Yogi vs Akhilesh: योगी आदित्यनाथ बोले- धर्म का मतलब केवल पूजा पद्धति नहीं, अखिलेश का तंज- धर्म धमकी नहीं होता

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Yogi vs Akhilesh: योगी आदित्यनाथ बोले- धर्म का मतलब केवल पूजा पद्धति नहीं, अखिलेश का तंज- धर्म धमकी नहीं होता

Yogi vs Akhilesh: योगी आदित्यनाथ बोले- धर्म का मतलब केवल पूजा पद्धति नहीं, अखिलेश का तंज- धर्म धमकी नहीं होता

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक इंटरव्यू में ज्ञानवापी के लिए कहा कि उसे मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए। इसी इंटरव्यू में उन्होंने धर्म की व्याख्या करते हुए बताया कि धर्म एक समग्र जीवन की पद्धति है। धर्म कर्तव्य के पथ की प्रेरणा देना वाला एक मार्गदर्शक है। हम उसे केवल पूजा पद्धति तक सीमित नहीं कर सकते। विज्ञान उसका बहुत छोटा हिस्सा है, ये जीवन के उन्नयन का एक माध्यम है। आध्यम उसकी चरम स्थिति है। मैंने आध्यात्म का सहारा लिया है और एक विज्ञान के छात्र के साथ ही एक योगी के रूप में उस दिशा में काम कर रहे हैं। उधर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी एक ट्वीट के माध्यम धर्म की व्याख्या की है। हालांकि उन्होंने योगी का नाम नहीं लिया है। अखिलेश ने कहा है कि धर्म लिबास से नहीं विचार-आचार से प्रकट होना चाहिए। धर्म धमकी नहीं होता।

योगी ने कहा कि देखिए सबसे पहले हमें धर्म समझना पड़ेगा। भारत की परंपरा को अगर हम जानना चाहेंगे तो भारत ने सिर्फ उपासना को धर्म नहीं माना है। कर्तव्य और सदाचार को धर्म का एक रूप माना है। धर्म को उससे जोड़कर देखा है। धर्म एक व्यवस्था है। जीवन पद्धति कह सकते हैं। विज्ञान उसके उन्नयन का एक माध्यम है। आध्यात्म उसकी चरम स्थिति है। यानी साइंस उसका बहुत छोटा सा हिस्सा है। हम जब भौतिक दृष्टि से देखते हैं तो वैज्ञानिक प्रयोग हो जाता है। लेकिन जब हम चेतना का विस्तार करेंगे तो वह आध्यात्म की नई ऊंचाई तक पहुंचाएगा। जहां एक व्यक्ति किसी कार्य का केवल सृष्टा ही नहीं दृष्टा भी बन सकता है। यही वैदिक ऋषियों ने किया था। इसलिए मैंने आध्यात्म का सहारा लिया। इसमें अन्वेषण की यात्रा चल रही है। एक साइंस के स्टूडेंट के साथ एक योगी के रूप में उस दिशा में आगे कार्य कर रहे हैं।

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धर्म योगी से आप राजनीति में आए उसके सफर के बारे में पूछने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि देखिए ये ही अंतर है। धर्मयोगी नहीं योगी योगी होता है और मैं एक योगी हूं। धर्म का मतलब केवल पूजा-पद्धति नहीं है। धर्म एक समग्र जीवन की पद्धति है। धर्म कर्तव्य के पथ की प्रेरणा देना वाला एक मार्गदर्शक है। हम उसे केवल पूजा पद्धति तक सीमित नहीं कर सकते। एक योगी के रूप में परिवार के बंधन से मुक्त होकर समाज की विराटता के साथ अपना जुड़ाव हुआ है। इसलिए उस विराटता के साथ जोड़कर अपना कार्य करना।

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एक योगी का मतलब ये नहीं कि वह केवल अपने स्वयं के मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक लाभ के लिए वह अपने आप को सीमित कर ले। अगर समाज के सामने कोई चुनौती तो उस चुनौती से जूझने के लिए भी अपने आप को तैयार रखे। याद रखना साधना की सबसे पहली पद्धति सेवा है। भक्ति मार्ग में भी पहला मार्ग सेवा है। कोई भी साधक संन्यासी या योगी बनता है तो उसके लिए सेवा का मार्ग ही दीक्षा का मार्ग प्रशस्त करता है। हम भी जब एक योगी के रूप में सार्वजनिक जीवन में आए तो किसी पद या प्रतिष्ठा के लिए नहीं, बल्कि सेवा के लिए आए हैं। हम समाज के अंतिम समाज पर बैठे व्यक्ति की सेवा इस पद पर रहते हुए करेंगे।

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उधर अखिलेश यादव ने धर्म से जुड़ा एक ट्वीट किया। उन्होंने योगी आदित्यनाथ का नाम तो नहीं लिया लेकिन लिखा, “धर्म जीवन के साथ ही, मानवीय व्यवहार, सामाजिक सहनशीलता, व्यक्तिगत सकारात्मक उत्थान और चतुर्दिक सह अस्तित्व सिखाने का भी मार्ग है। धर्म लिबास से नहीं विचार-आचार से प्रकट होना चाहिए। धर्म धमकी नहीं होता।

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