नदियों की बुझी प्यास तो वीरान धरती हो गयी हरी-भरी

5
नदियों की बुझी प्यास तो वीरान धरती हो गयी हरी-भरी

नदियों की बुझी प्यास तो वीरान धरती हो गयी हरी-भरी

नदियों की बुझी प्यास तो वीरान धरती हो गयी हरी-भरी भू-जलस्तर में बढ़ोतरी होने से बंद हैंडपम्पों से निकलने लगा पानी सिंचाई सुविधा सहज होने से किसानों के साथ पशुपालकों को राहत फोटो नदी : अस्थावां से होकर गुजरने वाली जिराइन नदी में बहती धार। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। लगातार हो रही बारिश और नदियों में पानी आने से एक नहीं कई फायदे हुए हैं। सिंचाई की सुविधा बेहतर होने से जिले में धनरोपनी लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। बड़ी राहत यह कि जिन-जिन इलाकों से होकर गुजरने वाली नदियों में पानी आया है, वहां के भू-जलस्तर में दो से तीन फीट तक औसत बढ़ोतरी हो गयी है। बड़ी बात तो यह भी कि कुछ प्रखंडों में पांच फीट से भी अधिक जलस्तर ऊपर आया है। इससे बंद पड़े कई हैंडपम्प पानी उगलने लगा है। इतना ही नहीं उन वार्डों के नल-जल से भी पानी की आपूर्ति बहाल हो गयी, जिनमें भू-जलस्तर में गिरावट के कारण जलसंकट की समस्या उत्पन्न हो रही थी। अच्छी बात यह भी कि नहर, पइन और तालावों में पानी भरने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। इससे सूखे की मार के बीच वीरान पड़ी धरती अब हरी-भरी हो गयी है। पीएचईडी के आंकड़ों पर गौर करें तो जून के बाद जुलाई में भी बारिश कम होने से जिले का भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा था। 31 जुलाई तक जिले का औसत जलस्तर करीब 44 फीट से पार हो गया है। नौबत ऐसी कि जिले के 20 में से तीन प्रखंडों के सभी गांव डेंजर जोन में आ गये थे। परवलपुर, एकंगरसराय और बेन प्रखंड में औसत जलस्तर 50 फीट से नीचे चला गया था। घटते जलस्तर के साथ खेतों में सिंचाई के लिए लगी पुरानी बोरिंग(जिसकी गहरायी कम है) फेल हो चुकी थी। हद तो यह कि सबमर्सेबल मोटर से भी कम पानी दे रहा था। हैंडपम्पों की स्थिति अच्छी नहीं थी। नौबत ऐसी कि वाटर लेवल के कारण फेल हो रही नल-जल की बोरिंग में अतिरिक्त पाइप जोड़कर जलापूर्ति बहाल करने में विभाग हांफ रहा था। नदियों में पानी आने से न सिर्फ भू-जलस्तर में जारी गिरावट पर रोक लगी है। बल्कि, तेजी से बढ़ोतरी भी हो रही है। जिले के पश्चिमी भाग से होकर गुजरने वाली लोकाइन, भूतही, कुम्भारी, कड़ुआ नदियों में पानी आने से वाटर लेवर की स्थिति में काफी सुधार आया है। हिलसा के पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बालमुकुंद कुमार बताते हैं कि उनके अनुमंडल क्षेत्र के करायपरसुराय, हिलसा, एकंगरसराय, इस्लामपुर समेत आठ प्रखंडों में भू-जलस्तर में करीब आठ से 10 फीट तक की बढ़ोतरी हुई है। नल-जल की बोरिंग से पानी आपूर्ति समान्य हो गयी है। इसी तरह, बिहारशरीफ अनुमंडल क्षेत्र में आने वाले 12 प्रखंडों के भी भू-जलस्तर में सुधार हुआ है। वीरान पड़े खेत हुए आबाद: करायपरसुराय के पवन कुमार, मनोज कुमार व अन्य कहते हैं कि नदियों में आने से वीरान पड़े खेत आबाद हो गये है। लक्ष्य का करीब 97 फीसद धनरोपनी हो चुकी है। दो-तीन दिनों में शत प्रतिशत रोपनी हो जाने की पूरी उम्मीद है। हिलसा के रवीन्द्र कुमार, शंकर कुमार व अन्य कहते हैं कि लगातार हो रही बारिश से खाली खेतों में हरियाली की चादर बीछ गयी है। हरे-भरे घास उगल आये हैं। इससे मवेशियों को हरा चारा की किल्लत दूर हो गयी है। दुधारु मवेशी भरपेट भोजन कर रहे हैं तो दूध के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होने लगी है। 30 नदियों को अब भी पानी का इंतजार: जिले में छोटी-बड़ी 40 नदियां हैं। 10 में पानी आया है। जबकि, 30 नदियों को अब भी पानी का इंतजार है। बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बारिश का मिजाज कुछ दिन यूं बना रहा तो अन्य नदियों में भी जल्द ही पानी की धार बहने की उम्मीद है। राहत यह भी कि वर्तमान में एक भी नदी का जलस्तर लाल निशान के पार नहीं हुआ है। इससे बाढ़ की संभावना अभी नहीं दिख रही है। लक्ष्य से महज दो कदम दूर है नालंदा में धनरोपनी रोपनी के लिए 25 अगस्त तक है अनुकूल समय अस्थावां व बिहारशरीफ में हो चुकी है सौ फीसद रोपनी फोटो खेत : खेतों में लहलहातीं धान की फसल। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिध। जून और जुलाई में भले ही नालंदा में समान्य से कम बारिश हुई। लेकिन, अगस्त में मौसम किसानों पर मेहरबान है। रुक रुककर कभी तेज तो कभी हल्की बारिश हो रही है। बारिश का साथ मिला तो लक्ष्य का 98 फीसद धनरोपनी हो चुकी है। अस्थावां और बिहारशरीफ प्रखंडों में तो सौ फीसद रोपनी हो चुकी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 25 अगस्त तक रोपनी करने का अनुकूल समय है। कृषि विभाग भी यह मानकर चल रहा है कि शेष बचे पांच दिनों में रोपनी का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। खरीफ सीजन में जिले में 1,46,350 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है। इसके विरुद्ध अबतक 1.43.869 हेक्टेयर में रोपनी हो चुकी है। अब महज 98 हेक्टेयर खेत ही खाली रह गये हैं, जिसमें रोपनी करनी है। गिरियक, बेन, चंडी, रहुई, सरमेरा, कतरीसराय और सिलाव प्रखंडों में लक्ष्य का 99 फीसद रोपनी कर ली गयी है। जबकि, हरनौत, बिंद और नूरसराय में अबतक लक्ष्य का 98 फीसद फसल लग चुकी है। इन सबके बीच एकंगरसराय के किसान धान की रोपनी करने में सबसे पीछे हैं। अबतक यहां 95 फीसद ही रोपनी हो सकी है। सरदार बिगहा के किसान धनंजय कुमार, नूरसराय के संजीव कुमार, अस्थावां के प्रेम रंजन कहते हैं कि बारिश के बाद खेतों में नमी आने से धनरोपनी करना आसान हो गया है। बारिश धान की फसलों के लिए संजीवनी है।

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News