सपा के निर्णय से सियासी भंवर में फंसी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी की राजनीतिक विरासत | Swami Prasad Morya Sanghamitra SP decision Dharmendra Yadav | Patrika News

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सपा के निर्णय से सियासी भंवर में फंसी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी की राजनीतिक विरासत | Swami Prasad Morya Sanghamitra SP decision Dharmendra Yadav | Patrika News

सपा के निर्णय से सियासी भंवर में फंसी स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी की राजनीतिक विरासत | Swami Prasad Morya Sanghamitra SP decision Dharmendra Yadav | News 4 Social


समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर 16 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस घोषणा ने स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीतिक नाव को सियासी भंवर में फंसा दिया है। वह अपनी बेटी के सियासी भविष्य के लिए कौन सा रास्ता तय करेंग। यह सवाल राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलहाल उनके सामने अपने और बेटी संघमित्रा के सियासी भविष्य का सवाल खड़ा है।

धर्मेंद्र यादव को टिकट देने से फंसी स्वामी की नाव
सियासत के जानकार बताते हैं कि सपा ने बदायूं से धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाकर स्वामी प्रसाद मौर्य के सामने दुविधा पैदा कर दी है कि वे अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाएं या पार्टी धर्म का पालन करें।

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पिता के लिए बेटी ने बीजेपी के विरोध में किया प्रचार
संघमित्रा मौर्य 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के टिकट से पहली बार सांसद बनी थी। इस चुनाव में उन्हें जिताने के लिए स्वामी प्रसाद ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में अचानक स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़कर सपा में चले गए। वह बीजेपी के खिलाफ कुशीनगर से चुनाव भी लड़े। उस समय संघमित्रा ने अपनी पार्टी बीजेपी का साथ न देकर पिता के पक्ष में प्रचार किया था। इस बात का स्थानीय स्तर पर काफी विरोध होने के बावजूद बीजेपी ने संघमित्रा को पार्टी से नहीं निकाला था। वह अभी बीजेपी में खूब सक्रिय नजर आ रही हैं।

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संघमित्रा को टिकट मिला तो धर्म संकट में पड़ जाएंगे पिता और पुत्री
यदि बीजेपी ने संघमित्रा को एक बार फिर से बदायूं से टिकट देती है तो वह और धर्मेंद्र यादव आमने-सामने होंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य क्या करेंगे। वे बेटी संघमित्रा का साथ देंगे या पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करते हुए धर्मेंद्र यादव के पक्ष में प्रचार करेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य की एक के बाद एक सनातन धर्म पर टिप्पणियों से धर्म प्रेमियों में उनके प्रति खासी नाराजगी है।

धर्म संकट के लिए स्वामी खुद जिम्मेदार
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि “ स्वामी प्रसाद और उनकी बेटी की राजनीति बड़ी दुविधा भरी है। इसके जिम्मेदार कहीं न कहीं स्वामी प्रसाद मौर्य खुद ही हैं। अच्छा खासा वे बीजेपी में कैबिनेट मंत्री थे। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी छोड़कर पार्टी के सामने काफी बड़ा संकट खड़ा किया। इसमें बेटी ने भी उनका साथ दिया। वो अपनी पार्टी छोड़ सपा की कार्यकर्ता बन गई थीं। वहां तक तो फिर ठीक था। लेकिन बाद में स्वामी प्रसाद ने सनातन के खिलाफ जो बयानबाजी की है। वह उनके लिए और भी घातक होती जा रही है। उसको दोनों तरफ के लोग नहीं पचा पा रहे हैं।”

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पिछले चुनाव में धर्मेंद्र को मिली थी हार
जानकारी के लिए बता दें कि 2019 में बीजेपी की संघमित्रा मौर्य ने अखिलेश के भाई और सपा के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 30 हजार वोटों से हराया था। बीजेपी को जहां 5 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं सपा को 4 लाख 91 हजार वोट हासिल हुए थे।

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