Tomato Price: महंगे टमाटर में आपकी EMI के लिए भी छिपी है बुरी खबर h3>
नई दिल्ली: देश में सब्जियों और दालों की कीमत में हाल के दिनों में काफी तेजी आई है। देश के कई शहरों में टमाटर की कीमत 200 रुपये के पार चली गई है। इसका एक और साइड इफेक्ट होने जा रहा है। महंगाई को देखते हुए आरबीआई (RBI) के फिलहाल रेपो रेट में कोई कटौती करने की उम्मीद नहीं है। मौसमी कारणों से हाल में देश में जरूरी फूड आइटम्स की कीमत दोगुनी हो गई है। टमाटर के साथ ही अदरक, लौंकी और हरी मिर्च की कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआई पिछले साल मई से रेपो रेट में 2.5 परसेंट की बढ़ोतरी कर चुका है। महंगाई में फूड इन्फ्लेशन की 40 परसेंट हिस्सेदारी है। जानकारों का मानना है कि इसे देखते हुए आरबीआई सतर्क रुख दिखा सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में टमाटर की कीमत कई शहरों में 150 रुपये के पार पहुंच चुकी है जो मई के पहले हफ्ते में 15 रुपये किलो थी। होलसेलर्स का कहना है कि सब्जियों की कीमत एक हफ्ते में दोगुनी हो चुकी है और उनकी बिक्री में 40 परसेंट गिरावट आई है। खानेपीने की चीजों की कीमत में हाल में काफी तेजी आई है। जीरे की कीमत अप्रैल में 400 रुपये किलो थी जो अब 750 रुपये पहुंच चुकी है। इसी तरह मगज (खरबूजे के बीज) की कीमत 300 रुपये से 750 रुपये पहुंच चुकी है। क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि चावल और दालों की कीमत बढ़ना चिंताजनक है। मॉनसून इस स्थिति को बदल सकता है।
गड़बड़ा सकता है बजट
उन्होंने कहा कि अमूमन आरबीआई इस तरह के मौसमी कारणों से खानेपीने की चीजों की कीमत में बढ़ोतरी को नजरअंदाज करता है। लेकिन कीमतों में लगातार बढ़ोतरी चिंताजनक है क्योंकि फूड कंज्यूमर इन्फ्लेशन बास्केट का अहम हिस्सा है। आरबीआई को दो परसेंट घटबढ़ के साथ महंगाई को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य मिला है। लेकिन खानेपीने की चीजों में बढ़ोतरी से मामला गड़बड़ा सकता है। मई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित रिटेल महंगाई 4.25 परसेंट रही थी।
आरबीआई ने अप्रैल में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था और जून में भी इसे यथावत रखा गया। इस बीच रिपोर्ट आई थी कि आरबीआई पॉलिसी रेपो रेट में जल्दी ही कटौती कर सकता है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई अगले साल की शुरुआत में पॉलिसी रेट में कटौती शुरू कर सकता है। HDFC Bank के प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा कि आरबीआई रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रख सकता है। अगर फाइनेंशियल ईयर 2024 की दूसरी छमाही में भी खाने पीने की चीजों की कीमत में कमी नहीं आई, तो फिर आरबीआई रेपो रेट में कटौती को आगे के लिए टाल सकता है।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में टमाटर की कीमत कई शहरों में 150 रुपये के पार पहुंच चुकी है जो मई के पहले हफ्ते में 15 रुपये किलो थी। होलसेलर्स का कहना है कि सब्जियों की कीमत एक हफ्ते में दोगुनी हो चुकी है और उनकी बिक्री में 40 परसेंट गिरावट आई है। खानेपीने की चीजों की कीमत में हाल में काफी तेजी आई है। जीरे की कीमत अप्रैल में 400 रुपये किलो थी जो अब 750 रुपये पहुंच चुकी है। इसी तरह मगज (खरबूजे के बीज) की कीमत 300 रुपये से 750 रुपये पहुंच चुकी है। क्रिसिल के चीफ इकनॉमिस्ट धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि चावल और दालों की कीमत बढ़ना चिंताजनक है। मॉनसून इस स्थिति को बदल सकता है।
गड़बड़ा सकता है बजट
उन्होंने कहा कि अमूमन आरबीआई इस तरह के मौसमी कारणों से खानेपीने की चीजों की कीमत में बढ़ोतरी को नजरअंदाज करता है। लेकिन कीमतों में लगातार बढ़ोतरी चिंताजनक है क्योंकि फूड कंज्यूमर इन्फ्लेशन बास्केट का अहम हिस्सा है। आरबीआई को दो परसेंट घटबढ़ के साथ महंगाई को चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य मिला है। लेकिन खानेपीने की चीजों में बढ़ोतरी से मामला गड़बड़ा सकता है। मई में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित रिटेल महंगाई 4.25 परसेंट रही थी।
आरबीआई ने अप्रैल में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था और जून में भी इसे यथावत रखा गया। इस बीच रिपोर्ट आई थी कि आरबीआई पॉलिसी रेपो रेट में जल्दी ही कटौती कर सकता है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा था कि आरबीआई अगले साल की शुरुआत में पॉलिसी रेट में कटौती शुरू कर सकता है। HDFC Bank के प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा कि आरबीआई रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रख सकता है। अगर फाइनेंशियल ईयर 2024 की दूसरी छमाही में भी खाने पीने की चीजों की कीमत में कमी नहीं आई, तो फिर आरबीआई रेपो रेट में कटौती को आगे के लिए टाल सकता है।
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