फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम : नाइट ब्लड सर्वे को लेकर लैब टेक्नीशियनों को दिया प्रशिक्षण

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फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम : नाइट ब्लड सर्वे को लेकर लैब टेक्नीशियनों को दिया प्रशिक्षण

फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम : नाइट ब्लड सर्वे को लेकर लैब टेक्नीशियनों को दिया प्रशिक्षण

सीतामढ़ी में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की गई है। लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया गया। सर्वे के माध्यम से संभावित मरीजों का पता लगाया जाएगा और अगले वर्ष फरवरी में…

Newswrap हिन्दुस्तान, सीतामढ़ीTue, 15 Oct 2024 12:06 PM
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सीतामढ़ी। जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत होगी। कार्यक्रम को लेकर जिले के सभी प्रखंडों के लैब टेक्नीशियन को एकदिवसीय प्रशिक्षण डीएमसीएच दरभंगा के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में दिया गया। नाइट ब्लड सर्वे के रिपोर्ट के आधार पर जिले के चयनित प्रखंडों में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम का आयोजन अगले साल फरवरी में किया जाएगा। प्रशिक्षण डॉक्टर जीवछ प्रसाद साह, डॉ. प्रियंका कुमारी, डॉक्टर परमजीत कौर व पिरामल के चंद्रेश कर्ण के द्वारा दिया गया। संभावित मरीजों का पता लगाने के लिहाज से सर्वे बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसीलिए नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का उचित माध्यम है। चयनित प्रखंड के दो सत्रों का चुनाव किया जाएगा जहां से 300 – 300 साइड रक्त के नमूने का संग्रह किया जाएगा। यह सर्वे रात में 8:30 के बाद 20 वर्ष से ऊपर के लोगों के रक्त के नमूने लिया जाएगा दोनों सत्र स्थल में से किसी एक स्थल में माइक्रोफाइलेरिया का दर 1 या 1 से अधिक होगा तो उस प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जाएगा अगर माइक्रोफाइलेरिया का दर एक से कम होगा तो वहां एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा। फिर अभियान के बाद उक्त प्रखंड में माइक्रोफाइलेरिया का प्रसार है या नहीं उसका सत्यता की जांच के लिए फ्री- टास्क किया जाएगा। नाइट ब्लड सर्वे एमडीए राउंड से 1 या डेढ़ माह पूर्व व अभियान खत्म होने के 6 माह बाद किया जाता है । एक महीना पूर्व करने का तात्पर्य है लोगों में माइक्रोफाइलेरिया का संक्रमण है या नहीं उस जगह का चुनाव करने के लिए करते हैं। 6 माह के बाद एमडीए राउंड का प्रभाव कितना हुआ यह देखने के लिए किया जाता है।

सामूहिक भागीदारी से जड़ से खत्म होगा फाइलेरिया:

सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। इसलिये लोगों को जांच के लिये आगे आना चाहिए। फाइलेरिया एक असाध्य बीमारी है। फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को रोग का पता वर्षों बाद चलता है। तब तक बीमारी लाइलाज हो चुका होता है। शरीर में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी रात के समय ज्यादा सक्रिय होते हैं। इसलिये नाइट ब्लड सर्वे संभावित रोगियों का पता लगाने का बेहतर जरिया है।

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की क्या रणनीति है:

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2030 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । वहीं राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2027 तक उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके लिए प्रतिवर्ष सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम के तहत 2 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा खिलाई जाती है। जिसमें आम लोगों को जागरूक होना होगा। तभी अभियान को सफल बनाया जा सकता और हमारा समाज फायलेरिया से मुक्त हो सकता है।

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