6 विधानसभाओं में भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी तय, जानिए किसकी क्या है ‘ताकत और कमजोरी’ | BJP-Congress candidates decided in 6 mp assembly election | Patrika News

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6 विधानसभाओं में भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी तय, जानिए किसकी क्या है ‘ताकत और कमजोरी’ | BJP-Congress candidates decided in 6 mp assembly election | Patrika News

6 विधानसभाओं में भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी तय, जानिए किसकी क्या है ‘ताकत और कमजोरी’ | BJP-Congress candidates decided in 6 mp assembly election | News 4 Social


विधानसभा क्षेत्र क्रमांक- 1

भाजपा: कैलाश विजयवर्गीय

ताकत

– भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, विधानसभा क्षेत्र क्रमांंक 4, 2 और महू से विधानसभा का चुनाव जीत चुके।
– प्रदेश मंत्रीमंडल में मंत्री और महापौर भी रहे। बड़े नेता की छबि।
– कार्यकर्ताओं और समर्थकों की एक बड़ी टीम का साथ।

कमजोरी

– बाहरी उम्मीदवार होने से स्थानीय लोगों में पकड़ नहीं।
– दूसरे इलाके के समर्थक दे रहे दखल, आपराधिक तत्वों की सक्रियता का आरोप।
– बयानों में खुद को कर रहे बड़े नेता के रूप में प्रोजक्ट, बयान बन रहे विवादास्पद।

कांग्रेस: संजय शुक्ला

ताकत

– मौजूदा विधायक, चुनाव में जीत के बाद लगातार इलाके में सक्रियता।
– स्थानीय कार्यकर्ताओं की टीम और लोगों से जीवंत संपर्क।
– लगातार तीर्थ यात्राएं, पानी की समस्या दूर करने के लिए सैकड़ों बोरिंग कराकर वादा पूरा किया।

कमजोरी

– धार्मिक आयोजनों में ज्यादा सक्रियता रखी, अवैध कॉलोनियों की समस्या नहीं हुई खत्म।
– विधानसभा के बाद महापौर पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पार्टी के कुछ नेता नाराज, भीतराघात की आशंका।
– कांग्रेस के बूथ कार्यकर्ताओं की सक्रियता कम।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2

भाजपा: रमेश मेंदोला

ताकत

– लगातार तीन बार से विधायक, रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
– कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम, इलाके में लोगों से जीवंत संपर्क।
– वर्ष भर बड़े धार्मिक व सामाजिक आयोजन जिससे लोगों का जुड़ाव।

कमजोरी

– समर्थक कुछ नेता-पार्षदों को महत्व, कुछ से किया किनारा, टीम में असंतोष।
– आसामाजिक तत्वों के साथ का आरोप, पार्टी के दूसरे नेताओं का दखल मंजूर नहीं।
– अवैध बसाहट व अतिक्रमणों का विरोध नहीं करना।

कांग्रेस: चिंटू चौकसे

ताकत

– भाजपा के पकड़ वाले क्षेत्र में दो बार पार्षद बने, युवाओं की बड़ी टीम।
– अपने क्षेत्र में लोगों के बीच मौजूदगी, लगातार संपर्क में रहना।
– कोरोनाकाल के दौरान लोगों के बीच मौजूद रहकर उनकी मदद करना।

कमजोरी

– पहला बड़ा चुनाव, पूरे विधानसभा क्षेत्र में संपर्क की कमी।
– क्षेत्र के कई कांग्रेस नेताओं का सहयोग नहीं।
– भाजपा के प्रभाव वाले इलाकों में जनसमस्याओं को हल करने के लिए कोई बड़ा आंदोलन नहीं।

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4

भाजपा: मालिनी गौड़

ताकत

– पहले पति लक्ष्मणसिंह गौड़ तीन बार विधायक रहे, मालिनी गौड़ पिछले तीन बार से विधानसभा चुनाव जीत रही है।
– विधायक के साथ महापौर भी रही, नेता व समर्थकों की बड़ी टीम।
– धार्मिक व सामाजिक आयोजनों के जरिए लोगों से जीवंत संपर्क।

कमजोरी

– परिवार के बढ़ते दखल के कारण पुराने नेताओं ने बनाई दूरी, असंतोष।
– बेटे-भतीजे पर कई बार लगे विवाद करने व मारपीट के आरोप।
– कई पार्षदों ने किया टिकट का विरोध, भीतराघात की आशंका।

कांग्रेस: राजा मंधवानी

ताकत

– विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण में मजबूती।
– समाजसेवा के जरिए लगातार आयोजनों में मुख्य भूमिका निभाकर अच्छा नेटवर्क बनाया।
– निजी टीम व समाज के वरिष्ठों का साथ मिलने का दावा।

कमजोरी

– चुनाव लडऩे का कोई अनुभव नहीं, पहली बार सीधे विधानसभा चुनाव में मैदान पकड़ा।
– क्षेत्र में कांग्रेस का कमजोर नेटवर्क, मैदानी नेताओं की कमी।
– क्षेत्र का बड़ा हिस्सा व्यापारिक, वहां प्रतिनिधियों के बीच सक्रियता नहीं।

विधानसभा- राऊ

भाजपा- मधु वर्मा

ताकत

– शहरी इलाके में अच्छी पकड़, आइडीए अध्यक्ष रहते कई विकास कार्य करने का फायदा।
– पार्षद व एमआइसी सदस्य के रूप में लगातार लोगों से संपर्क।
– कार्यकर्ताओं की अच्छी टीम, बूथ स्तर पर पैठ।

कमजोरी

– विधानसभा 2018 के चुनाव में मिली हार के बाद समस्याओं को लेकर संघर्ष की कमी।
– स्थानीय राजनीति में किसी मजबूत गुट का साथ नहीं।
– ग्रामीण इलाकों व किसानों के बीच नेटवर्क की कमी।

कांग्रेस: जीतू पटवारी

ताकत

– लगातार दो बार चुनाव जीते, तीसरी बार मैदान में। कमलनाथ सरकार में मंंत्री भी रहे।
– कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनी, मजबूत टीम बनाई।
– जातिगत समीकरण में मजबूत स्थिति, किसानों की समस्या को लेकर सक्रिय रहे।

कमजोरी

– ग्रामीण इलाके में मजबूत स्थिति, शहरी इलाकों में कमजोर पकड़।
– राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर की जिम्मेेदारी होने से क्षेत्र में सक्रिता कम।
– परिजन व नजदीकियोंं को लेकर कई बार बनी विवादास्पद स्थिति।

विधानसभा -सांवेर

भाजपा: तुलसी सिलावट

ताकत

– वर्ष 1985 से लगातार चुनाव मैदान में, मैदानी पकड़।
– पहले कमलनाथ व अब शिवराज सरकार के मंत्री के रूप में किए कई विकास कार्य।
– विधानसभा में लगातार सक्रियता, मजबूत टीम।

कमजोरी

– कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद मिले टिकट के कारण भीतरघात का डर।
– स्थानीय लोगों को चुनाव जिम्मेदारी देने के बजाए बेटे व इंदौरी साथियों को महत्व देना।
– शहरी व ग्रामीण इलाकों में काम करने का समंवय नहीं बैठा पाना।

कांग्रेस: रीना बौरासी सेतिया

ताकत

– युवा चेहरा, युवाओं के टीम के साथ पिछले कुछ समय से लगातार सक्रियता।
– विधायक रहे पिता प्रेमचंद गुड्डू के नेटवर्क का फायदा मिलने का भरोसा।
– क्षेत्र की अनदेखी व कथित अनियमिताओं को लेकर लगातार आंदोलन।

कमजोरी

– पहली बार किसी चुनाव मैदान में उतरना, अनुभव की कमी।
– पिता व पुराने साथियों का सहयोग नहीं मिलना।
– स्थानीय टीम की कमी, बाहरी लोगों को जिम्मेदारी।

विधानसभा- देपालपुर

भाजपा: मनोज पटेल

ताकत

– पिता निर्भयसिंह पटेल के कामों के जरिए पहली बार 2003 में विधायक बने। तब से लगातार मैदान मेें है।
– कार्यकर्ता व समर्थकों की टीम के जरिए लगातार सक्रियता।
– भाजपा ने पहली सूची में घोषित की उम्मीदवारी, तब से ही पकड़ा मैदान।

कमजोरी

– बाहरी उम्मीदवार होने से स्थानीय उम्मीदवारोंं की मांंग को लेकर लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन।
– चुनाव जीतने के बाद इलाके से दूरी के आरोप, पिछले चुनाव में हार का कारण बना।
– जातिगत समीकरण अनुकूल नहीं होने भी एक कमजोरी।

कांग्रेस: विशाल पटेल

ताकत

– पिता जगदीश पटेल विधायक रहे, उनके नेटवर्क के जरिए पहली बार टिकट हासिल कर 2018 में जीत हासिल की।
– जातिगत समीकरण की मजबूती भी जीत का एक कारण बनी।
– धार्मिक आयोजन से जनता को जोडऩे की पहल।

कमजोरी

– इलाके में सक्रियता की कमी के आरोप, पार्टी में भी नाराजगी।
– एक मजबूत गुट ने किया उम्मीदवारी का विरोध, भीतराघात की आशंका।
– किसानों की समस्याओं की अनदेखी।

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