विंध्य में राजेंद्र शुक्ला के मंत्री बनने के बाद ब्राह्मणों का गुस्सा ठंडा हुआ? जानें 30 सीटों का पूरा हाल

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विंध्य में राजेंद्र शुक्ला के मंत्री बनने के बाद ब्राह्मणों का गुस्सा ठंडा हुआ? जानें 30 सीटों का पूरा हाल

विंध्य में राजेंद्र शुक्ला के मंत्री बनने के बाद ब्राह्मणों का गुस्सा ठंडा हुआ? जानें 30 सीटों का पूरा हाल

भोपाल: बीजेपी मध्यप्रदेश (MP Election) में हर क्षेत्र में लोगों की नाराजगी दूर करने में जुटी है। उनमें से एक विंध्य भी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य बीजेपी का मजबूत किला रहा है। पार्टी ने 30 में से 24 सीटें जीती थी। 2020 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो उस हिसाब से विंध्य को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसके बाद विंध्य इलाके से बगावती सुर सुनाई देने लगे थी। यही वजह रही कि बीजेपी के किले में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सेंधमारी कर ली है। रैगांव उपचुनाव बीजेपी हार गई। विंध्य में मेयर की कुर्सी पर आप और कांग्रेस कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही पेशाब कांड के बाद बीजेपी के लिए स्थिति अनुकूल नहीं थी।

दरअसल, विंध्य में ब्राह्मणों का दबदबा है। इसके बाद कुछ जिलों में आदिवासियों का वर्चस्व है। सीधी पेशाब कांड के बाद सरकार के सामने दो मुसीबतें खड़ी हो गई थीं। पहली यह थी कि आदिवासी समाज के लोग नाराज हो रहे थे। आदिवासियों को खुश करने के लिए आरोपी प्रवेश शुक्ला पर कठोर कार्रवाई की गई। साथ ही पीड़ित दशमत रावत के सीएम ने पैर पखार कर डैमेज कंट्रोल किया। वहीं, प्रवेश शुक्ला के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। बुलडोजर चलने के बाद ब्राह्मण समाज नाराज हो गया।

मंत्री वाला चल दिया दांव

ब्राह्मण समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए बीजेपी मंत्री कार्ड खेला है। विंध्य इलाके के कद्दावर नेता राजेंद्र शुक्ला को सरकार में मंत्री पद दे दिया। उन्हें मंत्री तब बनाया गया है, जब चुनाव में डेढ़ महीने का वक्त बचा है। ऐसे में बीजेपी के अंदर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। सीधी से विधायक केदार शुक्ला ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ असंतोष को कम करने के लिए किया गया है। इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं हुआ है।

विंध्य में है 30 विधानसभा सीटें

वहीं, विंध्य एक समय में कांग्रेस का गढ़ रहा है। ब्राह्मण वोटरों को साधकर बीजेपी ने उस इलाके में दबदबा बनाया है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भी विंध्य से हैं। विंध्य को साधने के लिए सरकार ने मऊ को जिला बना दिया है। साथ ही मैहर के नाम का भी ऐलान कर सकती है। विंध्य में पहले सात जिले थे। इस बार मऊ के बनने से कुल आठ जिले हो गए हैं। सबसे अधिक सीटें रीवा और सतना में है।

विंध्य क्षेत्र में रीवा, सतना, उमरिया, सिंगरौली, सीधी, अनूपपुर, शहडोल और मऊ आता है। आइए आपको बताते हैं कि किस विधानसभा सीट पर किसका कब्जा है।

विधानसभा सीट का नाम जिला विधायक पार्टी
चित्रकूट सतना निलांशु चतुर्वेदी कांग्रेस
रैगांव सतना कल्पना वर्मा कांग्रेस
सतना सतना सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा कांग्रेस
नागौद सतना नागेंद्र सिंह बीजेपी
मैहर सतना नारायण त्रिपाठी बीजेपी
अमरपाटन सतना राम खेलावन पटेल बीजेपी
रामपुर बघेलान सतना विक्रम सिंह बीजेपी
सिरमौर रीवा दिव्यराज सिंह बीजेपी
सेमरिया रीवा केपी त्रिपाठी बीजेपी
त्योंथर रीवा श्याम लाल द्विवेदी बीजेपी
मऊगंज रीवा प्रदीप पटेल बीजेपी
देवतालाब रीवा गिरीश गौतम बीजेपी
मनगवां रीवा पंचूलाल प्रजापति बीजेपी
रीवा रीवा राजेंद्र शुक्ल (मंत्री) बीजेपी
गुढ़ रीवा नागेंद्र सिंह बीजेपी
चुरहट सीधी शारदेंदु तिवारी बीजेपी
सीधी सीधी केदारनाथ शुक्ल बीजेपी
सिहावल सीधी कमलेश्वर पटेल सीधी
चितरंगी सिंगरौली अमर सिंह बीजेपी
सिंगरौली सिंगरौली राम लल्लू वैश्य बीजेपी
देवसर सिंगरौली सुभाष राम चरित्र बीजेपी
धौहनी सीधी कुंवर सिंह टेकाम बीजेपी
ब्योहारी शहडोल शरद जुगलाल कोल बीजेपी
जय सिंह नगर शहडोल जयसिंह मरावी बीजेपी
जैतपुर शहडोल मनीषा सिंह बीजेपी
कोतमा अनूपपुर सुनील सराफ कांग्रेस
अनूपपुर अनूपपुर बिसाहूलाल सिंह (मंत्री) बीजेपी
पुष्पराजगढ़ अनूपपुर फुंदेलाल सिंह मार्को कांग्रेस
बांधवगढ़ उमरिया शिवनारायण सिंह बीजेपी
मानपुर उमरिया मीना सिंह मांडवे (मंत्री) बीजेपी

बढ़ सकते हैं बगावती सुर
दरअसल, विंध्य इलाके में गुटबाजी की वजह से बीते चुनावों में कांग्रेस को खामियाजा उठाना पड़ा था। निकाय चुनाव में पार्टी को कुछ जगहों पर हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, इससे सबक लेते हुए पार्टी ने राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बना दिया है। इसके साथ ही कुछ पुराने नेताओं को अपने पाले में भी किया है। वहीं, कांग्रेस भी इस क्षेत्र में खूब जोर लगा रही है।
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बीजेपी ज्यादा कर रही हो फोकस
वहीं, बीजेपी विंध्य को साधने के लिए शाम दंड भेद का तरीका अपना रही है। पार्टी फोकस आदिवासी और ब्राह्मणों वोटों पर पर कर रही है। आदिवासियों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल जा चुके हैं। साथ ही मन की बात में भी आदिवासियों की बात कर चुके हैं। कोल जनजाति को लुभाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह भी कोल महाकुंभ में हिस्सा ले चुके हैं। अब बीजेपी की जन आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत भी विंध्य से हो रही है। इसकी शुरुआत चित्रकूट से होगी।
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जातिवाद है बड़ा मुद्दा
इस क्षेत्र में जातिवाद भी एक बड़ा मुद्दा है। बीजेपी के पास विंध्य में नेताओं की भरमार है। वहीं, कांग्रेस के कद्दावर नेता श्रिनिवास तिवारी और पूर्व सीएम अर्जुन सिंह भी इसी क्षेत्र से आते हैं। अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह राहुल इन दिनों हाशिए पर चल रहे हैं। वहीं, ओबीसी वर्ग से आने वाले पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल को कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी में शामिल कर लिया है। कांग्रेस उस क्षेत्र के ओबीसी और दलित वोटरों को जोड़ने में लगी है।

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