चुनावी सियासत : लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने को है, पर थर्ड फ्रंट के दल क्या खिचड़ी पका रहे हैं | Loksabha Election, Third Front Parties, Election Mood, News 4 Social | News 4 Social h3>
एक दौर था जब देश में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा-कांग्रेस से अधिक ‘थर्ड फ्रंट’ यानी सत्ता के दरवाजे की चाबी की चर्चा बहुत होती थी। सन 1989 से लेकर 2009 तक वहीं दौर था जब अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी से अधिक चर्चा मायावती, मुलायम सिंह, करूणानिधि और जयललिता की हुआ करती थी। लेकिन अब ‘थर्ड फ्रंट’ की चर्चा पहले जैसी नहीं है. पेश है जग्गोसिंह धाकड़ की विशेष रिपोर्ट
लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने में अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की उम्मीद में एनडीए गठबंधन के साथ नए लक्ष्य को लेकर चल रही है तो ‘इंडिया’ गठबंधन उसे सत्ता से बाहर करने के लिए ताल ठोक रहा है। इसी बीच कई दल पाला बदलने की फिराक में नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव तक कौन-कौन दल ‘इंडिया’ में बचेंगे और कौनसे दल ‘एनडीए’ में रहेंगे, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।
विश्वनाथ प्रतापसिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में जब-जब लोकसभा चुनाव की चर्चा चलती है, ‘थर्ड फ्रंट’ का नाम राजनीतिक गलियारों में अपने आप गूंजने लगता है। बीते साढ़े तीन दशकों में देश ने चार ऐसी सरकारें देखी हैं, जिन्हें चलाने में ‘थर्ड फ्रंट’ की अहम भूमिका रही है। फिर वो चाहें स्वयं वीपी सिंह की सरकार रही हो, अटल बिहारी वाजपेयी की या फिर एच.डी. देवगौड़ा और इन्द्र कुमार गुजराल की। ‘थर्ड फ्रंट’ यानी वे दल जो ना भाजपा के खेमे में हैं और न ही उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम रखा है। ऐसे दल अपनी सुविधा के हिसाब से कभी इधर तो कभी उधर होते रहते हैं। चंद्रबाबू नायडू, मायावती, नवीन पटनायक, एच.डी. देवगौड़ा, जगनमोहन रेड्डी और के. चंद्रशेखर राव सरीखे नेता और उनकी पार्टी अधिकांश मौकों पर सत्ता की डोर के साथ बंधी नजर आती रही है।
बीते दस सालों से थर्ड फ्रंट भले अपनी अहम भूमिका नहीं निभा पा रहा है, लेकिन चुनावी माहौल में इस फ्रंट को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। थर्ड फ्रंट के दल क्या राजनीतिक खिचड़ी पका रहे हैं, इसका खुलासा पूरी तरह नहीं हो पाया है, लेकिन कई राज्यों में कई सीटों पर ये दल असर डाल सकते हैं। जो दल कहीं नहीं, उन पर सबकी नजर नीतीश कुमार का ‘एनडीए’ में जाना ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। एनडीए का मुकाबला करने के लिए बनाए गए इंडिया गठबंधन की योजना अभी पूरी तरह मूर्त रूप नहीं ले पाई है। ऐसे में दोनों गठबंधनों में शामिल दलों के अलावा अन्य दलों पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। जहां अन्य दल प्रभावी भूमिका में हैं, और वे अभी किसी गठबंधन में शामिल नहीं हुए है, उनमें से कुछ दलों को दोनों गठबंधन अपने साथ लेने के प्रयास में जुटे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए छोटे और क्षेत्रीय दल भी अपने स्तर पर सक्रिय हैं। राजनीति में कुछ भी हो सकता है, इसलिए तीसरे मोर्चे की गठन की बात को भी अभी पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। ‘इंडिया’ हो या या फिर तीसरे मोर्चे के गठन की संभावना, दोनों में सबसे बड़ा पेच यही है कि प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। वहीं एनडीए ने भी नए सहयोगी दलों के लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं।
गठबंधन से दूर है यह दल-
देश में कई राज्यों में क्षेत्रीय दल अच्छी स्थिति में हैं। आंध्रप्रदेश में युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस, तेलगू देशम्, भारत राष्ट्र समिति, उत्तरप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडगम का प्रभाव है। अभी ये दल किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं हुए हैं। ओडिशा में बीजू जनता दल अच्छी स्थिति में है। ऐसे में इन दलों की भूमिका भी खासी चर्चा में है। पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्रप्रदेश में युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस को 49.89 प्रतिशत और तेलगू देशम पार्टी को 40.19 प्रतिशत मत मिले। ओडिशा में बीजू जनता दल को 43.32 प्रतिशत मत मिले। पंजाब में शिरोमणी अकाली दल सक्रिय है। कई बार पंजाब में इस दल की सरकार रही है।
यूपी-महाराष्ट्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण-
उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र लोकसभा सीटों के मामले में पहले और दूसरे स्थान पर हैं। उत्तरप्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। दोनों को मिलाकर आंकड़ा 128 सीटों का होता है। कुल सीटों का करीब 24 प्रतिशत इन्हीं दो राज्यों में है। ऐसे में इन दो राज्यों में जीत सत्ता में आने के लिए अहम भूमिका निभा सकती है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश में भाजपा भारी रही। 2014 में भाजपा ने यहां 71 सीट जीती थीं और 2019 में 62 सीटें जीतीं। यहां बहुजन समाज पार्टी के खाते में 10 सीटें आई। अभी तक बसपा किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं हुई है। ऐसे में बसपा के कदम पर भी सबकी नजर है।
किस दल के पास कितनी सीटें-
युवाजन श्रमिक रायथु कांग्रेस 22
बीजू जनता दल 12
बहुजन समाज पार्टी 10
भारत राष्ट्र समिति 9
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडगम 1 ्र
तेलगू देशम 3
शिरोमणी अकाली दल 2
ऑल इंडिया यूनाइटेड डमोके्रटिक फ्रंट 1
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन 1
लोकसभा की कुल सीटें 542
सामान्य: 411
अनुसूचित जाति : 84
अनुसूचित जन जाति : 47
2019 में राष्ट्रीय दलों को कितने प्रतिशत मत मिले-
ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस 4.11
बहुजन समाज पार्टी 3.67
भारतीय जनता पार्टी 37.76
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया 0.59
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया माक्र्सवादी 1.77
कांग्रेस 19.7
एनसीपी 1.4
671 राजनीतिक दल उतरे थे मैदान में-
लोकसभा चुनाव 2019 में पूरे देश में कुल 671 राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़ा था। इनमें 7 राष्ट्रीय दल और 46 राज्य स्तरीय दल शामिल हैं।
महिलाओं को ज्यादा टिकट की उम्मीद-
लोकसभा चुनाव 2019 में 542 सीटों पर हुए चुनाव में कुल 8026 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था। इनमें महिलाओं की संख्या 724 थी और अन्य 6 प्रत्याशियों नेे चुनाव लड़ा था। पिछले चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के अलावा थर्ड फ्रंट के दलों ने भी महिलाओं को पर्याप्त टिकट देने में रुचि नहीं दिखाई। इस बार होने वाले चुनाव से पहले संसद ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए नारी वंदन अधिनियम पारित कर दिया है, हालाकि यह इस बार के चुनाव से लागू नहीं होगा, लेकिन इससे महिलाओं को राजनीतिक दलों से ज्यादा टिकट दिए जाने की उम्मीद बढ़ गई है।