Patna Lathi Charge Case: बीजेपी नेता विजय सिंह की मौत मामले पर SC का सुनवाई से इनकार, जानिए पूरा मामला h3>
पटना/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पटना में बीजेपी नेताओं पर लाठीचार्ज से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। पटना में 13 जुलाई को बीजेपी के एक प्रदर्शन के दौरान पार्टी नेता विजय सिंह की मौत हो गई थी। इस घटना की शीर्ष अदालत के किसी रिटायर्ड जस्टिस या सीबीआई की अध्यक्षता में एसआईटी जांच कराए जाने अपील को लेकर याचिका दायर की गई थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट का रुख करने को कहा।
सर्वोच्च अदालत ने कहा- हाईकोर्ट जाएं
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट संवैधानिक अदालतें होती हैं। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी शक्तियां बहुत हैं। स्थानीय उच्च न्यायालय होने के कारण अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस सही तरीके से काम नहीं कर रही तो वे सक्षम अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन कर सकते हैं। साथ ही जांच पर निगरानी रख सकते हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली और मामले का निस्तारण कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने HC से तत्काल सुनवाई को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मामले पर तत्काल सुनवाई करने और तुरंत फैसला लेने के लिए कहा है। जहानाबाद से बीजेपी नेता विजय सिंह की 13 जुलाई को बीजेपी के ‘विधानसभा मार्च’ में हिस्सा लेते वक्त मौत हो गयी थी। पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि उनकी मौत पुलिस लाठीचार्ज के कारण हुई। वहीं पटना जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा कि उनके शरीर पर ‘चोट के कोई निशान नहीं’ पाए गए हैं। उन्हें दिल संबंधी बीमारी थी।
क्या था पूरा मामला
बीजेपी का ये मार्च राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ आंदोलनों के समर्थन में आयोजित किया गया था। मार्च पटना के गांधी मार्च से शुरू हुआ और उसे विधानसभा परिसर से कुछ किलोमीटर पहले रोक दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में बिहार निवासी भूपेश नारायण की ओर से याचिका दायर की गई थी। जिसमें कथित तौर पर घटना के ‘असली दोषियों को बचाने’ का आरोप लगाया गया था। इसमें राज्य के पुलिस प्रमुख समेत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने का अनुरोध किया गया था।
सीबीआई जांच की मांग को लेकर थी याचिका
याचिका में दावा किया गया कि मार्च में शामिल लोगों को पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से अचानक घेर लिया था। उन पर लाठीचार्ज किया गया, पानी की बौछारें की गई और आंसू गैस के गोले छोड़े गए जिससे अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी। इसमें आरोप लगाया गया कि ‘पुलिस की बर्बरता और अत्याचार’ के कारण विजय सिंह की मौत हो गई थी।
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सर्वोच्च अदालत ने कहा- हाईकोर्ट जाएं
पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट संवैधानिक अदालतें होती हैं। संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उनकी शक्तियां बहुत हैं। स्थानीय उच्च न्यायालय होने के कारण अगर उन्हें लगता है कि स्थानीय पुलिस सही तरीके से काम नहीं कर रही तो वे सक्षम अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन कर सकते हैं। साथ ही जांच पर निगरानी रख सकते हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली और मामले का निस्तारण कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने HC से तत्काल सुनवाई को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से मामले पर तत्काल सुनवाई करने और तुरंत फैसला लेने के लिए कहा है। जहानाबाद से बीजेपी नेता विजय सिंह की 13 जुलाई को बीजेपी के ‘विधानसभा मार्च’ में हिस्सा लेते वक्त मौत हो गयी थी। पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि उनकी मौत पुलिस लाठीचार्ज के कारण हुई। वहीं पटना जिला प्रशासन ने एक बयान में कहा कि उनके शरीर पर ‘चोट के कोई निशान नहीं’ पाए गए हैं। उन्हें दिल संबंधी बीमारी थी।
क्या था पूरा मामला
बीजेपी का ये मार्च राज्य सरकार की शिक्षक भर्ती नीति के खिलाफ आंदोलनों के समर्थन में आयोजित किया गया था। मार्च पटना के गांधी मार्च से शुरू हुआ और उसे विधानसभा परिसर से कुछ किलोमीटर पहले रोक दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट में बिहार निवासी भूपेश नारायण की ओर से याचिका दायर की गई थी। जिसमें कथित तौर पर घटना के ‘असली दोषियों को बचाने’ का आरोप लगाया गया था। इसमें राज्य के पुलिस प्रमुख समेत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराने का अनुरोध किया गया था।
सीबीआई जांच की मांग को लेकर थी याचिका
याचिका में दावा किया गया कि मार्च में शामिल लोगों को पुलिस ने पूर्व नियोजित तरीके से अचानक घेर लिया था। उन पर लाठीचार्ज किया गया, पानी की बौछारें की गई और आंसू गैस के गोले छोड़े गए जिससे अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी। इसमें आरोप लगाया गया कि ‘पुलिस की बर्बरता और अत्याचार’ के कारण विजय सिंह की मौत हो गई थी।