सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट: तिलहन उत्पादन में भारत बनेगा आत्मनिर्भरता | India will become self-reliant in oilseed | News 4 Social

10
सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट: तिलहन उत्पादन में भारत बनेगा आत्मनिर्भरता | India will become self-reliant in oilseed | News 4 Social

सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट: तिलहन उत्पादन में भारत बनेगा आत्मनिर्भरता | India will become self-reliant in oilseed | News 4 Social

यह भी पढ़ें

Lok Sabha Election 2024 : सचिन पायलट ने ये क्या कह दिया? आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे

सरसों मॉडल फार्म अभियान, भारत तिलहन उत्पादन में बनेगा आत्मनिर्भरता

द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और सॉलिडेरिडाड की ओर से 2020-21 में शुरू किया गया सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट अब भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता बनने की दिशा में सहायक सिद्ध हो रहा है। अब तक पांच राज्यों में 3500 से अधिक सरसों मॉडल फार्म स्थापित किए गए हैं, जिससे 1,22,500 से अधिक किसानों को लाभ मिला हैं। सरसों मॉडल फार्म अभियान में किए गए प्रयासों के कारण अनुकूल मौसम में भी भारत में प्रतिवर्ष सरसों के उत्पादन में जोरदार बढ़ोतरी देखी जा रही है। 2020-21 में 8.6 मिलियन टन, 2021-22 में 11.00 मिलियन टन और 2022-23 में 11.35 मिलियन टन सरसों का उत्पादन किया गया है। इसके अलावा प्रतिवर्ष सरसों की बुआई क्षेत्रफल में भी विस्तार हुआ है। 2020-21 में इसे 6.70 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया था, वहीं 2022-23 में यह बढ़कर 8.80 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया। वर्ष 2023-24 सीज़न में सरसों का उत्पादन 12.0 मिलियन टन और 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई के सर्वकालिक उच्च स्तर को छूने की संभावना है, जिससे खाद्य तेलों की घरेलू आपूर्ति में वृद्धि संभव है।

यह भी पढ़ें

राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती पर नया अपडेट, उत्कृष्ट खिलाड़ी कोटे के ऑनलाइन आवेदन की अवधि बढ़ी

पांच राज्यों में 3500 मॉडल फार्म स्थापित

सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट 2020-21 में राजस्थान के पांच जिलों में 400 मॉडल फार्म के साथ शुरू किया गया था। 2021-22 में परियोजना को 500 अतिरिक्त मॉडल फार्म के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश में इसका विस्तार किया गया। 2022-23 में 1234 मॉडल फार्म विकसित किए गए हैं। इस साल राजस्थान और मध्यप्रदेश के साथ ही परियोजना का विस्तार अयोध्या और संगरूर में भी किया गया हैं। 2023-24 में वाराणसी और कर्नाटक में सरसों मॉडल फार्म प्रोजेक्ट शुरू किया गया। इस तरह पांच राज्यों में अब तक 3500 से अधिक मॉडल फार्म स्थापित किए जा चुके हैं।

यह भी पढ़ें

Weather Update: मौसम विभाग का अलर्ट, राजस्थान में जल्द शुरू होगा गरमी का कहर

क्या है सरसो मॉडल फार्म प्रोजेक्ट

सरसो मॉडल फार्म प्रोजेक्ट के तहत, सरसों के मॉडल फार्म विकसित किए जाते हैं, जिसमें खेत की तैयारी, बीज तैयार करने, बुवाई प्रबंधन, पोषक तत्व प्रबंधन, उर्वरक, पौधों के विकास प्रबंधन, सिंचाई का समय निर्धारण और कटाई आदि में किसानों को सहायता दी जाती है। यह मॉडल फार्म आसपास के सभी किसानों के लिए एक आदर्श के रूप में काम करते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से किसानों को सरसों के उत्पादन में उन्नत एवं वैज्ञानिक तकनीक को समझने में मदद मिलती है, जिससे फसल उत्पादन में वृद्धि संभव होती है। तकनीकी-आर्थिक सहयोग के अतिरिक्त परियोजना के तहत किसानों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए प्रत्येक ब्लॉक में किसान फील्ड स्कूल की व्यवस्था भी की गई है। यह किसान फील्ड स्कूल एक सशक्त सामुदायिक संस्था के रूप में कार्य करते हैं जहां किसान एक दूसरे के साथ अपनी समझ को साझा करते हैं। किसान फील्ड स्कूल के माध्यम से किसानों में कृषि से संबंधित तकनीकी ज्ञान और समझ को विकसित करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त करने और मार्केट लिंक के माध्यम से आय में वृद्धि भी सुनिश्चित करता है। इसके अतिरिक्त किसानों को डिजिटल एप्लिकेशन-आधारित कृषि प्रणाली से भी जोड़ा गया है, ताकि पर्यावरण परिवर्तन के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से बचाव किया जा सके।

यह भी पढ़ें

“दाल बाटी चूरमा-वोटर म्हारा सूरमा..”, राजस्थान में गूंजा पीएम मोदी का नया नारा

देश में बढ़ेगी किसानों की आजीविका

द सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला का कहना है कि इस प्रोजेक्ट ने न केवल सरसों उत्पादन वृद्धि में सहयोग किया है, बल्कि पूरे देश में किसानों की आजीविका बढ़ाने का मार्ग भी प्रशस्त किया है। हम सकारात्मक परिणामों से प्रोत्साहित है और इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारत में कृषि क्षेत्र की समृद्धि में योगदान देती है। हम सरसों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देख रहे हैं, जो खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है। एसईए रेप-मस्टर्ड प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष विजय डाटा और सॉलिडरीडाड एशिया के महाप्रबंधक डॉ. सुरेश मोटवानी ने कहा कि यह प्रोजेक्ट भारत की आयात तेलों पर निर्भरता कम करने और खाद्य सुरक्षा में योगदान देने में सहायक सिद्धह होगा।

राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News