बीजेपी से नहीं मिला भाव तो इंडिया गठबंधन को रिझाने लगे मुकेश सहनी, RJD-JDU को भेजने लगे सिग्नल h3>
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विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के शामिल होने की खबर आ रही है। दरअसल, मंगलवार को मुकेश सहनी ने अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के दौरान कहा कि अब निषाद दिल्ली वालों के साथ नहीं है। निषाद उन्हीं के साथ होगा, जो हमारे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आरक्षण की बात करेगा। सहनी ने कहा कि जिस तरह से डाक्टर ने कोरोना को भगाने के लिए वैक्सीन बनाई थी। उसी तरह से मोदी सरकार को हटाने के लिए हमने गंगाजल से वैक्सीन बनाई है। जब आप यह वैक्सीन लगाइएगा, तो दिल्ली की कुर्सी हिलेगी।
मुकेश सहनी ने केंद्र सरकार को नौकरी के सवाल पर घेरते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किए थे, लेकिन आज नौ साल के बाद भी नौ लाख लोगों को भी नौकरी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने ऊंची जातियों के गरीबों को 10% आरक्षण प्रदान किया है। हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह निषाद, बेलदार, केवट और मल्लाह को नौकरी में आरक्षण देने में विफल रहे। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि निषादों को पांच किलो अनाज नहीं चाहिए, अब हमें अपने बच्चों की नौकरी के लिए आरक्षण चाहिए। अपनी यात्रा के दौरान सहनी लोगों से अपील कर रहे हैं कि आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं और गठबंधन नहीं तो वोट नहीं। सहनी ने कहा है कि उनकी पार्टी उसी गठबंधन से हाथ मिलाएगी जो उनकी जाति को नौकरी में आरक्षण प्रदान करेगा।
वीआईपी सुप्रीमो के इन बयानों को जोड़कर देखा जाए तो उनके इंडिया गठबंधन में शामिल होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बीच वीआईपी एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है कि जेडीयू और आरजेडी के कई वरिष्ठ नेता संपर्क में हैं, जिनके साथ इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर बातचीत हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय मुकेश सहनी ही लेंगे। वीआईपी नेता ने यह भी कहा कि एक बात स्पष्ट है, हम भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने और विकल्प की संभावना तलाशने की जल्दी में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी ने गरीब निषादों और मल्लाहों को आरक्षण देने में विफल रही बीजेपी को बेनकाब किया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार बीजेपी निषाद को नौकरी में आरक्षण की मांग नहीं करने की शर्त के साथ मुकेश सहनी को एनडीए का हिस्सा बनाना चाहती है।
गौरतलब है कि जुलाई में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की बैठक हुई थी, जिसमें लोजपा रामविलास के चिराग पासवान, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, आरएलजेडी उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा आर के पशुपति कुमार पारस को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पत्र भेजकर आमंत्रण दिया। लेकिन, मुकेश सहनी को उस बैठक में नहीं बुलाया गया था।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में शामिल वीआईपी ने बोचहा सहित चार सीटें जीतीं। मुकेश सहनी को मंत्री बनाया गया। पिछले साल मुसाफिर पासवान के निधन होने के बाद बोचहा सीट खाली हो गई। बीजेपी ने उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा किया, जिसका मुकेश सहनी ने विरोध किया और वहां से वीआईपी कैंडिडेट को मैदान में उतार दिया लेकिन उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार की जीत हुई। एक बड़े घटनाक्रम में वीआईपी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। एमएलसी के रूप में मुकेश सहनी का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब ऐसे में मुकेश सहनी को चिंता सताने लगी कि उनके राजनीतिक करियर में कहीं पूर्ण विराम ना लग जाए। आखिरकार सहनी ने निषाद को नौकरी में आरक्षण देने का मुद्दा लेकर अपने समाज को एकजुट करने उतर गए।
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विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के शामिल होने की खबर आ रही है। दरअसल, मंगलवार को मुकेश सहनी ने अपनी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा के दौरान कहा कि अब निषाद दिल्ली वालों के साथ नहीं है। निषाद उन्हीं के साथ होगा, जो हमारे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आरक्षण की बात करेगा। सहनी ने कहा कि जिस तरह से डाक्टर ने कोरोना को भगाने के लिए वैक्सीन बनाई थी। उसी तरह से मोदी सरकार को हटाने के लिए हमने गंगाजल से वैक्सीन बनाई है। जब आप यह वैक्सीन लगाइएगा, तो दिल्ली की कुर्सी हिलेगी।
मुकेश सहनी ने केंद्र सरकार को नौकरी के सवाल पर घेरते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा किए थे, लेकिन आज नौ साल के बाद भी नौ लाख लोगों को भी नौकरी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने ऊंची जातियों के गरीबों को 10% आरक्षण प्रदान किया है। हमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन वह निषाद, बेलदार, केवट और मल्लाह को नौकरी में आरक्षण देने में विफल रहे। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि निषादों को पांच किलो अनाज नहीं चाहिए, अब हमें अपने बच्चों की नौकरी के लिए आरक्षण चाहिए। अपनी यात्रा के दौरान सहनी लोगों से अपील कर रहे हैं कि आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं और गठबंधन नहीं तो वोट नहीं। सहनी ने कहा है कि उनकी पार्टी उसी गठबंधन से हाथ मिलाएगी जो उनकी जाति को नौकरी में आरक्षण प्रदान करेगा।
वीआईपी सुप्रीमो के इन बयानों को जोड़कर देखा जाए तो उनके इंडिया गठबंधन में शामिल होने की संभावना बढ़ जाती है। इस बीच वीआईपी एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा है कि जेडीयू और आरजेडी के कई वरिष्ठ नेता संपर्क में हैं, जिनके साथ इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर बातचीत हुई है। हालांकि उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय मुकेश सहनी ही लेंगे। वीआईपी नेता ने यह भी कहा कि एक बात स्पष्ट है, हम भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने और विकल्प की संभावना तलाशने की जल्दी में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी ने गरीब निषादों और मल्लाहों को आरक्षण देने में विफल रही बीजेपी को बेनकाब किया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार बीजेपी निषाद को नौकरी में आरक्षण की मांग नहीं करने की शर्त के साथ मुकेश सहनी को एनडीए का हिस्सा बनाना चाहती है।
गौरतलब है कि जुलाई में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की बैठक हुई थी, जिसमें लोजपा रामविलास के चिराग पासवान, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, आरएलजेडी उपेंद्र कुशवाहा और लोजपा आर के पशुपति कुमार पारस को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पत्र भेजकर आमंत्रण दिया। लेकिन, मुकेश सहनी को उस बैठक में नहीं बुलाया गया था।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में शामिल वीआईपी ने बोचहा सहित चार सीटें जीतीं। मुकेश सहनी को मंत्री बनाया गया। पिछले साल मुसाफिर पासवान के निधन होने के बाद बोचहा सीट खाली हो गई। बीजेपी ने उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा किया, जिसका मुकेश सहनी ने विरोध किया और वहां से वीआईपी कैंडिडेट को मैदान में उतार दिया लेकिन उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार की जीत हुई। एक बड़े घटनाक्रम में वीआईपी के तीनों विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। एमएलसी के रूप में मुकेश सहनी का कार्यकाल समाप्त हो गया। अब ऐसे में मुकेश सहनी को चिंता सताने लगी कि उनके राजनीतिक करियर में कहीं पूर्ण विराम ना लग जाए। आखिरकार सहनी ने निषाद को नौकरी में आरक्षण देने का मुद्दा लेकर अपने समाज को एकजुट करने उतर गए।