐसे प्रकोपों पर संगठन द्वारा बारीकी से नजर रखी जा रही है और अभी तक कोई अलर्ट जारी नहीं किया है।
उनका यह कहना सही था कि महामारी के बाद से अधिकांश देश ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म पर सामान्य वायरस, म्यूटेशन और स्ट्रेन की रिपोर्ट कर रहे हैं, इसलिए हर देश को पता चल जाता है कि कोई समस्या आ रही है या नहीं।
उन्होंने हमें केवल सावधानी बरतने की सलाह दी और कहा कि हम घबराएं नहीं। तो ये रही कुछ सावधानियां, जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपना सकता है। ये रॉकेट साइंस नहीं है। हमारी पिछली पीढ़ियों द्वारा नियमित इनका अभ्यास किया जाता था।
1. घर के बाहर जूते उतारें : घर के अंदर कभी भी जूते पहनकर न चलें, क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना आजकल एक नई समस्या बन गई है। 2. हाथों को बार-बार धोना : आप अनजाने में किसी बस या रेस्तरां के हैंडल या किसी ऐसी चीज को छू सकते हैं, जो ऐसे लोगों के सम्पर्क में आई हो जिन्हें आप नहीं जानते। कंप्यूटर की-बोर्ड को छूने या आंखें पोंछने से पहले हाथों को साफ करने या धोने की आदत भी डाल लें। नियमित रूप से हाथ धोने से आप हमेशा ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। 3. घर में आने वाली हर चीज को साफ करें : मुझे याद है जब मेरे पिता गजरा लेकर आते थे तो मां उसे हमेशा पानी से धोती थीं। किसी और वजह से नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि यह सड़क के सामने एक टोकरी में रखे होते थे और मेरे पिता से पहले कई ग्राहकों ने इसे छुआ होता था। इसके अलावा कोशिश करें कि यात्रा के बाद अपने सूटकेस सहित घर के अंदर आने वाली हर चीज को साफ करें। यह एक अच्छी आदत है। 4. काम से लौटने के बाद नहाएं : मेरे पिता रेलवे की नौकरी से घर लौटने के बाद कभी भी नहाए बिना चाय तक नहीं पीते थे। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टेशन पर कई अजनबी आते-जाते हैं, जिनकी व्यक्तिगत स्वच्छता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 5. माता-पिता और दादा-दादी की अच्छी आदतों को याद करें : विश्लेषण करें कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और उनकी सभी या चुनिंदा चीजों को अपनी स्वच्छता की आदतों में शामिल करें- किसी भी वायरस को हराने का सबसे अच्छा तरीका यही है।
फंडा यह है कि हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाई गई पुरानी आदतों को अपनाएं ताकि हम किसी भी वायरस से संक्रमित होने से बच सकें। याद रखें, स्वच्छता का पालन केवल आपातकालीन स्थिति में ही नहीं किया जाता है, इसे रोजाना की आदत बनाना चाहिए।
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
बुधवार शाम मुम्बई के पवई में एक मेडिकल स्टोर पर कुछ दवा खरीदते समय एक दोस्त ने मुझे फोन करके कहा, ‘मैंने एक असामान्य चीज देखी, स्टोर में आने वाले पांच में से चार लोग सैनिटाइजर खरीद रहे हैं।’ जब उन्होंने स्टोर वाले से इस बारे में पूछा, तो उसने कहा यह घबराहट में की गई प्रतिक्रिया हो सकती है, लेकिन हम इसे असामान्य नहीं मानते, क्योंकि कभी-कभी ऐसा हो जाता है।
तभी उन्होंने अपना मोबाइल देखा, जिसमें एक समाचार में बताया गया था कि पवई अस्पताल में छह महीने की बच्ची में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का पहला मामला पाया गया है, जो मुंबई में पहला, महाराष्ट्र में तीसरा और भारत में 11वां मामला है। बेंगलुरु में दो, गुजरात में एक, चेन्नई में दो, कोलकाता में तीन और नागपुर में दो मामले मिले हैं।
चार लोगों का उस तरह के बड़े मेडिकल स्टोर से सैनिटाइजर खरीदना कोई असामान्य बात नहीं, लेकिन खरीदारों के मन में सैनिटाइजर के साथ अपने स्वच्छता मानक को सुरक्षित रखने का विचार आ सकता है। वास्तव में, इस सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले ही कह दिया था कि एचएमपीवी भारत सहित दुनिया भर में पहले से ही प्रचलन में है।
उसने यह भी बताया कि भारत में इससे ग्रस्त पाए गए किसी भी रोगी की कोई ट्रैवल-हिस्ट्री नहीं रही है, जैसी कि कोरोना वायरस के समय थी। एचएमपीवी- जिसे पहली बार 2001 में पहचाना गया था- तभी से पूरी दुनिया में घूम रहा है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सौम्या स्वामीनाथन- जो कोविड-19 के समय विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक थीं- ने कहा ऐसे प्रकोपों पर संगठन द्वारा बारीकी से नजर रखी जा रही है और अभी तक कोई अलर्ट जारी नहीं किया है।
उनका यह कहना सही था कि महामारी के बाद से अधिकांश देश ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म पर सामान्य वायरस, म्यूटेशन और स्ट्रेन की रिपोर्ट कर रहे हैं, इसलिए हर देश को पता चल जाता है कि कोई समस्या आ रही है या नहीं।
उन्होंने हमें केवल सावधानी बरतने की सलाह दी और कहा कि हम घबराएं नहीं। तो ये रही कुछ सावधानियां, जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपना सकता है। ये रॉकेट साइंस नहीं है। हमारी पिछली पीढ़ियों द्वारा नियमित इनका अभ्यास किया जाता था।
1. घर के बाहर जूते उतारें : घर के अंदर कभी भी जूते पहनकर न चलें, क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना आजकल एक नई समस्या बन गई है। 2. हाथों को बार-बार धोना : आप अनजाने में किसी बस या रेस्तरां के हैंडल या किसी ऐसी चीज को छू सकते हैं, जो ऐसे लोगों के सम्पर्क में आई हो जिन्हें आप नहीं जानते। कंप्यूटर की-बोर्ड को छूने या आंखें पोंछने से पहले हाथों को साफ करने या धोने की आदत भी डाल लें। नियमित रूप से हाथ धोने से आप हमेशा ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। 3. घर में आने वाली हर चीज को साफ करें : मुझे याद है जब मेरे पिता गजरा लेकर आते थे तो मां उसे हमेशा पानी से धोती थीं। किसी और वजह से नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि यह सड़क के सामने एक टोकरी में रखे होते थे और मेरे पिता से पहले कई ग्राहकों ने इसे छुआ होता था। इसके अलावा कोशिश करें कि यात्रा के बाद अपने सूटकेस सहित घर के अंदर आने वाली हर चीज को साफ करें। यह एक अच्छी आदत है। 4. काम से लौटने के बाद नहाएं : मेरे पिता रेलवे की नौकरी से घर लौटने के बाद कभी भी नहाए बिना चाय तक नहीं पीते थे। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टेशन पर कई अजनबी आते-जाते हैं, जिनकी व्यक्तिगत स्वच्छता पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 5. माता-पिता और दादा-दादी की अच्छी आदतों को याद करें : विश्लेषण करें कि उन्होंने ऐसा क्यों किया और उनकी सभी या चुनिंदा चीजों को अपनी स्वच्छता की आदतों में शामिल करें- किसी भी वायरस को हराने का सबसे अच्छा तरीका यही है।
फंडा यह है कि हमारे पूर्वजों द्वारा अपनाई गई पुरानी आदतों को अपनाएं ताकि हम किसी भी वायरस से संक्रमित होने से बच सकें। याद रखें, स्वच्छता का पालन केवल आपातकालीन स्थिति में ही नहीं किया जाता है, इसे रोजाना की आदत बनाना चाहिए।
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