स्वागत के साथ नीतीश ने रखी शर्त- एससी-एसटी, OBC-EBC महिलाओं के लिए आरक्षण का विशेष प्रावधान हो

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स्वागत के साथ नीतीश ने रखी शर्त- एससी-एसटी, OBC-EBC महिलाओं के लिए आरक्षण का विशेष प्रावधान हो

स्वागत के साथ नीतीश ने रखी शर्त- एससी-एसटी, OBC-EBC महिलाओं के लिए आरक्षण का विशेष प्रावधान हो

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देश के नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने महिला आरक्षण बिल पेश किया है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में इसे सदन के पटल पर रखा। लोकसभा में  पास होने के बाद  इस बिल को राज्य में पेश किया जाएगा।  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका समर्थन किया है लेकिन अबन अपनी एक शर्त भी रख दी है। बुधवार को पटना में नीतीश कुमार ने कहा कि वे महिला आरक्षण के शुरू से ही समर्थक रहे हैं। मगर इसमें एससी-एसटी, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग की महिलाओं का विशेष प्रावधान किया जाए। उन्होंने केन्द्र से मेरा अनुरोध भी किया। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार ने पहले ही पंचायतों में और शिक्षक नियुक्ति में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया। 

बिहार सीएम ने कहा कि जब हम पार्लियामेंट में थे तभी से महिला आरक्षण बिल के समर्थन में प्रयास करते आ रहे हैं। अब इसे लागू किया जा रहा है तो बहुत अच्छी बात है। इसके साथ-साथ और कई बातें कही थी। लेकिन इसके लिए जनगणना कराना था जो हो जाना चाहिए था।  हर 10 साल पर यह होता था वो तो हो नहीं रहा है। ऐसे में कानून बन जाने पर इसे लागू कैसे करेंगे।

नीतीश कुमार ने कहा कि आप लोग तो जानते ही हैं महिलाओं के लिए हम कितना किए हैं। बिहार में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण हम ही लोगों ने दिया। 2006 में पंचायत में और 2007 में नगर निकाय  चुनाव में आरक्षण हमारी सरकार ने लागू किया। उसके बाद हम लोगों ने  महिलाओं की बहाली शुरू करवाई। शिक्षक बहाली में प्राथमिक शिक्षकों की बहाली हो रही थी तो हमने लड़कियों के लिए इसमें 50 प्रतिशत आरक्षण दे दिया। आज बिहार में पुलिस में इतनी ज्यादा महिलाएं हैं जो मजबूती से अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। हम लोगों ने जितना महिलाओं का समर्थन किया है उसे देखा जा सकता है। इसीलिए कह रहा  कि महिला आरक्षण के लिए बिल लागू होना चाहिए। महिला को जरूर आरक्षण मिलना चाहिए।

क्रेडिट लेने के सवाल पर कहा कि पहले आवश्यक यह कि यह लागू हो आखिर यह क्यों नहीं लागू होना चाहिए? लेकिन नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि हमारा एक डिमांड है, कि एससी-एसटी, पिछड़ा और अतिपिछड़ा के महिलाओं को और लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण अलग से मिलना चाहिए। नीतीश कुमार बिल का समर्थन भी कर रहे हैं पर सहयोगी दल राजद की बात को भी उठा रहे हैं।

उधर लोकसभा के चालू सत्र में जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ललन सिंह ने नीतीश कुमार की बातों को मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि जीविका और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से उनकी पार्टी ने महिलाओं को सशक्त बनाया है। नौकरियों में आरक्षण देकर उनकी ताकत बढ़ाई गई। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि आपका बिल नारी शक्ति के वंदन के लिए नहीं है बल्कि अपने वंदन के लिए है, अपनी कुर्सी केवंदनके लिए है। लेकिन जेडीयू इसका समर्थन करती है।

 

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