#KaviSammelan : सुबह तक कांग्रेस की थी शाम को भाजपाई हो गई… देखें वीडियो | Kavi Sammelan at birth anniversary of Karpoor Chandra Kulish. | News 4 Social h3>
पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद्र कुलिश के जन्म जयंती महोत्सव पर आयोजित कवि सम्मेलन में देर रात तक बरसे हास्य, वीर, सौंदर्य रस के रंग
कवि सम्मेलन में सबसे पहले आजमगढ़ के कवि डॉ. प्रशांत मिश्रा ने हास्य की कविताओं से श्रोताओं को जमकर हंसाया। उनकी कविता झील के किनारे जिसे चाउमीन खिलाई थी, किसी और की लुगाई हो गई, सुबह तक कांग्रेस की थी शाम को भाजपाई हो गई…। ने वर्तमान परिद्श्य पर व्यंग्य करते हुए श्रोताओं को गुदगुदा दिया।
खंडवा के कवि अकबर ताज ने भावुकतापूर्ण गजलों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनकी कविता, पड़ोसी से वो छलनी मांगा नहीं करती मेरी बेटी दुपट्टे से आटा छान लेती है… , हमी सुजलाम वाले हैं, हमी सुफलाम वाले हैं, वुजू करते हैं गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं.. ने सर्वधर्म समभाव को संदेश दिया जबकि नौजवान पीढ़ी के लिए पढ़ी गई कविता, मुख पे जिनके धर्म का गायन होना था और सुबह राम नारायण होना था, मात पिता ने दिया मोबाइल बच्चों को, हाथ में गीता रामायण होना था…जमकर सराही गईं। भोपाल के कवि दीपक दनादन ने मंच का संचालन करते हुए अपनी हास्य रस की चुटकियों व मुक्तकों के जरिए कवि सम्मेलन को गति दी।
कवि पंकज ने पढ़ा कि … चली अमरकंटक से वह कल्याणी, वह भाग्य विधाता, जब जबलपुर में आती हैं तो धुआंधार हो जाती हैं। कवि अमित ने कर्ज पर कर्ज बढ़ता रहा, फर्ज बढ़ता रहा कोशिशें जितनी भी की, काम बिगड़ता रहा। इश्क की जंग वो क्या लिखे जो गरीबी से लड़ता रहा। मुझे तकदीर वाला कह रही है दुनिया, पसीने की नदी पैरों के छाले किसने देखे हैं, मुझे तो जिंदगी में आवारगी करनी नहीं आई, उसूलों की कभी बाजीगरी करनी नहीं आई, बहुत मन था उसे चुपचाप छूकर देख लूं लेकिन गिरी हरकत मुझे कोई कभी करनी नहीं आई।.. से महफिल लूट ली।
प्रियंका मिश्रा की पंक्तियां …. भरा अज्ञान मुझमें मां मेरी आवाज बन जाओ, मेरा अंजाम अच्छा हो अगर आगाज बन जाओ। मेरे रग-रग में बसकर मां मेरा अंदाज बन जाओ,। मात रेवा की हम सादगी से मिले, उसको छूकर नई ताजगी से मिले से मौजूदगी दर्ज कराई।
दिनेश देहाती ने कहा ये दुनिया हंसना न भूल जाए इसलिए बादशाह होकर भी जोकर बना रहा। सहज सामान्य से हटकर कुछ खास लिखा जाता है, ये जबलपुर है यंहा संस्कृति विश्वास लिखा जाता है। पत्रिका ने जैसी अलख जगाई है यहां वैसे ही इतिहास लिखा जाता है।
हास्य रस में व्यंग्य का भी समावेश
कवि राकेश राकेन्दु ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर व्यंग्य करते हुए हास्य रस की कविता सुनाई तो श्रोता वाह-वाह कर उठे। उन्होंने एक ही विषय पर विभिन्न कवियों की कवि और पाठ के तरीके की प्रस्तुति से अपने सृजनात्मक कौशल और विविधता का परिचय दिया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस दौरान जोनल मार्केटिंग हेड अजय शर्मा, जोनल सर्कुलेशन हेड हेमंत चौधरी, ब्रांच मैनेजर पंकज शर्मा, अशोक श्रीमाल, मार्केटिंग हेड नीलेश सिंघई मौजूद थे।
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पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद्र कुलिश के जन्म जयंती महोत्सव पर आयोजित कवि सम्मेलन में देर रात तक बरसे हास्य, वीर, सौंदर्य रस के रंग
कवि सम्मेलन में सबसे पहले आजमगढ़ के कवि डॉ. प्रशांत मिश्रा ने हास्य की कविताओं से श्रोताओं को जमकर हंसाया। उनकी कविता झील के किनारे जिसे चाउमीन खिलाई थी, किसी और की लुगाई हो गई, सुबह तक कांग्रेस की थी शाम को भाजपाई हो गई…। ने वर्तमान परिद्श्य पर व्यंग्य करते हुए श्रोताओं को गुदगुदा दिया।
खंडवा के कवि अकबर ताज ने भावुकतापूर्ण गजलों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उनकी कविता, पड़ोसी से वो छलनी मांगा नहीं करती मेरी बेटी दुपट्टे से आटा छान लेती है… , हमी सुजलाम वाले हैं, हमी सुफलाम वाले हैं, वुजू करते हैं गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं.. ने सर्वधर्म समभाव को संदेश दिया जबकि नौजवान पीढ़ी के लिए पढ़ी गई कविता, मुख पे जिनके धर्म का गायन होना था और सुबह राम नारायण होना था, मात पिता ने दिया मोबाइल बच्चों को, हाथ में गीता रामायण होना था…जमकर सराही गईं। भोपाल के कवि दीपक दनादन ने मंच का संचालन करते हुए अपनी हास्य रस की चुटकियों व मुक्तकों के जरिए कवि सम्मेलन को गति दी।
कवि पंकज ने पढ़ा कि … चली अमरकंटक से वह कल्याणी, वह भाग्य विधाता, जब जबलपुर में आती हैं तो धुआंधार हो जाती हैं। कवि अमित ने कर्ज पर कर्ज बढ़ता रहा, फर्ज बढ़ता रहा कोशिशें जितनी भी की, काम बिगड़ता रहा। इश्क की जंग वो क्या लिखे जो गरीबी से लड़ता रहा। मुझे तकदीर वाला कह रही है दुनिया, पसीने की नदी पैरों के छाले किसने देखे हैं, मुझे तो जिंदगी में आवारगी करनी नहीं आई, उसूलों की कभी बाजीगरी करनी नहीं आई, बहुत मन था उसे चुपचाप छूकर देख लूं लेकिन गिरी हरकत मुझे कोई कभी करनी नहीं आई।.. से महफिल लूट ली।
प्रियंका मिश्रा की पंक्तियां …. भरा अज्ञान मुझमें मां मेरी आवाज बन जाओ, मेरा अंजाम अच्छा हो अगर आगाज बन जाओ। मेरे रग-रग में बसकर मां मेरा अंदाज बन जाओ,। मात रेवा की हम सादगी से मिले, उसको छूकर नई ताजगी से मिले से मौजूदगी दर्ज कराई।
दिनेश देहाती ने कहा ये दुनिया हंसना न भूल जाए इसलिए बादशाह होकर भी जोकर बना रहा। सहज सामान्य से हटकर कुछ खास लिखा जाता है, ये जबलपुर है यंहा संस्कृति विश्वास लिखा जाता है। पत्रिका ने जैसी अलख जगाई है यहां वैसे ही इतिहास लिखा जाता है।
हास्य रस में व्यंग्य का भी समावेश
कवि राकेश राकेन्दु ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर व्यंग्य करते हुए हास्य रस की कविता सुनाई तो श्रोता वाह-वाह कर उठे। उन्होंने एक ही विषय पर विभिन्न कवियों की कवि और पाठ के तरीके की प्रस्तुति से अपने सृजनात्मक कौशल और विविधता का परिचय दिया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इस दौरान जोनल मार्केटिंग हेड अजय शर्मा, जोनल सर्कुलेशन हेड हेमंत चौधरी, ब्रांच मैनेजर पंकज शर्मा, अशोक श्रीमाल, मार्केटिंग हेड नीलेश सिंघई मौजूद थे।