MSME: बिहार में पांच उद्योग क्लस्टर में भवन तैयार पर मशीन नहीं, किसकी लापरवाही से नहीं हो रहा उत्पादन?

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MSME:  बिहार में पांच  उद्योग क्लस्टर में भवन तैयार पर मशीन नहीं, किसकी लापरवाही से नहीं हो रहा उत्पादन?

MSME: बिहार में पांच उद्योग क्लस्टर में भवन तैयार पर मशीन नहीं, किसकी लापरवाही से नहीं हो रहा उत्पादन?

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बिहार में मुख्यमंत्री सूक्ष्म एवं लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के तहत पांच उद्योगों के क्लस्टर के लिए भवन निर्माण का कार्य पूरा कर लिया गया है। लेकिन, पर्याप्त मशीनों की अनुपलब्धता से इसे अबतक शुरू नहीं किया जा सका है। इनमें नालंदा, मोतिहारी व लखीसराय में प्रस्तावित क्लस्टर शामिल हैं। उद्योग विभाग के निदेशक, उद्योग ने संबंधित अधिकारियों को क्लस्टर को शुरू करने के कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया है।

उद्योग विभाग के अनुसार नालंदा और मोतिहारी में दो-दो क्लस्टर के भवन तैयार हो चुके हैं। नालंदा में झूला क्लस्टर एवं खाजा क्लस्टर का गठन कर कार्य शुरू किया जाना है। मोतिहारी के ही मेनमेहसी और बथना में सीप बटन क्लस्टर की शुरुआत होनी है। वहीं, लखीसराय में राइस मिल क्लस्टर को विकसित किया जाना है। लखीसराय में राइस क्लस्टर के लिए भवन निर्माण के साथ ही सुविधा केंद्र की भी शुरुआत हो चुकी है। कुछ ही कार्य अभी बाकी है।

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राशि की कमी नहीं सूत्रों के अनुसार, क्लस्टर के विकास के लिए राशि की कोई कमी नहीं है। नालंदा के कन्हैयागंज में झूला क्लस्टर के विकास को लेकर 456.62 लाख रुपये का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) बनाया गया है। वहीं, नालंदा के सिलाव में खाजा के 111.82 लाख रुपये का और मोतिहारी के मेनमेहसी में सीप बटन क्लस्टर के लिए 295.71 लाख रुपये का जबकि बथना में सीप बटन क्लस्टर के लिए 323.62 लाख रुपये का डीपीआर बनाया गया है। कई किस्तों में राशि उपलब्ध करायी गई है।


आगे क्या होना है

● झूला क्लस्टर व खाजा क्लस्टर नालंदा में शुरू होना है

● मोतिहारी में दो सीप क्लस्टर शुरू करने की है योजना

● लखीसराय में राइस मिल क्लस्टर का सुविधा केंद्र भी शुरू

● नालंदा और मोतिहारी में दो-दो क्लस्टर के भवन तैयार

देरी की वजह

बताया गया है कि भूमि संबंधी मामलों के लंबित होने, सहकारी समिति के निर्वाचन, मशीन एवं आवश्यक उपकरणों की खरीद सहित अन्य प्रक्रियाओं को लेकर बाधा हो रही है। इससे इन क्लस्टरों में वाणिज्यिक उत्पादन कार्य लंबित है। समय से उत्पादन शुरू नहीं होने पर नये उद्यमियों को बढ़े हुए कॉस्ट से घाटा उठाना पड़ेगा।

 

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