दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में बड़ा बंगला… जिस अधिकारी ने दी इसे बनाने की मंजूरी वही रहते हैं यहां, आखिर कैसे

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दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में बड़ा बंगला… जिस अधिकारी ने दी इसे बनाने की मंजूरी वही रहते हैं यहां, आखिर कैसे

दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में बड़ा बंगला… जिस अधिकारी ने दी इसे बनाने की मंजूरी वही रहते हैं यहां, आखिर कैसे

नई दिल्ली: लुटियंस दिल्ली के सबसे चुनिंदा इलाकों में से एक चाणक्यपुरी में बंगला और वह भी काफी बड़ा। इसमें कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है लेकिन एक सवाल है। सवाल यह है कि जिस अधिकारी के कलम से इस बंगले को बनाने की मंजूरी मिली वही अधिकारी लंबे समय से इस बंगले में मौजूद हैं। क्या यह महज इत्तेफाक है। दिल्ली के सबसे हरे-भरे इलाके नेहरू पार्क के पास यह बंगला है जिसमें (MGMUT) कैडर के 1995-बैच के आईएएस अधिकारी सज्जन सिंह यादव रहते हैं। सज्जन सिंह यादव एक वक्त दिल्ली जल बोर्ड के CEO हुआ करते थे। इनकी मंजूरी से ही इस बंगले का निर्माण हुआ और इनका कहना है कि इसमें नियमों की कोई अनदेखी नहीं हुई है। इससे जुड़ी एक खबर अंग्रेजी के अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित हुई है। इस खबर में इस बात का जिक्र है कि कैसे 2015 में दिल्ली जल बोर्ड के सबसे बड़े अधिकारी की ओर से इस बंगले को बनाने की मंजूरी दी गई। साथ ही वर्षों बाद उसी बंगले वही अधिकारी हैं जिन्होंने इसे बनाने की मंजूरी दी।साल 2015 की ओर चलें, उसी साल एक प्रपोजल दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के पास पहुंचा जहां जिसमें छह पुराने क्वार्टर को ध्वस्त करने और इसकी जगह टाइप -6 बंगला बनाने की बात थी। आमतौर पर ऐसा बंगला ब्यूरोक्रेसी के सबसे बड़े अधिकारी को मिलता है। तत्कालीन सीईओ ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन प्राधिकरण द्वारा काम पूरा करने से काफी पहले उनका ट्रांसफर हो गया।

अब आते हैं साल 2023 में। 2016 में बनकर तैयार हुए इस बंगले में तब से एक ही अधिकारी रह रहे हैं। वह हैं दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सीईओ और अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर 1995-बैच के आईएएस अधिकारी सज्जन सिंह यादव। जिन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वर्तमान समय में वह वित्त मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं और यहीं रहते हैं।

जिस जगह यह बंगला है वहां रहने की चाहत भला किसे नहीं होगी। हालांकि इस बंगले पर नजर आसानी से जाएगी नहीं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक बंगले के भीतर एक सेडान कार खड़ी थी जिस पर भारत सरकार का स्टिकर लगा हुआ था। बंगला काफी बड़ा था। गूगल अर्थ के क्लिप में यह काफी बड़े लॉन से घिरा दिखता है।

सज्जन सिंह यादव ने बंगले की मौजूदगी उसी जगह पर होने की पुष्टि की और यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी जिसकी लागत 3.25 करोड़ बताई। उन्होंने कहा कि उनके सामने 2015 के प्रस्ताव में तीन टाइप-I और तीन टाइप-2 क्वार्टर को ध्वस्त करने और उसकी जगह एक टाइप-6, दो टाइप-1 और दो टाइप-2 क्वार्टर बनाने का सुझाव दिया गया था।

DJB सीईओ के रूप में मैंने अपने कार्यकाल के दौरान 100 से अधिक परियोजनाओं के लिए प्रशासनिक मंजूरी दी थी और यह परियोजना उनमें से एक थी। पांच क्वार्टर में से, टाइप-6 क्वार्टर मुझे बहुत बाद में आवंटित किया गया। चंद्रावल वाटर वर्क्स में एक समान डीजेबी क्वार्टर (बंगला) के बदले में यह आवंटित किया गया था, जिस पर मैं 2002 से रह रहा था।

सज्जन सिंह यादव ने कहा कि मुझे आवंटित बंगला सरकारी एजेंसियों के मालिकाना हक वाला एकमात्र बंगला नहीं है। ऐसे करीब 100 बंगले हैं…अधिकारियों को उनकी योग्यता के अनुसार आवंटित किए गए हैं। यादव ने कहा कि संभव है कि उनमें से कई के निर्माण की अनुमति उन अधिकारियों द्वारा दी गई हो जो इन बंगलों में रह रहे हैं या रह चुके हैं।

दिल्ली के उपराज्यपाल के पास 2020 की एक शिकायत है दिल्ली जल बोर्ड के पंप हाउस को लेकर। यादव ने कहा कि पंप हाउस अभी भी बंगला परिसर के अंदर है। डीजेबी ऑपरेटर केबिन, पंप हाउस और अन्य संपत्तियों को ध्वस्त नहीं किया गया और वे अभी भी वहीं हैं। उन्होंने उन अटकलों का भी खंडन किया कि बंगला नेहरू पार्क के अंदर था और इसके निर्माण में नियमों का उल्लंघन किया गया था।

हालांकि सज्जन सिंह यादव ने उस बात पर जोर नहीं दिया कि दिल्ली के सबसे अच्छे स्थानों में से एक में बंगला मंजूर करने वाला व्यक्ति सात साल बाद भी उसमें एकमात्र रहने वाला बना रहा। 20 फरवरी, 2020 को एक पत्रकार ने तत्कालीन दिल्ली के उपराज्यपाल को बंगले के बारे में शिकायत दी थी। इस शिकायत में यह बात कही गई कि सज्जन सिंह यादव ने डीजेबी सीईओ के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और पंप हाउस के नवीनीकरण के नाम पर डीजेबी पंप हाउस को ध्वस्त करके नेहरू पार्क के अंदर एक बंगला बनाया। बिना अनुमति 40-50 पेड़ भी कटवा दिए।

सज्जन यादव ने इस शिकायत पर अपना बचाव किया और कहा कि मैं मार्च 2017 से अगस्त 2019 तक दमन और दीव में तैनात था और सतीश शर्मा जिसने शिकायत की है वह आदतन शिकायतकर्ता है। व्यक्तिगत खुन्नस के चलते झूठा फंसाने की कोशिश की। बंगला परिसर में कोई पेड़ नहीं काटा गया और न ही एनजीटी की ओर से इस बारे में कोई नोटिस जारी किया गया है।

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