अधिक बारिश से पान की फसल में लगा गलन रोग, 50 फीसदी पौधे नष्ट h3>
अधिक बारिश से पान की फसल में लगा गलन रोग, 50 फीसदी पौधे नष्ट किसानों की बढ़ी परेशानी, बरेजा में पौधों की सही से नहीं हो रही बढ़ोतरी राजगीर व इस्लामपुर प्रखंडों के दर्जनों गांवों की मुख्य खेती है पान फोटो : पान खेत : इस्लामपुर में बैराज में लगे पान के पौधे। खुदागंज, निज संवाददाता/अमित चौरसिया। बारिश न होने की वजह से किसानों की आंखें नम हो रही थीं। अचानक बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। धान की रोपनी में तेजी आयी है। वहीं इस्लामपुर और राजगीर प्रखंडों के दर्जनों गांव के पान किसानों को यह बारिश रुला रही है। नए पान वाले बरेजा में लगातार बारिश से पान के पौधों में गलन रोग लगने से लगभग 50 फीसदी पान के पौधे गलकर नष्ट हो गए हैं। इससे किसानों की परेशानी काफी बढ़ गयी है। बरेजा में पौधों की सही से बढ़ोतरी नहीं हो रही है। बारिश के कारण गल रहे पौधों ने पान के किसान काफी चिंतित हैं। इस्लामपुर प्रखंड के पान किसान मुन्ना चौरसिया, अवधेश चौरसिया, सिद्धनाथ चौरसिया, प्रमोद चौरसिया, कमलेश चौरसिया व अन्य ने बताया कि अधिक बारिश से पान के फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पुराने बरेजा के लिए अमृत है यह बारिश : पान कृषक बताते हैं नए वाले पान के बरेजा में अभी फसल सही से बढ़ी ही नहीं है। अभी वे तैयार नहीं हुए हैं। छोटा होने के कारण ही अधिक बारिश होने से वे पौधे गल रहे हैं। वहीं पुराने वाले पान के बरेजा में अभी ‘कमौनी’ बड़े हुए पौधा को छोटे करने की विधि हो रही है। इस दौरान बारिश होने से पुराने वाले फसल को काफी फायदा हो रहा है। पान से तेल निकालने वाले उपकरण से किसान को फायदा नहीं : इस्लामपुर स्थित पान अनुसंधान केंद्र में स्थापित तेल आसवन इकाई को सालों पहले लगाया गया था। इसके लगने से पान किसानों के चेहरों पर एक अलग ही मुस्कान आयी थी। लेकिन, इस मशीन से निकलने वाले तेल से मिलने वाले रकम से किसान खुश नहीं थे। ट्रायल के दौरान मौजूद मुन्ना चौरसिया ने बताया कि औसत से काफी कम तेल निकल रहा था। हमलोगों को इससे अधिक कीमत गया और खुदागंज के बाजार में पान का पत्ता बेचने से मिलता है। तेल की बनिस्पत पत्ते बेचने से किसानों को मिल रहा अधिक मुनाफा : तेल आसवन इकाई से पान के पत्ते से तेल निकालकर इसे बाजार में बेचने की व्यवस्था की गयी थी। मशीन से इसकी जांच भी की गयी थी। इसमें 35 किलोग्राम पत्ता से मात्र 100 मिलीलीटर ही तेल निकला। इसकी किमत बाजार में बामुश्किल एक हजार रुपए होगी। जबकि, 35 किलोग्राम पत्ता को बाजार में बेचकर किसान आसानी से आठ से 10 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। यानि तेल की बनिस्पत पत्ते को बेचने से किसानों को अधिक मुनाफा मिल रहा है। इस कारण इस इकाई का किसानों को कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा है। अलबत्ता इसकी पैदावार अधिक होने व बाजार में मांग कम होने पर इससे तेल बनाकर इसे स्टोर किया जा सकता है। कहते हैं अधिकारी : तेल आसवन इकाई से पान के पत्ते से काफी कम तेल निकलता है। इस कारण किसान उदासिन हैं। हालांकि, मशीन चालू है। इससे तुलसी, लेमन ग्रास, मेंथा जैसे सुगंधित पौधों से तेल निकाला जाता है। एसएन दास, प्रभारी पदाधिकारी, पान अनुसंधान केंद्र
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अधिक बारिश से पान की फसल में लगा गलन रोग, 50 फीसदी पौधे नष्ट किसानों की बढ़ी परेशानी, बरेजा में पौधों की सही से नहीं हो रही बढ़ोतरी राजगीर व इस्लामपुर प्रखंडों के दर्जनों गांवों की मुख्य खेती है पान फोटो : पान खेत : इस्लामपुर में बैराज में लगे पान के पौधे। खुदागंज, निज संवाददाता/अमित चौरसिया। बारिश न होने की वजह से किसानों की आंखें नम हो रही थीं। अचानक बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। धान की रोपनी में तेजी आयी है। वहीं इस्लामपुर और राजगीर प्रखंडों के दर्जनों गांव के पान किसानों को यह बारिश रुला रही है। नए पान वाले बरेजा में लगातार बारिश से पान के पौधों में गलन रोग लगने से लगभग 50 फीसदी पान के पौधे गलकर नष्ट हो गए हैं। इससे किसानों की परेशानी काफी बढ़ गयी है। बरेजा में पौधों की सही से बढ़ोतरी नहीं हो रही है। बारिश के कारण गल रहे पौधों ने पान के किसान काफी चिंतित हैं। इस्लामपुर प्रखंड के पान किसान मुन्ना चौरसिया, अवधेश चौरसिया, सिद्धनाथ चौरसिया, प्रमोद चौरसिया, कमलेश चौरसिया व अन्य ने बताया कि अधिक बारिश से पान के फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पुराने बरेजा के लिए अमृत है यह बारिश : पान कृषक बताते हैं नए वाले पान के बरेजा में अभी फसल सही से बढ़ी ही नहीं है। अभी वे तैयार नहीं हुए हैं। छोटा होने के कारण ही अधिक बारिश होने से वे पौधे गल रहे हैं। वहीं पुराने वाले पान के बरेजा में अभी ‘कमौनी’ बड़े हुए पौधा को छोटे करने की विधि हो रही है। इस दौरान बारिश होने से पुराने वाले फसल को काफी फायदा हो रहा है। पान से तेल निकालने वाले उपकरण से किसान को फायदा नहीं : इस्लामपुर स्थित पान अनुसंधान केंद्र में स्थापित तेल आसवन इकाई को सालों पहले लगाया गया था। इसके लगने से पान किसानों के चेहरों पर एक अलग ही मुस्कान आयी थी। लेकिन, इस मशीन से निकलने वाले तेल से मिलने वाले रकम से किसान खुश नहीं थे। ट्रायल के दौरान मौजूद मुन्ना चौरसिया ने बताया कि औसत से काफी कम तेल निकल रहा था। हमलोगों को इससे अधिक कीमत गया और खुदागंज के बाजार में पान का पत्ता बेचने से मिलता है। तेल की बनिस्पत पत्ते बेचने से किसानों को मिल रहा अधिक मुनाफा : तेल आसवन इकाई से पान के पत्ते से तेल निकालकर इसे बाजार में बेचने की व्यवस्था की गयी थी। मशीन से इसकी जांच भी की गयी थी। इसमें 35 किलोग्राम पत्ता से मात्र 100 मिलीलीटर ही तेल निकला। इसकी किमत बाजार में बामुश्किल एक हजार रुपए होगी। जबकि, 35 किलोग्राम पत्ता को बाजार में बेचकर किसान आसानी से आठ से 10 हजार रुपए तक कमा लेते हैं। यानि तेल की बनिस्पत पत्ते को बेचने से किसानों को अधिक मुनाफा मिल रहा है। इस कारण इस इकाई का किसानों को कोई विशेष फायदा नहीं हो रहा है। अलबत्ता इसकी पैदावार अधिक होने व बाजार में मांग कम होने पर इससे तेल बनाकर इसे स्टोर किया जा सकता है। कहते हैं अधिकारी : तेल आसवन इकाई से पान के पत्ते से काफी कम तेल निकलता है। इस कारण किसान उदासिन हैं। हालांकि, मशीन चालू है। इससे तुलसी, लेमन ग्रास, मेंथा जैसे सुगंधित पौधों से तेल निकाला जाता है। एसएन दास, प्रभारी पदाधिकारी, पान अनुसंधान केंद्र