बम की तरह फटकर तबाही मचा सकती हैं उत्तराखंड की 13 ग्लेशियर झीलें:वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश | 13 glacier lakes of Uttarakhand can wreak havoc | News 4 Social h3>
उत्तराखंड में केदारताल, भिलंगना और गौरीगंगा ग्लेशियर झीलें आपदा के नजरिये से काफी संवदेनशील बन गई हैं। वैज्ञानिकों ने इसके अलावा गंगोत्री और कुछ अन्य ग्लेशियर झीलों को भी आपदा की दृष्टि से संवेदनशील बताया है। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में हुई बैठक में वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर झीलों को लेकर रिपोर्ट पेश की। वैज्ञानिकों के मुताबिक गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है। उन्होंने वसुधारा ताल को लेकर भी सावधानी बरतने सलाह दी।
केदारनाथ आपदा में भी फटी थी झील
वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में झील फटने से बड़ी त्रासदी हुई थी। केदारनाथ हादसे की वजह चोराबारी ग्लेशियर पर हो रहा हिमस्खलन, लगातार तेज बारिश और चोराबारी झील की दीवार टूटना था। फरवरी 2021 में चमोली जिले में नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट गया था। इससे धौलीगंगा में तबाही मच गई थी। डेढ़ सौ से अधिक लोग भीषण बाढ़ में बह गए थे। दो विद्युत परियोजनाएं भी तबाह हो गई थीं।
उत्तराखंड में 13 सौ ग्लेशियर झीलें
इसरो समेत अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में करीब 13 सौ ग्लेशियर झीलें होने का आंकलन किया है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान, बेंगलुरू, पर्यावरण विभाग गढ़वाल विवि, दिल्ली विवि, जवाहरलाल नेहरू विवि के वैज्ञानिकों के शोध में यह सामने आया है कि चमोली जिले में 41 प्रतिशत झीलें पांच से छह हजार मीटर ऊंचाई पर हैं। इनमें सुप्रा झीलें भी शामिल हैं।
निगरानी के लिए उपकरण लगाने पर जोर
वैज्ञानिकों ने इन झीलों की निगरानी के लिए एडवांस उपकरण स्थापित करने पर बल दिया। आईआईआरएस की रिपोर्ट के मुताबिक भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के पास ग्लेशियर झीलों की काफी समय से निगरानी की जा रही है।
ग्लेशियरों में बढ़ रहा मलबा
वैज्ञानिकों ने बताया कि केदारताल, भिलंगना व गौरीगंगा ग्लेशियरों में मलबा और मोरेन क्षेत्र बढ़ रहा है। यह आपदा के लिहाज से काफी चिंताजनक है। आपदा प्रबंधन सचिव के मुताबिक राज्य में ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक टीम बनाई जा रही है। इसमें यूएसडीएमए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।
केंद्र को भेजी जाएगी रिपोर्ट
आपदा प्रबंधन सचिव के मुताबिक ग्लेशियरों के गहन अध्ययन के बाद केंद्र सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। केंद्र के निर्देश के आधार पर ग्लेशियर झील से होने वाली आपदाओं पर प्रभावी नियंत्रण की व्यवस्था की जाएगी।