कभी बेगम अशर्फी के घोड़े बंधते थे यहां, आज जोरों पर चलता है दिल्ली की इस मार्केट का कारोबार

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कभी बेगम अशर्फी के घोड़े बंधते थे यहां, आज जोरों पर चलता है दिल्ली की इस मार्केट का कारोबार

कभी बेगम अशर्फी के घोड़े बंधते थे यहां, आज जोरों पर चलता है दिल्ली की इस मार्केट का कारोबार

चांदनी चौक के सेंट्रल पॉइंट और टाउन हॉल के नजदीक कटरा अशर्फी पहुंचना ग्राहकों और व्यापारियों के लिए आसान है। 12 महीनों में से 10 महीने यहां ठीक ठाक कारोबार होता है। कपड़ों में लेडीज और जेंस की प्रत्येक वैरायटी में लहंगे, साड़ी, सूट, गाउन, लाचा, शूटिंग-शर्टिंग, ड्रैस मैटेरियल खरीदने के लिए दूर-दूर से होलसेल और रिटेल ग्राहक आते हैं। भगवान की पोशाक के लिए बाजार काफी मशहूर है। यहीं से दिल्ली समेत देशभर के विभिन्न हिस्सों में देवी-देवताओं के लिए पोशाक जाती हैं। कटरा अशर्फी में छोटे से लेकर बड़े शोरूम भी हैं। कस्टमर्स को आकर्षित करने के लिए सुंदर डिस्प्ले भी कटरे में देखी जा सकती है। नवरात्रों और दीपावली पर कटरे अशर्फी की रौनक देखते ही बनती हैं। स्थानीय दुकानदार कटरे को दुल्हन की तरह सजाते हैं। एक जगह पर कपड़ों की तमाम वैरायटी मिलने की वजह से ग्राहक कटरा अशर्फी में आना पसंद करते हैं। बाजार के ऐतिहासिक महत्व और ताजा स्थितियों पर सूरज सिंह की रिपोर्ट:

​कटरा अशर्फी के नाम पर कहानियां

अभिषेक गनेड़ीवाला ने बताया कि कटरा अशर्फी के नाम को लेकर बाजार में कई कहानियां प्रचलित हैं। बड़े बुजुर्ग कई तरह की बातें बताते रहे हैं। बताया जाता है कि 18वीं सदी के एक नवाब की बेगम के नाम अशर्फी पर कटरे का नाम पड़ा है। यहां बेगम के घोड़े भी बंधते थे। इस जगह अस्तबल होते थे। दूसरी कहानी सुनने को मिलती है कि यहां कभी मुगलों के दौर में अशर्फियों का लेन-देन और कारोबार होता था।

कटरे के 3 प्रमुख रास्ते

कटरा अशर्फी में आवाजाही के तीन प्रमुख रास्ते हैं। अभिषेक ने बताया कि एक रास्ता चांदनी चौक मैन रोड से है। यहां प्रवेश द्वार पर बाईं ओर भगवान गणेश जी की प्रतिमा है। रोजाना पुजारी दीया-बाती करता है। दुकानदार, कर्मचारी और ग्राहक भी बाजार आने से पहले गणेश जी के सम्मुख मत्था टेक लेते हैं। एंट्री पॉइंट पर प्याऊ भी लगी है। दिन में हर समय प्याऊ पर किसी न किसी की ड्यूटी रहती है। दूसरा रास्ता कटरा हरदयाल और तीसरा पीछे की तरफ मालीवाड़ा भोजपुरा की ओर निकलता है।

इस कटरे की भी वही समस्या

इस कटरे की भी वही समस्या

वॉल्ड सिटी की आम समस्याओं से कटरा अशर्फी भी अछूती नहीं है। यहां भी दूसरे कटरे और गली कूचे की तरह तारों का जंजाल कायम है। छोटी और संकरी गलियां हैं। एसी चलने शुरू हो गए हैं। बिजली का लोड बढ़ा है। तार गर्म होते हैं, जिससे आग लगने का भय रहता है। अभिषेक गनेड़ीवाला ने कहा कि चांदनी चौक की मैन रोड के रीडिवलेपमेंट और ब्यूटीफिकेशन पर काम किया है। लेकिन, अंदर के बाजारों की सुध नहीं ली गई। यहां के व्यापारी पार्किंग की परेशानी भी झेल रहे हैं। ग्राहकों को आने-जाने में तकलीफ होती है। अभी पुरानी दिल्ली स्टेशन, परेड ग्राउंड और फतेहपुरी में क्लाइंट्स और गाड़ियां पार्क करनी पड़ती हैं। वहां गाड़ी लगाने में घंटाभर खराब हो जाता है। कई कस्टमर जो पहली दफा चांदनी चौक आता है, वो मुश्किल से ही फिर से आना पसंद करता होगा। आवाजाही की सुविधा होगी, तो कारोबार बढ़ेगा।

लोडिंग-अनलोडिंग में परेशानी

लोडिंग-अनलोडिंग में परेशानी

अन्य कटरों की तरह यहां के व्यापारी भी लोडिंग-अनलोडिंग में आ रही समस्याओं से जूझ रहे हैं। आनंद जालान ने बताया कि सौंदर्यकरण के नाम पर मुख्य सड़क को चमका दिया है। मगर, दिन में लोडिंग-अनलोडिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे व्यापारी चिंतित है। सुबह जल्दी और रात में देर से घर जाएंगे, तो व्यापारी आराम कब करेंगे? होलसेल कारोबारियों को लोडिंग-अनलोडिंग में परेशानी होगी, तो व्यापारी सुचारू रूप से कैसे चल पाएगा? प्रशासन को स्थानीय व्यापारिक संगठनों से बात करके व्यवहारिक हल निकालना होगा।

​मार्केट में 150 छोटी-बड़ी दुकानों पर कारोबार

-150-

कटरा अशर्फी का अस्तित्व मुगलों के समय से है। यह चांदनी चौक के प्रमुख कटरों में से एक है। कटरा अशर्फी में हर तरह के कपड़ों का थोक और रिटेल कारोबार होता है। कई व्यापारी होलसेल और रिटेल में बिजनेस करते हैं। यहां एक ओर जहां लहंगे और साड़ी की भरपूर वैरायटी मिलती है, वहीं जेंट्स फैब्रिक्स के भी बहुत से विक्रेता हैं। मार्केट में करीब 150 छोटी-बड़ी दुकानें और दफ्तर हैं। मार्केट में कुछ एक घर हैं, जहां गिनी चुनी फैमिली रहती हैं। धीरे-धीरे रिहाइश दूसरी जगहों पर शिफ्ट हो रहे हैं। कटरा कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। इस पर सरकारी एजेंसियों को ध्यान देना चाहिए। कटरा अशर्फी में भी बिजली, टेलीफोन और इंटरनेट के लटकते तार किसी बड़े हादसे को आमंत्रित कर रहे हैं। अब गर्मी का सीजन है। इलेक्ट्रिक वायर पुरानी हो चुकी हैं। एसी चल रहे हैं। इससे शॉर्ट सर्किट होने का भय रहता है। फालते के तार कटरा अशर्फी से हटने चाहिए। -आनंद जालान, प्रधान, अशर्फी कटरा कमिटी

हर समय कटरे में ग्राहकों की आवाजाही

कटरा अशर्फी क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा मार्केट है। यहां दुकानों की संख्या अधिक है। करीब 150 व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर कपड़ों का कारोबार होता है। मार्केट में बहुत-सी दुकानें 3 मंजिल की हैं। इसमें ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर दुकानें और शोरूम है। दूसरे फ्लोर पर गोदाम हैं। कटरा अशर्फी शुरू से ही व्यापारिक केंद्र रहा है। आज भी कई दुकानें ऐसी हैं, जिसमें तीन से चार पीढ़ी के व्यापारी कारोबार करते आ रहे हैं। कटरा शुरू से सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता रहा है। नवरात्र और दिवाली पर बाजार को सजा लेते हैं। रंग-बिरंगी लाइट्स के कटरे की रौनक बढ़ जाती है। हर बार कोई न कोई मनमोहक थीम देने की कोशिश होती है। होलसेल और रिटेल मार्केट होने की वजह से कटरे में हर समय ग्राहकों की आवाजाही बरकरार रहती है। केंद्र और राज्य सरकार अधिकारियों की एक कमिटी बनाकर व्यापारियों को स्थान देगी, तो कई समस्याओं का निदान होगा। -अभिषेक गनेड़ीवाला, महामंत्री, AKC

शादी से जुड़े सभी कपड़े यहां मौजूद

शादी से जुड़े सभी कपड़े यहां मौजूद

मेरी चौथी पीढ़ी कटरा अशर्फी में बिजनेस कर रही है। मेरे पड़दादा जी ने यहां दुकान लगाई थी। बताया जाता है कि अशर्फी बेगम के नाम पर कटरे की पहचान बनी। यहां अस्तबल था। कभी घोड़े पलते थे। धीरे-धीरे दुकानें बननी शुरू हुईं। समय के साथ कटरे का डिवलेपमेंट होने लगा। किसी समय यहां कपड़े का लट्ठा बिकता था। फिर रेशमी कपड़ों का दौर आया। अब यहां बेशकीमती साड़ी, सूट, लहंगे और पेंट-शर्ट मिलते हैं। बड़े ब्रैंड के कलेक्शन भी हैं। यहां शादी से जुड़े ग्राहकों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। चांदनी चौक में 17-18 कटरे लाइम लाइट में हैं, जिसमें कटरा अशर्फी खास है। यहां की दुकानें काफी महंगी हैं। घंटाघर चौक के नजदीक होने से बाजार की अहमियत बढ़ती है। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से 10 मिनट पैदल दूरी पर कटरा अशर्फी पड़ता है। यहां के व्यापारी सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, भीलवाड़ा, कोलकाता और जयपुर से कपड़ा मंगवाते हैं। – संजय जैन, कार्यकारिणी सदस्य, AKC

अच्छी फैमिली आने से क्यों कर रही परहेज
चांदनी चौक की मुख्य सड़क पर सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक मोटर वाहनों के प्रतिबंध से कटरों का कारोबार प्रभावित हुआ है। पहले खूब भीड़ आती थी। अब अच्छी फैमिली खरीदारी के लिए आने से परहेज करती है। कई पुराने ग्राहक ऐसे हैं, जो बस, मेट्रो, ऑटो और ई-रिक्शा से आना पसंद नहीं करते हैं। सौंदर्यकरण से पहले अपने ड्राइवर के साथ गाड़ी से कस्टमर आते थे। मैन रोड पर उतर कर कटरों में परचेजिंग कर लेते थे। अब घंटों जाम में फंसकर गाड़ी पार्किंग में लगाने का नंबर आता है। यदि मेट्रो और बस से आएं, तो ई-रिक्शा वाले अनाप-शनाप चार्ज वसूलते हैं। इस पर नियंत्रण रखने वाला कौन है? मैन रोड पर 100 रिक्शा चलनी चाहिए, तो अनगिनत चल रही है। पहले कहा गया था कि गोल्फ कार्ट चलाएंगे, जिसका अता-पता नहीं है। यह भी ठीक है कि मेट्रो से फुटफॉल बढ़ा है, लेकिन कार से चलने वाले बड़े कस्टमर्स की कमी कटरा अशर्फी झेल रहा है।
– सुशील कुमार, वाइस प्रेजिडेंट, AKC

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