65 साल से ज्यादा है उम्र तो चलें संभलकर, गिरे तो टूटेगा कूल्हा | Sudden increase in hip anatomy cases in bhopal hospitals | News 4 Social h3>
भोपालPublished: Oct 03, 2023 01:09:11 am
भोपाल में हिप एनाटॉमी यानी कूल्हे के फ्रैक्चर के मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गयी है। सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीजों में से 5 से 7 प्रतिशत की हड्डियां टूट गयी हैं।
भोपाल. राजधानी में हिप एनाटॉमी यानी कूल्हे के फ्रैक्चर के मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गयी है। सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीजों में से ५ से ७ प्रतिशत की हड्डियां टूट गयी हैं। इनके जीवन को ज्यादा खतरा है। इसलिए चिकित्सकों ने आगाह किया है कि बुजुर्ग घर और बाहर निकलते समय बहुत ही सावधानी बरतें। डॉक्टरों के अनुसार बारिश में सड़क और गलियों में पानी की वजह से काई जम गयी है। तो बाथरूम और आंगन में सीलन की वजह से फिसलन है। इसलिए बुजुर्गों में बाथरूम और बाहर गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं।
क्यों है हिप एनाटॉमी खतरनाक
चिकित्सकों के अनुसार बुजुर्गों में कूल्हे का फ्रैक्चर जानलेवा हो सकता है। क्योंकि इस उम्र में हड्डी जुडऩे में अधिक समय लगता है। लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने और घर में लंबे समय तक बेड पर रहने की संभावना रहती है। ऐसे में अन्य बीमारियां घेर लेती हैं। जो मौत का कारण बनती हैं।
20 फीसदी लोगों की गई जान
कूल्हा फ्रैक्चर से ग्रसित 50 साल से अधिक उम्र के लोगों पर एम्स में हुए शोध के अनुसार फ्रैक्चर के साल भर के अंदर ऐसे 20 फीसदी मरीजों की मौत हो गई। चाइनीज जर्नल ऑफ ट्रोमेटोलोजी में छपे इस अध्ययन के अनुसार कूल्हे के फ्रैक्चर वाले बुजुर्गों में मृत्यु दर स्तन व गर्भाशय कैंसर से भी अधिक पाई गई।
बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता खतरा
80 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गों की मौत एक साल में
60 से 69 साल के 20 फीसदी की एक साल में मौत
50-59 साल के 5 फीसदी की जान सालभर में
इन बातों का विशेष ध्यान रखें
– चप्पल व जूते ऐसे चुनें जो फिसलें नहीं
– घरों में नॉन स्किडिंग टाइल्स लगवाएं
– बाथरूम के पास और सामने डोर मैट्स का उपयोग करें
– बुढ़ापे में कैल्शियम और विटामिन डी गोलियों का सेवन करें
– नियमित शारीरिक व्यायाम और योग करें
-बाहर निकलें तो सीलनभरे स्थान व गीले स्थानों से बचें
लंबे समय तक बेड पर होने से खतरा
– कूल्हे के फ्रैक्चर पर न करवट बदलता है, न खड़ा और न बैठ सकता है
-इसीलिए शरीर के पीछे गहरे जख्म बन जाते हैं
-पैरों की मांसपेशियां जो पंप का काम करती हैं और वे धमनियों में खून को रुकने नहीं देतीं। बिस्तर पर होने से धमनियों में खून जम जाता है। यह सूजन और दर्द देता है। यह हार्ट अटैक का भी कारण बनता है
-लंबे समय तक बिस्तर पर रहने से सांस की क्रिया में मुश्किल आती है। फेफड़े के पीछे बलगम जमा होने लगता है। यह जानलेवा हो सकता है।
एक्सपर्ट व्यू्
20 साल पहले कूल्हे के फ्रैक्चर को अंत की शुरूआत (बिगनिंग ऑफ एंड) कहते थे। दरअसल, फ्रैक्चर के कारण वृद्ध चलने फिरने के काबिल नहीं रह पाते थे। उन्हें बेडसोल, अंदरूनी अंग जैसे लिवर, किडनी और हृदय काम करना बंद कर देते थे और जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो जाती थी। मगर अब सही इलाज मिले तो मरीज के स्वस्थ होने की संभावना अधिक रहती है। फिर भी सावधानी बहुत जरूरी है
-डॉ.कमलेश देवपुजारी, वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ, जयप्रकाश अस्पताल
फिजियोथेरेपी से मदद
कूल्हे के फ्रैक्चर वाले वृद्ध व्यक्ति को बिस्तर में ज्यादा देर एक स्थिति में न रहने दिया जाए। फिजियोथेरेपी की सहायता से वे जल्दी से जल्दी चलना शुरू कर सकते हैं। वृद्ध यदि कुछ दिन भी बिस्तर पर पड़ जाएं तो भयानक जटिलताओं की चपेट में आ सकते हैं।
डॉ. सुनील पांडेय एमपीटी (ऑर्थो), फिजियोथेरेपिस्ट,भोपाल
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भोपालPublished: Oct 03, 2023 01:09:11 am
भोपाल में हिप एनाटॉमी यानी कूल्हे के फ्रैक्चर के मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गयी है। सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीजों में से 5 से 7 प्रतिशत की हड्डियां टूट गयी हैं।
भोपाल. राजधानी में हिप एनाटॉमी यानी कूल्हे के फ्रैक्चर के मरीजों की संख्या एकाएक बढ़ गयी है। सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती ऐसे मरीजों में से ५ से ७ प्रतिशत की हड्डियां टूट गयी हैं। इनके जीवन को ज्यादा खतरा है। इसलिए चिकित्सकों ने आगाह किया है कि बुजुर्ग घर और बाहर निकलते समय बहुत ही सावधानी बरतें। डॉक्टरों के अनुसार बारिश में सड़क और गलियों में पानी की वजह से काई जम गयी है। तो बाथरूम और आंगन में सीलन की वजह से फिसलन है। इसलिए बुजुर्गों में बाथरूम और बाहर गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं।
क्यों है हिप एनाटॉमी खतरनाक
चिकित्सकों के अनुसार बुजुर्गों में कूल्हे का फ्रैक्चर जानलेवा हो सकता है। क्योंकि इस उम्र में हड्डी जुडऩे में अधिक समय लगता है। लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने और घर में लंबे समय तक बेड पर रहने की संभावना रहती है। ऐसे में अन्य बीमारियां घेर लेती हैं। जो मौत का कारण बनती हैं।
20 फीसदी लोगों की गई जान
कूल्हा फ्रैक्चर से ग्रसित 50 साल से अधिक उम्र के लोगों पर एम्स में हुए शोध के अनुसार फ्रैक्चर के साल भर के अंदर ऐसे 20 फीसदी मरीजों की मौत हो गई। चाइनीज जर्नल ऑफ ट्रोमेटोलोजी में छपे इस अध्ययन के अनुसार कूल्हे के फ्रैक्चर वाले बुजुर्गों में मृत्यु दर स्तन व गर्भाशय कैंसर से भी अधिक पाई गई।
बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता खतरा
80 साल से अधिक आयु वाले बुजुर्गों की मौत एक साल में
60 से 69 साल के 20 फीसदी की एक साल में मौत
50-59 साल के 5 फीसदी की जान सालभर में
इन बातों का विशेष ध्यान रखें
– चप्पल व जूते ऐसे चुनें जो फिसलें नहीं
– घरों में नॉन स्किडिंग टाइल्स लगवाएं
– बाथरूम के पास और सामने डोर मैट्स का उपयोग करें
– बुढ़ापे में कैल्शियम और विटामिन डी गोलियों का सेवन करें
– नियमित शारीरिक व्यायाम और योग करें
-बाहर निकलें तो सीलनभरे स्थान व गीले स्थानों से बचें
लंबे समय तक बेड पर होने से खतरा
– कूल्हे के फ्रैक्चर पर न करवट बदलता है, न खड़ा और न बैठ सकता है
-इसीलिए शरीर के पीछे गहरे जख्म बन जाते हैं
-पैरों की मांसपेशियां जो पंप का काम करती हैं और वे धमनियों में खून को रुकने नहीं देतीं। बिस्तर पर होने से धमनियों में खून जम जाता है। यह सूजन और दर्द देता है। यह हार्ट अटैक का भी कारण बनता है
-लंबे समय तक बिस्तर पर रहने से सांस की क्रिया में मुश्किल आती है। फेफड़े के पीछे बलगम जमा होने लगता है। यह जानलेवा हो सकता है।
एक्सपर्ट व्यू्
20 साल पहले कूल्हे के फ्रैक्चर को अंत की शुरूआत (बिगनिंग ऑफ एंड) कहते थे। दरअसल, फ्रैक्चर के कारण वृद्ध चलने फिरने के काबिल नहीं रह पाते थे। उन्हें बेडसोल, अंदरूनी अंग जैसे लिवर, किडनी और हृदय काम करना बंद कर देते थे और जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो जाती थी। मगर अब सही इलाज मिले तो मरीज के स्वस्थ होने की संभावना अधिक रहती है। फिर भी सावधानी बहुत जरूरी है
-डॉ.कमलेश देवपुजारी, वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ, जयप्रकाश अस्पताल
फिजियोथेरेपी से मदद
कूल्हे के फ्रैक्चर वाले वृद्ध व्यक्ति को बिस्तर में ज्यादा देर एक स्थिति में न रहने दिया जाए। फिजियोथेरेपी की सहायता से वे जल्दी से जल्दी चलना शुरू कर सकते हैं। वृद्ध यदि कुछ दिन भी बिस्तर पर पड़ जाएं तो भयानक जटिलताओं की चपेट में आ सकते हैं।
डॉ. सुनील पांडेय एमपीटी (ऑर्थो), फिजियोथेरेपिस्ट,भोपाल