क्या आनंद मोहन पलटने वाले हैं? ठाकुर विवाद से जगाएंगे अंतरात्मा? बेटा-बेटी ने भी मनोज झा के खिलाफ मोर्चा खोला h3>
क्या आनंद मोहन पलटने वाले हैं? बिहार की राजनीति में जिसकी भी थोड़ी बहुत दिलचस्पी है, अब ये सवाल उसके मन में घूम रहा है। और सवाल उठे भी क्यों ना। बेटा चेतन आनंद शिवहर से आरजेडी के विधायक हैं, पत्नी लवली आनंद भी आरजेडी में हैं। खुद आनंद मोहन किस पार्टी में हैं ये किसी को नहीं पता लेकिन जब से जेल से निकले हैं तब से बीजेपी और केंद्र सरकार के खिलाफ बोलते रहते हैं। लेकिन दो दिनों से आनंद मोहन के पूरे परिवार ने तेजस्वी यादव के करीबी नेता और आरजेडी सांसद मनोज झा के ही खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
मनोज झा पर ठाकुर (राजपूत) समाज का आरोप लगाकर आनंद मोहन का परिवार कह रहा है कि आरजेडी सांसद ने क्षत्रिय बिरादरी का अपमान किया है। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान मनोज झा ने कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआं का पाठ किया था। कविता से पहले मनोज झा ने कहा था कि इसे किसी जाति से जोड़कर ना देखा जाए और इसे सामंती भाव से लिया जाए। लेकिन कविता पाठ के छठे दिन आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि ठाकुर का कुआं कविता पढ़ना समाजवाद के नाम पर दोगलापन है। अगली सुबह फेसबुक लाइव पर आकर कहा कि ब्राह्मण पर भी तो कोई नेगेटिव कविता होगी। आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने कहा कि जरूरत होगी तो पार्टी फोरम पर भी इस बात को उठाएंगे।
1995 में लालू यादव को हराने के लिए लड़ी आनंद मोहन की बिपीपा लेकिन लालू को ही जिता बैठी, कैसे?
चेतन आनंद के बयान के बाद आनंद मोहन ने मीडिया को इंटरव्यू देकर कहा कि अगर वो सदन में होते तो मनोज झा की जीभ खींचकर आसन की तरफ फेंक देते। फिर आनंद मोहन की वकील बेटी सुरभि आनंद ने राजपूत बिरादरी की तारीफ में लिखी एक वायरल कविता को पोस्ट करके मनोज झा से कहा कि ठाकुर होना आसान नहीं होता। इस प्रकरण में आनंद मोहन के परिवार से लवली आनंद ही बची हैं जिनका कुछ कहना बाकी है। आनंद मोहन के परिवार की आरजेडी सांसद मनोज झा के खिलाफ बयानबाजी पर पार्टी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि उनको परहेज करना चाहिए था। लालू ने कहा कि मनोज झा विद्वान आदमी हैं और उन्होंने ठाकुर के खिलाफ नहीं बोला है, किसी का अपमान नहीं किया है।
कोई जीभ तो कोई गर्दन काटने की दे रहा धमकी… मनोज झा को मिले Y सिक्योरिटी, आरजेडी ने अमित शाह को लिखी चिट्ठी
दो सप्ताह से बिहार में जेडीयू के फिर बीजेपी के साथ जाने का गुब्बारा फुलाया गया था लेकिन नीतीश कुमार फालतू बात कहकर इसकी हवा निकाल दी। नीतीश सरकार द्वारा जेल मैनुअल बदलने से ही डीएम मर्डर में सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई हुई है। जेल से निकलने के बाद से आरजेडी और जेडीयू के एजेंडा पर बोलने वाले आनंद मोहन और उनका परिवार अचानक आरजेडी सांसद के खिलाफ तनकर खड़ा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि आनंद मोहन को महागठबंधन से भरोसा नहीं मिल रहा है कि चेतन आनंद या लवली आनंद को लोकसभा चुनाव का टिकट मिलेगा।
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लालू यादव के शासनकाल में राजपूत समेत सवर्ण जातियों की आवाज बनकर उभरे आनंद मोहन आज भी खुद को राज्य में राजपूतों का सबसे बड़ा नेता मानते हैं। वोट बैंक के हिसाब से देखें तो राजपूत समेत सवर्ण जातियों का वोट ज्यादातर बीजेपी को मिलने लगा है। ऐसे में आरजेडी या जेडीयू के साथ रहकर राजपूतों का नेता बने रह पाना आनंद मोहन को चुनौतीपूर्ण लग रहा है। भाजपा में आनंद मोहन के शुभचिंतक दिल्ली से पटना तक भरे हैं। कुछ दिन पहले ही उनके छोटे बेटे अंशुमन आनंद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिले हैं। राजीव प्रताप रूडी तो आनंद मोहन के शुरुआती दिनों के साथी हैं।
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आरजेडी नेतृत्व के भरोसेमंद मनोज झा के खिलाफ आनंद मोहन, चेतन आनंद और सुरभि आनंद के एक साथ उतर आने का निहितार्थ इसमें खोजा जा रहा है कि क्या 2024 में आनंद मोहन बीजेपी में अपने परिवार के राजनीतिक विकास की संभावना देख रहे हैं। बिहार में ढंग की कोई ऐसी पार्टी नहीं बची है जिसमें आनंद मोहन का परिवार ना रहा हो।
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मनोज झा पर ठाकुर (राजपूत) समाज का आरोप लगाकर आनंद मोहन का परिवार कह रहा है कि आरजेडी सांसद ने क्षत्रिय बिरादरी का अपमान किया है। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर बहस के दौरान मनोज झा ने कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता ठाकुर का कुआं का पाठ किया था। कविता से पहले मनोज झा ने कहा था कि इसे किसी जाति से जोड़कर ना देखा जाए और इसे सामंती भाव से लिया जाए। लेकिन कविता पाठ के छठे दिन आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा कि ठाकुर का कुआं कविता पढ़ना समाजवाद के नाम पर दोगलापन है। अगली सुबह फेसबुक लाइव पर आकर कहा कि ब्राह्मण पर भी तो कोई नेगेटिव कविता होगी। आरजेडी विधायक चेतन आनंद ने कहा कि जरूरत होगी तो पार्टी फोरम पर भी इस बात को उठाएंगे।
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