तब बिहार में गई थी 300 लोगों की जान, अब ओडिशा में 240 से ज्यादा मौत h3>
पटना:ओडिशा ट्रेन एक्सीडेंट में 240 से ज्यादा लोगों की मौत की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि ये आंकड़ा और बढ़ सकता है। दो ट्रेनों के पटरी से उतरने और मालगड़ी से टकराने के बाद ये हादसा हुआ। 42 साल पहले बिहार में हुए एक ट्रेन हादसे के दौरान 300 लोगों की मौत हुई थी। (लोगों के मुताबिक 800-1000 मौत) ट्रेन हादसे (Coromandel Train Accident) तो उसके बाद भी हुए मगर कभी इतनी संख्या में घर नहीं उजड़े। हाल के दिनों में रेल मंत्रालय ने कामयाबी की ढोल बजाई थी कि उसने उस ‘कवच’ को खोज लिया है, जिससे ट्रेन एक्सीडेंट को रोका जा सकता है। अब कहा जा रहा है कि इस रूट पर ‘कवच टेक्नोलॉजी’ का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। ये अपने आप में बड़ा सवाल है।
तीन-तीन ट्रेनों में टक्कर
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम दर्दनाक ट्रेन हादसा हुआ। कोलकाता के शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर हो गई। ट्रेन दुर्घटना में मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। एक्सप्रेस ट्रेनों के डिब्बों के परखच्चे उड़ गए। इस हादसे में 240 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। 900 से अधिक लोग जख्मी हैं। शवों की शिनाख्त के लिए परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं। जब आंखों के सामने मंजर सामने आता है को रूह कांप जाता है। ट्रेन की तस्वीर डराने लगती है।
1981 हादसे का वो मंजर
वैसे, 1981 और 2023 के बीच कई ट्रेन हादसे हुए। मगर हाल के दिनों में इतना बड़ा हादसा शायद ही किसी ने देखा हो। इससे 42 साल पहले बिहार में ट्रेन हादसा हुआ था, जब सात बोगियां एक पुल तोड़कर बागमती नदी में समा गई थी। इंडियन रेलवे के इतिहास में इसे सबसे बड़ा एक्सीडेंट कहा जाता है। 6 जून 1981 की शाम को 9 कोचवाली पैसेंजर ट्रेन (416DN) मानसी से सहरसा जा रही थी। तब खगड़िया से सहरसा के बीच यही एक मात्र ट्रेन चलती थी। इससे इस ट्रेन की अहमियत और भीड़ का अंदाजा लगा सकते हैं। ट्रेन में पांव रखने की जगह नहीं थी। इंजन तक पर लोग बैठे थे। ट्रेन के छतों पर लोग खड़े थे। मतलब भेड़-बकरियों की तरह लोग ठूंसे थे।
800-1000 लोगों की मौत- स्थानीय
मुसीबत ये कि जैसे ट्रेन आगे बढ़ी आंधी-बारिश शुरू हो गई। बागमती नदी पार ही कर रही थी कि ट्रेन ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। इसके बाद तो चीख-पुकार मच गई। 9 में से 7 डिब्बे पुल को तोड़ते हुए नदी में गिर गए। भारी बरसात की वजह से रेस्क्यू भी समय से नहीं हो पाया। सरकारी रेकॉर्ड में करीब 300 लोगों की जान गई थी। मगर आज भी स्थानीय लोगों का मानना है कि कम से कम 800-1000 लोगों की मौत हुई थी। हफ्तों तक शवों की तलाश चलती रही, जबकि आज भी कुछ लोगों का पता नहीं चल सका। ड्राइवर ने इमरजेंसी क्यों लगाई, आज भी पहेली है।
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तीन-तीन ट्रेनों में टक्कर
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम दर्दनाक ट्रेन हादसा हुआ। कोलकाता के शालीमार से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस और मालगाड़ी की टक्कर हो गई। ट्रेन दुर्घटना में मालगाड़ी के कई डिब्बे पटरी से उतर गए। एक्सप्रेस ट्रेनों के डिब्बों के परखच्चे उड़ गए। इस हादसे में 240 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। 900 से अधिक लोग जख्मी हैं। शवों की शिनाख्त के लिए परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं। जब आंखों के सामने मंजर सामने आता है को रूह कांप जाता है। ट्रेन की तस्वीर डराने लगती है।
1981 हादसे का वो मंजर
वैसे, 1981 और 2023 के बीच कई ट्रेन हादसे हुए। मगर हाल के दिनों में इतना बड़ा हादसा शायद ही किसी ने देखा हो। इससे 42 साल पहले बिहार में ट्रेन हादसा हुआ था, जब सात बोगियां एक पुल तोड़कर बागमती नदी में समा गई थी। इंडियन रेलवे के इतिहास में इसे सबसे बड़ा एक्सीडेंट कहा जाता है। 6 जून 1981 की शाम को 9 कोचवाली पैसेंजर ट्रेन (416DN) मानसी से सहरसा जा रही थी। तब खगड़िया से सहरसा के बीच यही एक मात्र ट्रेन चलती थी। इससे इस ट्रेन की अहमियत और भीड़ का अंदाजा लगा सकते हैं। ट्रेन में पांव रखने की जगह नहीं थी। इंजन तक पर लोग बैठे थे। ट्रेन के छतों पर लोग खड़े थे। मतलब भेड़-बकरियों की तरह लोग ठूंसे थे।
800-1000 लोगों की मौत- स्थानीय
मुसीबत ये कि जैसे ट्रेन आगे बढ़ी आंधी-बारिश शुरू हो गई। बागमती नदी पार ही कर रही थी कि ट्रेन ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगा दी। इसके बाद तो चीख-पुकार मच गई। 9 में से 7 डिब्बे पुल को तोड़ते हुए नदी में गिर गए। भारी बरसात की वजह से रेस्क्यू भी समय से नहीं हो पाया। सरकारी रेकॉर्ड में करीब 300 लोगों की जान गई थी। मगर आज भी स्थानीय लोगों का मानना है कि कम से कम 800-1000 लोगों की मौत हुई थी। हफ्तों तक शवों की तलाश चलती रही, जबकि आज भी कुछ लोगों का पता नहीं चल सका। ड्राइवर ने इमरजेंसी क्यों लगाई, आज भी पहेली है।