गलतफहमी में नीतीश, कुछ नहीं मिलेगा; बोले प्रशांत किशोर- इंडिया अलायंस की वर्चुअल मीटिंग महज खानापूर्ति h3>
ऐप पर पढ़ें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के वर्चुअल मीटिंग में संयोजक बनने का प्रस्ताव लाया गया। खबर आई कि नीतीश कुमार ने उसे ठुकरा दिया। राजनीतिक हलके में चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर कहीं और है। जदयू के नेता उन्हें मौके तलाश कर बेस्ट पीएम मटेरियल बताते रहते हैं। चुनावी रणनीतिकार और बिहार में जन सुराज अभियान चला रहे प्रशांत किशोर ने इसे लेकर नीतीश कुमार पर हमला किया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सीएम बड़ी गलतफहमी के शिकार हो गए हैं। पीके लालू यादव पर निशाना साधा।
बिहार के बेगूसराय में जन सुराज अभियान पर निकले प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार यहां समझ रहे हैं कि देश की जनता उन्हें पीएम पद का सबसे योग्य उम्मीदवार मान रही है। उन्हें पता नहीं है कि उनके आसपास रहने वाले कुछ लोग ही यह भ्रम पैदा कर रहे हैं। नीतीश कुमार यह सब सुनकर गलतफहमी के शिकार हो गए हैं। पिछले दिनों इंडिया अलाइंस की जो वर्चुअल मीटिंग हुई थी वह खानापूर्ति मात्र थी। उसके पहले चर्चा थी कि नीतीश कुमार गठबंधन के संयोजक बन जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीके ने कहा कि बिहार सीएम की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन में प्रमुख पद पर सहमति नहीं बन पाएगी।
खरमास खत्म, राजनीति शुरू; RJD-JDU-BJP के चूड़ी दही भोज पर किसने क्या कहा?
वर्चुअल मीटिंग में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात उठी तो राहुल गांधी ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी इसके लिए तैयार नहीं होंगी। नीतीश कुमार ने जब देखा कि यह संयोजक का पद मिलने वाला नहीं है तो उन्होंने इनकार कर दिया। सच्चाई यही है कि राजद या जदयू में से किसी को इंडी गठबंधन में तबज्जो नहीं दी जाएगी।
बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए पीके ने कहा कि चाचा भतीजे की सरकार अपने हाथों से अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। नौकरी पर नौकरी देने का दावा कर रहे हैं लेकिन बिहार से लेबर और ब्रेन दोनों पलायन कर रहा है। शिक्षक नियुक्ति के नाम पर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है। जो बहाली हो रही है उसे लोग ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं । जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं उन्हें में से अधिकांश राज्य कर्मी बनने के लिए बीपीएससी का फॉर्म भरते हैं और फिर उन्हें नियुक्ति पत्र थमाया जाता है। बिहार में नौकरी की स्थिति यही है कि यहां के युवा दूसरे प्रदेशों में बेहतर कर रहे हैं। पढ़ाई के लिए भी बच्चों को कोटा और दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
ऐप पर पढ़ें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन के वर्चुअल मीटिंग में संयोजक बनने का प्रस्ताव लाया गया। खबर आई कि नीतीश कुमार ने उसे ठुकरा दिया। राजनीतिक हलके में चर्चा है कि नीतीश कुमार की नजर कहीं और है। जदयू के नेता उन्हें मौके तलाश कर बेस्ट पीएम मटेरियल बताते रहते हैं। चुनावी रणनीतिकार और बिहार में जन सुराज अभियान चला रहे प्रशांत किशोर ने इसे लेकर नीतीश कुमार पर हमला किया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सीएम बड़ी गलतफहमी के शिकार हो गए हैं। पीके लालू यादव पर निशाना साधा।
बिहार के बेगूसराय में जन सुराज अभियान पर निकले प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार यहां समझ रहे हैं कि देश की जनता उन्हें पीएम पद का सबसे योग्य उम्मीदवार मान रही है। उन्हें पता नहीं है कि उनके आसपास रहने वाले कुछ लोग ही यह भ्रम पैदा कर रहे हैं। नीतीश कुमार यह सब सुनकर गलतफहमी के शिकार हो गए हैं। पिछले दिनों इंडिया अलाइंस की जो वर्चुअल मीटिंग हुई थी वह खानापूर्ति मात्र थी। उसके पहले चर्चा थी कि नीतीश कुमार गठबंधन के संयोजक बन जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीके ने कहा कि बिहार सीएम की स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर के गठबंधन में प्रमुख पद पर सहमति नहीं बन पाएगी।
खरमास खत्म, राजनीति शुरू; RJD-JDU-BJP के चूड़ी दही भोज पर किसने क्या कहा?
वर्चुअल मीटिंग में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात उठी तो राहुल गांधी ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी इसके लिए तैयार नहीं होंगी। नीतीश कुमार ने जब देखा कि यह संयोजक का पद मिलने वाला नहीं है तो उन्होंने इनकार कर दिया। सच्चाई यही है कि राजद या जदयू में से किसी को इंडी गठबंधन में तबज्जो नहीं दी जाएगी।
बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए पीके ने कहा कि चाचा भतीजे की सरकार अपने हाथों से अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। नौकरी पर नौकरी देने का दावा कर रहे हैं लेकिन बिहार से लेबर और ब्रेन दोनों पलायन कर रहा है। शिक्षक नियुक्ति के नाम पर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है। जो बहाली हो रही है उसे लोग ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं । जो लोग पहले से नौकरी कर रहे हैं उन्हें में से अधिकांश राज्य कर्मी बनने के लिए बीपीएससी का फॉर्म भरते हैं और फिर उन्हें नियुक्ति पत्र थमाया जाता है। बिहार में नौकरी की स्थिति यही है कि यहां के युवा दूसरे प्रदेशों में बेहतर कर रहे हैं। पढ़ाई के लिए भी बच्चों को कोटा और दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है