बिहार टीचर नियुक्ति में अब डमी फॉर्म पर फाइट, नई रणनीति बनाने में जुटे यूनियन h3>
Bihar Teacher News: बिहार में BPSC के जरिए हो रही 1.7 लाख टीचर भर्ती को लेकर कई तरह के कंफ्यूजन हैं। ये भी कहा जा रहा है कि अभ्यर्थियों से डमी फॉर्म भरवाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से ये जानने की कोशिश की जा रही है कि आखिर परीक्षा में कितने अभ्यर्थी शामिल होंगे
पटना: बिहार में टीचर नियुक्ति को लेकर लाई गई नई नियमावली पर संघ Vs सरकार की लड़ाई चल रही है। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज पर मुकाबला है। नई नियमावली का विरोध जारी है। सभी जिलों और प्रमंडलों में आयोजित धरने के बाद 10 जून को भितिहरवा से प्रतिरोध मार्च निकाला गया। हस्ताक्षर अभियान के साथ समर्थन पत्र भी मांगा गया। मिली जानकारी के अनुसार लगभग 100 विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों से नई नियमावली के विरोध में समर्थन दिया है। इसके बरक्स धीरे-धीरे सरकार भी शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया को एक-एक कर लाती जा रही है। पहले तो बीपीएससी को नियुक्ति का अधिकार दे दिया गया। फिर इस परीक्षा के लिए सिलेबस तैयार किया गया। परीक्षा की तिथि निकाल दी गई। अब शिक्षक नियुक्ति को लेकर डमी फॉर्म भरवाने का नया खेल भी रच डाला। अब इस नए खेल के विरुद्ध शिक्षक संघ के भीतर भी कुलबुलाहट हो रही है।
सरकार की ‘चाल’ पकड़ी गई
विरोध प्रदर्शन के लगातार उग्र होते देखते हुए राज्य सरकार ने एक नया प्रयोग किया है। इसके तहत नियोजित शिक्षक या नए अभ्यर्थी इन सबों से एक डमी फॉर्म भरवाया जा रहा है। सरकार की मनसा ये देखने की है कि क्या सचमुच नियोजित शिक्षक परीक्षा नहीं देंगे या कितने नहीं देंगे? इस फॉर्म को भरवाने का मकसद इसी के बहाने सरकार ये जानना चाहती है कि क्या सच में नियोजित शिक्षक बीपीएससी परीक्षा में शामिल होंगे या नहीं? परीक्षार्थियों की सही संख्या भी सरकार जानना चाहती है ताकि संभावित परीक्षार्थियों के अनुकूल व्यवस्था करने में सहूलियत होगी।
बदल सकती है विरोध की रणनीति
सरकार की ओर से शिक्षक नियुक्ति के पहले डमी फॉर्म भरने की प्रक्रिया से शिक्षक और संघ दोनों हैरान हैं। वे लोग ये समझने की कोशिश भी कर रहे हैं कि इस डमी फॉर्म के विरुद्ध क्या रणनीति अपनाई जाए? इस संदर्भ में एक प्रस्ताव आया कि नियोजित शिक्षकों से शपथ पत्र भरवाया जाए कि वे बीपीएससी की परीक्षा का फॉर्म नहीं भरेंगे। दूसरा प्रस्ताव ये है कि संघ पंचायत स्तर तक जाकर कॉन्विंस करे कि वे न तो डमी फॉर्म भरे और ना ही परीक्षा का फॉर्म। मगर अब तक ये निर्णय नहीं हो पाया कि सरकार के डमी फॉर्म का जवाब किस तरह से दिया जाए।
क्या कहते हैं शिक्षक नेता?
शिक्षक नेता शैलेंद्र शर्मा का मानना है कि ये डमी फॉर्म का जो खेल शुरू हुआ है, वो सरकार और संघ के बीच लुकाछिपी है। संघ और शिक्षक के बीच भी गेम चल रहा है। याद कीजिए जब संघ मूल्यांकन का विरोध करता है तो यही शिक्षक बैकडोर से मूल्यांकन भी कर आते हैं। इसलिए मुझे तो लगता है कि ये नियोजित शिक्षक फॉर्म भरेंगे। हो सकता है कुछ प्रारंभिक, मिडिल और उत्क्रमित शिक्षक न भरें। दरअसल, शिक्षक संघ से जुड़े नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए कभी भाजपा के दरवाजे पर जाते हैं तो कभी वाम दल के पास। मगर, निदान कहीं से नहीं निकल रहा है। संघ कमजोर हो गया है। क्या संघ में इतनी ताकत है कि वो राजद का विरोध करे? आरजेडी ने मैनिफेस्टो में समान काम के लिए समान वेतन के बारे में कहा था कि सरकार में आते ही पहली बैठक में 2 अक्टूबर 1980 वाली सारी सुविधाएं दिलाएंगे। आज तो तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम हैं। जाकर उनके आवास पर जिंदाबाद-मुर्दाबाद कीजिए न? मगर ऐसा होगा नहीं, वो इसलिए कि राजनीतिक लोग संघ में आ गए हैं।
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