तीन करोड़ रुपए की लागत बने हॉस्टल में रहने के बच्चे नहीं, अब उठ रहे सवाल

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तीन करोड़ रुपए की लागत बने हॉस्टल में रहने के बच्चे नहीं, अब उठ रहे सवाल

तीन करोड़ रुपए की लागत बने हॉस्टल में रहने के बच्चे नहीं, अब उठ रहे सवाल

Jabalpur News: जबलपुर के बरगी विधानसभा (Tribal Hostel In Bargi) के ग्राम पंचायत परासिया में बने 50 सीटर सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास बंद पड़ा हुआ है। छात्रों के प्रवेश न होने की वजह से यह ट्राइबल हॉस्टल बंद है। लगभग तीन करोड़ रुपए की लागत से बना ये छात्रावास आज धूल और गंदगी से पटा पड़ा हुआ है। आदिवासी विभाग की तरफ से इस छात्रावास का निर्माण कराया गया था। तीन साल में बनकर तैयार हुए इस छात्रावास का उद्घाटन बरगी विधान सभा के विधायक संजय यादव ने खुद 1 जनवरी 2022 को कर दिया था।
विभाग के अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इस छात्रावास के लिए मध्यप्रदेश शासन से किसी प्रकार की अनुमति नहीं मिली थी। जबलपुर से 60 किलोमीटर दूर बेलखेड़ा में बालक छात्रावास निर्माण के लिए अनुमति दी गए थी लेकिन राजनैतिक कारणों से इसका निर्माण ग्राम पंचायत परासिया में कर दिया गया। अधिकारियों ने ये भी जिस ग्राम पंचायत में छात्रावास का निर्माण कराया है, वहां से स्कूल की दूरी तीन किलोमीटर है। दूरी के चलते विद्यार्थी यहां प्रवेश नहीं ले पा रहे हैं।

वहीं, क्षेत्र के विधायक का कहना है कि दूरी की कोई समस्या नहीं है। वो जिला प्रशासन से कहकर छात्रावास से स्कूल तक मेट्रो बस चलाने की व्यवस्था करा देंगे। विधायक ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान आदिवासी समाज के लिए सिर्फ दिखावे का काम रहे हैं। बीजेपी की सरकार आदिवासियों के हित में किसी भी प्रकार का कार्य नहीं कर रही है।

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आदिवासी विभाग से जब इस छात्रावास के विषय में नवभारत टाइम्स.कॉम जानने की कोशिश की तो विभाग के अधिकारी इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं। आदिवासी समाज के बच्चों को समाज की मुख्यधारा और शिक्षित बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से करोड़ों की राशि आती है। इस राशि का उपयोग आदिवासी विद्यार्थियों पर खर्च बेहतर तरीके से नहीं किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत परासिया में बने इस छात्रावास में पलंग, गद्दे , चादरें और अन्य सामान पुराना लाकर रख दिया गया है। छात्रावास में अरुण कुशवाहा नामक अधीक्षक की पोस्टिंग की गई है लेकिन यहां पर हरीश नामक अधीक्षक ही छात्रावास का प्रभार देख रहा है। जबकि उसके पास पहले से चार छात्रावासों का प्रभार है।

15 जून 2023 से प्रदेश के स्कूल और हॉस्टल शुरू हो गए हैं लेकिन पिछले साल से इस छात्रावास में एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है।

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