Bihar Land Survey : संयुक्त जमाबंदी में जमीन बेचने के लिए एक पक्ष की नहीं चलेगी मनमानी, दाखिल-खारिज का नया नियम

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Bihar Land Survey : संयुक्त जमाबंदी में जमीन बेचने के लिए एक पक्ष की नहीं चलेगी मनमानी, दाखिल-खारिज का नया नियम

Bihar Land Survey : संयुक्त जमाबंदी में जमीन बेचने के लिए एक पक्ष की नहीं चलेगी मनमानी, दाखिल-खारिज का नया नियम

बिहार में जमीन का सर्वे चल रहा है। इस बीच अब जमीन के दाखिल-खारिज को लेकर नए मॉडल को भी पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है। कई बार ऐसा हुआ है कि संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में कोई एक पक्ष जमीन की खरीद-बिक्री कर लेता था और फिर इसे लेकर लंबा विवाद चलता था। लेकिन अब दाखिल-खारिज के नए नियम से इस तरह के विवाद को रोकने में मदद मिलेगी। दरअसल दाखिल-खारिज के लिए दिसंबर 2023 से प्रायोगिक तौर पर पटना जिले के पालीगंज में शुरू किए गए मॉडल को अब पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। 14 अगस्त को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है।

विभाग के सचिव जय सिंह ने इस मॉडल के पूरे प्रदेश में लागू होने की सूचना देते हुए सभी डीएम को इसी के अनुरूप दाखिल-खारिज कराने का निर्देश दिया है। नये मॉडल में दाखिल-खारिज प्रक्रिया में कई बदलाव कर इसे आसान किया गया है। आवेदकों को भी कई तरह के बंधनों से मुक्ति दी गई है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने अपने आदेश में कहा है कि 38 जिलों के सभी 534 अंचलों में 2018 से दाखिल-खारिज की ऑनलाइन प्रक्रिया लागू है, लेकिन इसमें कई तरह की गड़बड़ी देखी गई। पुराने सॉफ्टवेयर में आवेदन में त्रुटि रहने पर सुधार कर दोबारा आवेदन का विकल्प नहीं था। इससे एक बार आवेदन खारिज होने पर दोबारा डीसीएलआर कोर्ट के आदेश पर ही दाखिल-खारिज की प्रक्रिया शुरू हो पाती थी। जांच के नाम पर बड़ी संख्या में आवेदन लटकाए जा रहे थे।

इसके अलावा, पुराने सॉफ्टवेयर में फर्स्ट कम, फर्स्ट आउट व्यवस्था की भी अनेदखी के मामले बढ़ रहे थे। एक जमीन की संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में एक ही व्यक्ति जमीन की बिक्री कर देता था, जिससे मामला विवादित हो जा रहा था। इन समस्याओं के निदान के लिए विभाग ने नया सॉफ्टवेयर विकसित किया, जिसे मॉडल के रूप में पटना के पालीगंज अंचल में लागू किया गया। यहां प्रयोग सफल होने पर अब इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है।

त्रुटि जांच के लिए समय निर्धारित

पुराने सॉफ्टवेयर में त्रुटि जांच की समय सीमा तय नहीं होने से कर्मचारी व सीओ जांच के नाम पर आवेदन महीनों लटकाए रखते थे। नये मॉडल में त्रुटि जांच के लिए सीओ 24 घंटे में आदेश देंगे। वह आदेश जारी नहीं करेंगे तो आवेदन स्वत आवेदक के लॉगइन में चला जाएगा, ताकि वह सुधार कर दोबारा आवेदन कर सकें। सीओ दोबारा मिले आवेदन पर आदेश जारी नहीं करते हैं तो वह अगले 24 घंटे बाद जांच के लिए स्वत कर्मचारी के लॉगइन में चला जाएगा। राजस्व कर्मचारी इस आवेदन को खारिज नहीं कर सकेंगे, उनके पास सिर्फ स्वीकृत का विकल्प रहेगा। आवेदन स्वीकृत होने के बाद बाकी दस्तावेजों की जांच के लिए तीन दिन का समय तय है।

मिली दोबारा संशोधित आवेदन की सुविधा

पुराने सॉफ्टवेयर में आवेदन में त्रुटि होने पर आवेदन ही निरस्त हो जाता था। एक बार निरस्त होने पर दोबारा आवेदन की सुविधा नहीं थी। ऐसे में डीसीएलआर कोर्ट के आदेश पर ही दोबारा आवेदन कर सकते थे। नये मॉडल में त्रुटि दूर कर दोबारा आवेदन करने की सुविधा दी गई है।

मिलेगा ऑनलाइन टोकन नंबर

पूर्व में आवेदन के बाद सिर्फ आवेदन संख्या मिलती थी। नये मॉडल में आवेदन के साथ ही आवेदक को एक टोकन नंबर भी मिलेगा। इससे उसे पता चल पाएगा कि कितने नंबर के टोकन का निष्पादन हो गया है और उसकी बारी कब आएगी। इसके अलावा, पुराने मॉडल में संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में एक भी जमाबंदीधारी बिना अन्य की सहमति के जमीन की खरीद-बिक्री कर लेता था। अब संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में सभी जमाबंदीधारी की सहमति जरूरी होगी।

एक से अधिक साक्ष्य पर सुनवाई

पहले आवेदन के साथ एक ही साक्ष्य अपलोड करने का विकल्प था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है। अब दाखिल-खारिज के लिए एक से अधिक साक्ष्य भी अपलोड किए जा सकेंगे। अब सीओ आवेदक का पक्ष सुने बिना दाखिल-खारिज का आवेदन निरस्त नहीं कर सकेंगे। उन्हें आवेदक का पक्ष सुनना और रिकॉर्ड पर लाना होगा।

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