जहां नारी की होती है पूजा वहां देवता भी करते हैं वास:अमृता भारती

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जहां नारी की होती है पूजा वहां देवता भी करते हैं वास:अमृता भारती

जहां नारी की होती है पूजा वहां देवता भी करते हैं वास:अमृता भारती

भक्ति मार्ग की बाधक नहीं पथ प्रदर्शक होती हैं नारियां … हरि का मिलना कठिन नहीं है। कठिन है तो ऐसे पूर्ण सतगुरु का मिलना जो जिज्ञासु को हरि भक्ति की युक्ति बता दे।…

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायWed, 13 Dec 2023 07:45 PM

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बेगूसराय, हमारे संवाददाता। गुरु वही जो हरि से मिला दे। हरि का मिलना कठिन नहीं है। कठिन है तो ऐसे पूर्ण सतगुरु का मिलना जो जिज्ञासु को हरि भक्ति की युक्ति बता दे। ये बातें हेमरा में आयोजित श्रीहरि कथा के चौथे दिन सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने कहीं। उन्होंने मीराबाई की जीवन गाथा का वर्णन करते हुए कहा कि मीराबाई ने भक्ति के वास्तविक मर्म को जाना व संसार के समक्ष प्रभु प्राप्ति के ऐसे सत्य को उजागर किया जिससे समाज अनभिज्ञ था। अक्सर लोग कहते हैं कि मीराबाई ने मूर्ति पूजा द्वारा श्रीकृष्ण को प्राप्त किया लेकिन श्रीकृष्ण मीराबाई को स्वयं गुरु रविदास जी की शरण में भेजते हैं और कहते हैं कि गुरु ही मेरे तत्व रूप का दर्शन तुम्हारे अंदर करवाएंगे। मीराबाई ने सती प्रथा, पशु बलि प्रथा का विरोध किया। जिस काल में मीराबाई ने समाज में कदम रखा था उस समय नारियां खुली हवा में सांस भी नहीं ले पाती थीं। चहारदीवारी के भीतर लोक लज्जा के घुंघट में घुट-घुट कर जीने को मजबूर थी। मीराबाई ने नारियों की इस मूक दर्द को समाज के समक्ष उजागर किया। साध्वी ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता भी रमन करते हैं। नारियां भक्ति मार्ग की बाधक नहीं पथ प्रदर्शक होती हैं। गार्गी, मैत्रेई, सहजोबाई आदि अनेकों उदाहरण इतिहास में भरे पड़े हैं। तुलसी को गोस्वामी तुलसीदास बनाने वाली उसकी पत्नी थी। ध्रुव और प्रहलाद को संसार से करतार की ओर अग्रसर करने वाली एक नारी ही थी। शिवा को छत्रपति शिवाजी मराठा बनाने वाली उसकी मां जीजाबाई थी। शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंदा जी ने कहा कि आज पुनः समाज को ब्रह्म ज्ञान द्वारा जागृत करने की आवश्यकता है। मीराबाई में संत रविदास जी से ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त कर प्राप्त कर समाज को जगाया। मुख्य पार्षद पिंकी देवी, पूर्व मुख्य पार्षद संजय कुमार सिंह, नवीन कुमार राय, डॉ.राम बहादुर शर्मा, लाल बहादुर यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समापन पावन आरती से की गई।

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