किला मैदान : ले रहे थे नमूना, निकला प्राचीन ट्वायलेट ब्लॉक व पक्की घेराबंदी

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किला मैदान : ले रहे थे नमूना, निकला प्राचीन ट्वायलेट ब्लॉक व पक्की घेराबंदी

किला मैदान : ले रहे थे नमूना, निकला प्राचीन ट्वायलेट ब्लॉक व पक्की घेराबंदी

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किला मैदान : ले रहे थे नमूना, निकला प्राचीन ट्वायलेट ब्लॉक व पक्की घेराबंदी
खुदाई की गयी 9 मीटर गहराई की 20 परतों के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक ने लिये दर्जनों नमूने

पूर्व मौर्यकालीन उगने वाली फसलों, खान-पान, वातावरण की हकीकत का पता लगाने का हो रहा प्रयास

फोटो :

किला मैदान : राजगीर किला मैदान में नमूना एकत्रित करतीं लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ. अंजलि त्रिवेदी, एएसआई के खनन पुरातत्वविद डॉ. सुजीत नयन व अन्य।

राजगीर, कार्यालय संवाददाता।

अति प्राचीन काल के कई शासनकालों का गवाह रहे राजगीर किला मैदान की खुदाई में गुरुवार को एक और नयी कड़ी जुड़ गयी। हर अवशेष की उम्र व स्थल के काल की तिथि तय करने आयीं बीरबल साहनी इंस्टीच्यूट ऑफ पैलियो बॉटनी साइंस लखनऊ की वैज्ञानिक डॉ. अंजलि त्रिवेदी को नमूना संग्रह में मदद करते वक्त खनन पुरातत्विद डॉ. सुजीत नयन को एक और नया प्राक् अवशेष हाथ लग गया। उन्हें ट्वायलेट ब्लॉक (शौचालयों के समूह) के चारों ओर चूना-सुरकी से बनी घेराबंदी होने का प्रमाण मिल गया। इसे पाकर उन्होंने कहा कि नगरीय व्यवस्था का यह सबसे बड़ा सबूत हाथ लगा है।

खुदाई की गयी नौ मीटर गहराई की कुल 20 परतों के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक ने दर्जनों नमूने लिये। वैज्ञानिक ने बताया कि पूर्व मौर्यकालीन कई अवशेष यहां से मिले हैं। ऐसे में उनकी कार्बन डेटिंग की जाएगी। ताकि, वैज्ञानिक तरीके से उनके काल निर्धारित किये जा सकें। साथ ही, उस काल में उगायी वाली फसलों, खान-पान व वातावरण की हकीकत का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। नमूना के रासायनिक विश्लेषण के बाद इन तथ्यों पर से पूरी तरह पर्दा हट जाएगा। यह भी पता चलेगा कि यहां कब से मानव की गतिविधियां रही हैं। वे खान-पान के लिए कौन-सी फसल उगाते थे। घरों के आस-पास कौन-कौन पौधे लगाते थे। कल्चरल-क्लाइमेट रिलेशनशिप पर लोकस आंकड़े से मगध की राजधानी रहे राजगृह के अतीत की हर गतिविधि को जाना जा सकेगा।

पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के उत्खनन अधीक्षक डॉ. सुजीत नयन के साथ डॉ. अंजलि त्रिवेदी ने सभी उत्खनन साइट को बारीकी से देखा। डॉ. अंजलि त्रिवेदी ने बताया कि पैलियो बॉटनी साइंस के अध्ययन के बाद अतिशीघ्र ही किले मैदान के अंदर के छुपे इतिहास के निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा। पुरावनस्पति विज्ञान से इस प्राचीन नगरीय सभ्यता को बहुत जल्द देश-दुनिया जानेगी। उत्खनन अधीक्षक सुजीत नयन ने बताया कि पुरातत्विक अवशेषों के पुरातत्विदों के अध्ययन के बाद कार्बन डेटिंग और पैलियो बॉटनी के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकेगा।

उत्खनन अधीक्षक डॉ. सुजीत नयन ने कहा कि बीते सात माह की खुदाई में ही बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। उत्खनन के शुरुआती सर्वे से लेकर कार्बन डेटिंग व वैज्ञानिक अध्ययन की प्रकिया काफी उत्सुक करने वाली रही। किला मैदान की खुदाई में मिले भिन्न-भिन्न कालखंडों के पुरातात्विक अवशेष एक समृद्ध राज्य का जीता जागता उदाहरण है। वैज्ञानिक अध्ययन के बाद बहुत जल्द किले का इतिहास एक निष्कर्ष पर पहुंचेगा। मौके पर साइट इंचार्ज राहुल श्रीवास्तव सहित अन्य भी मौजूद थे।

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