Sharad Pawar Politics: शरद पवार के फैसले के बारे में ये तीन जानते थे, क्या अजित पवार को पता था? h3>
मुंबई: महाराष्ट्र में एनसीपी नेता और नेता प्रतिपक्ष अजित पवार (Ajit Pawar) को लेकर पिछले कुछ दिनों से तरह-तरह के बयान दिए जा रहे थे। कयास लगाए जा रहे थे कि अजित पवार बीजेपी में जा सकते हैं। ऐसे गरमाए माहौल में शरद पवार (Sharad Pawar) ने एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर एक बड़ा ‘राजनीतिक बम’ गिराया है। शरद पवार के राजनीतिक बम धमाके ने कई लोगों को झकझोर कर रख दिया है। इस सनसनीखेज फैसले से पार्टी के कई नेता हैरान रह गए।
किसी एनसीपी कार्यकर्ता या नेता ने सोचा नहीं होगा कि आज यशवंतराव चव्हाण केंद्र के कार्यक्रम में ऐसा कुछ होगा। यह यशवंतराव चव्हाण केंद्र में शरद पवार के साथ मौजूद कई नेताओं और विधायकों के भावों से साफ तौर पर निकला। क्योंकि शरद पवार के इस फैसले को कोई नहीं जानता था।
एनसीपी के दिग्गज नेता ने क्या कहा?
शरद पवार ने बिना कोई निर्देश दिए और किसी को विश्वास में लिए बगैर यह फैसला लिया है। इस फैसले ने सबको चौंका दिया। सभी को लगता है कि यह फैसला अस्वीकार्य है। इसके चलते प्रफुल्ल पटेल ने अनुरोध किया कि शरद पवार फैसले पर एक बार फिर से विचार करें।
किनकी आंखों में आए आंसू
शरद पवार के फैसले से सबसे ज्यादा झटका एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को लगा। जयंत पाटिल की आंखों में आंसू आ गए। पाटिल उस समय भावुक नजर आ रहे थे। जितेंद्र आव्हाड की भी आंखों में आंसू आ गए। यशवंतराव चव्हाण केंद्र में मौजूद कई कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक की आंखों में आंसू आ गए। पवार के इस फैसले से हर कोई हैरान था।
पूरा यशवंतराव चव्हाण सेंटर हैरान
शरद पवार के इस फैसले से पूरा यशवंतराव चव्हाण सेंटर हैरान रह गया। कार्यकर्ता असमंजस में थे। उनके भाव संभले संभल नहीं रहे थे। नारेबाजी चल रही थी। लेकिन इस बार केवल शरद पवार, उनकी पत्नी प्रतिभाताई, सुप्रिया सुले और अजित पवार ही चुप रहे। इस दौरान अजित पवार सभी को शांत कराते नजर आए।
शरद पवार के सामने बोले अजित पवार
अजित पवार ने कहा कि साहेब ने सबकी भावनाओं को सुना और देखा। साहेब ने जीवाभाव का समर्थन करने वाले सभी लोगों की बात सुनी। इसे गलत न समझें। श्री पवार अध्यक्ष नहीं हैं, इसका मतलब है कि वह पार्टी में नहीं हैं। आज खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन कांग्रेस सोनिया गांधी को देखकर चल रही है। इस वजह से अब पवार साहब की उम्र को देखते हुए हम साहब और सभी से चर्चा कर नए नेतृत्व को यह जिम्मेदारी देने की कोशिश कर रहे हैं। वह नेतृत्व के मार्गदर्शन के लिए पार्टी के लिए काम करेंगे।
‘साहेब का मतलब पार्टी’
अजित पवार ने कहा कि आखिर साहेब का मतलब पार्टी होता है। सर समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। जो भी पार्टी का अध्यक्ष बनेगा, वह स्वयं श्री पवार के मार्गदर्शन में काम करेगा, अन्य कोई काम नहीं करेगा। यह मत सोचिए कि उनके अध्यक्ष बने रहने से ही अल्पसंख्यक कौम के साथ रहेंगे। अध्यक्ष नहीं होगा तो समर्थन नहीं होगा, साहब के खून में नहीं है। साहब अध्यक्ष हों या न हों, पूरा परिवार आगे बढ़ता रहेगा। भावुक मत होइए।
‘अपने फैसले पर अडिग हैं शरद पवार’
अजित पवार ने बताया कि श्री पवार ने दूसरे दिन ही कहा था कि रोटी घुमानी है और उन्होंने फैसला कर लिया है। मैंने अब आंटी से बात की। वे अपना फैसला नहीं पलटेंगे। वे अपने फैसले पर अडिग हैं। यह साहेब की भूमिका है। इसे लेकर भावुक न हों। सर, आपके पास मेरे लिए और क्या विकल्प है? इसके लिए हम श्री पवार के मार्गदर्शन में नए अध्यक्ष का समर्थन करेंगे। हम उस अध्यक्ष के साथ खड़े रहेंगे। अध्यक्ष नई चीजें सीखेंगे। अलग-अलग राज्यों में जा रहे हैं और वहां बैठकें कर रहे हैं। वृद्ध वरिष्ठ नागरिक मार्गदर्शन कर रहे हैं। सब कुछ इसी तरह होगा। तो आपको किस बात की चिंता है? कोई भी अध्यक्ष बने और प्रदेश अध्यक्ष बने, साहेब की जान पर एनसीपी चलेगी।
चर्चा के बाद नए अध्यक्ष का होगा ऐलान
अजित पवार ने कहा कि हम परिवार में हैं और परिवार में ही रहेंगे। पवार साहब परिवार के मुखिया के रूप में काम करेंगे। इसमें तनिक भी संदेह न करें। कुछ फैसले समय के साथ लेने पड़े। आप क्यों नहीं चाहते कि आपकी आंखों के सामने एक नया अध्यक्ष तैयार हो? मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता। साहेब नए अध्यक्ष को बारीकियां बताएंगे। बुलाए जाने पर हम आएंगे। महोदय, महाराष्ट्र देश भर में घूमने जा रहे हैं। विभिन्न संगठनों के माध्यम से पवार साहब का मार्गदर्शन किया जाएगा। नए अध्यक्ष सहयोगियों से चर्चा के बाद ही आगे का फैसला लेंगे।
‘पवार के फैसले में एक दिन की देरी हुई’
पवार ने कहा कि हम अकेले हैं अब कुछ भी सच नहीं है। इसे लेकर भावुक होने का कोई कारण नहीं है। यह घटना कभी तो होनी ही थी। वे कल 1 मई को फैसले की घोषणा करने वाले थे। लेकिन एक मई को महाविकास अघाड़ी की बैठक हुई। इस वजह से मीडिया में सब कुछ चल रहा है। इसलिए दूसरी तारीख तय की गई। इस तरह साहेब ने अपने फैसले की घोषणा कर दी। अजित दादा ने कहा कि जो बातें साहब के मन में हैं, हम सब को वही करना चाहिए।
पवार के फैसले की किसको-किसको थी खबर
अजीत दादा ने यशवंतराव चव्हाण केंद्र में एक अलग रंग बिखेरा। इसके चलते कहा जा रहा है कि अजित पवार को इस फैसले की जानकारी थी। सुप्रिया सुले के साथ अजित पवार भी इस फैसले से वाकिफ नजर आ रहे थे। क्योंकि सुप्रिया सुले ने इस बार कुछ नहीं कहा है। वह कार्यकर्ताओं को समझा रहीं थीं। कहा जा रहा है कि शरद पवार के इस फैसले के बारे में शरद पवार के अलावा सिर्फ प्रतिभाताई, सुप्रिया सुले और अजित पवार ही जानते थे। क्योंकि शरद पवार के फैसले ने पार्टी में सबको चौंका दिया था। लेकिन अजित पवार और सुप्रिया सुले शांत नजर आए। यानी कहा जा सकता है कि यह फैसला पवार परिवार में हुआ है।
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किसी एनसीपी कार्यकर्ता या नेता ने सोचा नहीं होगा कि आज यशवंतराव चव्हाण केंद्र के कार्यक्रम में ऐसा कुछ होगा। यह यशवंतराव चव्हाण केंद्र में शरद पवार के साथ मौजूद कई नेताओं और विधायकों के भावों से साफ तौर पर निकला। क्योंकि शरद पवार के इस फैसले को कोई नहीं जानता था।
एनसीपी के दिग्गज नेता ने क्या कहा?
शरद पवार ने बिना कोई निर्देश दिए और किसी को विश्वास में लिए बगैर यह फैसला लिया है। इस फैसले ने सबको चौंका दिया। सभी को लगता है कि यह फैसला अस्वीकार्य है। इसके चलते प्रफुल्ल पटेल ने अनुरोध किया कि शरद पवार फैसले पर एक बार फिर से विचार करें।
किनकी आंखों में आए आंसू
शरद पवार के फैसले से सबसे ज्यादा झटका एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को लगा। जयंत पाटिल की आंखों में आंसू आ गए। पाटिल उस समय भावुक नजर आ रहे थे। जितेंद्र आव्हाड की भी आंखों में आंसू आ गए। यशवंतराव चव्हाण केंद्र में मौजूद कई कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक की आंखों में आंसू आ गए। पवार के इस फैसले से हर कोई हैरान था।
पूरा यशवंतराव चव्हाण सेंटर हैरान
शरद पवार के इस फैसले से पूरा यशवंतराव चव्हाण सेंटर हैरान रह गया। कार्यकर्ता असमंजस में थे। उनके भाव संभले संभल नहीं रहे थे। नारेबाजी चल रही थी। लेकिन इस बार केवल शरद पवार, उनकी पत्नी प्रतिभाताई, सुप्रिया सुले और अजित पवार ही चुप रहे। इस दौरान अजित पवार सभी को शांत कराते नजर आए।
शरद पवार के सामने बोले अजित पवार
अजित पवार ने कहा कि साहेब ने सबकी भावनाओं को सुना और देखा। साहेब ने जीवाभाव का समर्थन करने वाले सभी लोगों की बात सुनी। इसे गलत न समझें। श्री पवार अध्यक्ष नहीं हैं, इसका मतलब है कि वह पार्टी में नहीं हैं। आज खरगे कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लेकिन कांग्रेस सोनिया गांधी को देखकर चल रही है। इस वजह से अब पवार साहब की उम्र को देखते हुए हम साहब और सभी से चर्चा कर नए नेतृत्व को यह जिम्मेदारी देने की कोशिश कर रहे हैं। वह नेतृत्व के मार्गदर्शन के लिए पार्टी के लिए काम करेंगे।
‘साहेब का मतलब पार्टी’
अजित पवार ने कहा कि आखिर साहेब का मतलब पार्टी होता है। सर समय-समय पर हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। जो भी पार्टी का अध्यक्ष बनेगा, वह स्वयं श्री पवार के मार्गदर्शन में काम करेगा, अन्य कोई काम नहीं करेगा। यह मत सोचिए कि उनके अध्यक्ष बने रहने से ही अल्पसंख्यक कौम के साथ रहेंगे। अध्यक्ष नहीं होगा तो समर्थन नहीं होगा, साहब के खून में नहीं है। साहब अध्यक्ष हों या न हों, पूरा परिवार आगे बढ़ता रहेगा। भावुक मत होइए।
‘अपने फैसले पर अडिग हैं शरद पवार’
अजित पवार ने बताया कि श्री पवार ने दूसरे दिन ही कहा था कि रोटी घुमानी है और उन्होंने फैसला कर लिया है। मैंने अब आंटी से बात की। वे अपना फैसला नहीं पलटेंगे। वे अपने फैसले पर अडिग हैं। यह साहेब की भूमिका है। इसे लेकर भावुक न हों। सर, आपके पास मेरे लिए और क्या विकल्प है? इसके लिए हम श्री पवार के मार्गदर्शन में नए अध्यक्ष का समर्थन करेंगे। हम उस अध्यक्ष के साथ खड़े रहेंगे। अध्यक्ष नई चीजें सीखेंगे। अलग-अलग राज्यों में जा रहे हैं और वहां बैठकें कर रहे हैं। वृद्ध वरिष्ठ नागरिक मार्गदर्शन कर रहे हैं। सब कुछ इसी तरह होगा। तो आपको किस बात की चिंता है? कोई भी अध्यक्ष बने और प्रदेश अध्यक्ष बने, साहेब की जान पर एनसीपी चलेगी।
चर्चा के बाद नए अध्यक्ष का होगा ऐलान
अजित पवार ने कहा कि हम परिवार में हैं और परिवार में ही रहेंगे। पवार साहब परिवार के मुखिया के रूप में काम करेंगे। इसमें तनिक भी संदेह न करें। कुछ फैसले समय के साथ लेने पड़े। आप क्यों नहीं चाहते कि आपकी आंखों के सामने एक नया अध्यक्ष तैयार हो? मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानता। साहेब नए अध्यक्ष को बारीकियां बताएंगे। बुलाए जाने पर हम आएंगे। महोदय, महाराष्ट्र देश भर में घूमने जा रहे हैं। विभिन्न संगठनों के माध्यम से पवार साहब का मार्गदर्शन किया जाएगा। नए अध्यक्ष सहयोगियों से चर्चा के बाद ही आगे का फैसला लेंगे।
‘पवार के फैसले में एक दिन की देरी हुई’
पवार ने कहा कि हम अकेले हैं अब कुछ भी सच नहीं है। इसे लेकर भावुक होने का कोई कारण नहीं है। यह घटना कभी तो होनी ही थी। वे कल 1 मई को फैसले की घोषणा करने वाले थे। लेकिन एक मई को महाविकास अघाड़ी की बैठक हुई। इस वजह से मीडिया में सब कुछ चल रहा है। इसलिए दूसरी तारीख तय की गई। इस तरह साहेब ने अपने फैसले की घोषणा कर दी। अजित दादा ने कहा कि जो बातें साहब के मन में हैं, हम सब को वही करना चाहिए।
पवार के फैसले की किसको-किसको थी खबर
अजीत दादा ने यशवंतराव चव्हाण केंद्र में एक अलग रंग बिखेरा। इसके चलते कहा जा रहा है कि अजित पवार को इस फैसले की जानकारी थी। सुप्रिया सुले के साथ अजित पवार भी इस फैसले से वाकिफ नजर आ रहे थे। क्योंकि सुप्रिया सुले ने इस बार कुछ नहीं कहा है। वह कार्यकर्ताओं को समझा रहीं थीं। कहा जा रहा है कि शरद पवार के इस फैसले के बारे में शरद पवार के अलावा सिर्फ प्रतिभाताई, सुप्रिया सुले और अजित पवार ही जानते थे। क्योंकि शरद पवार के फैसले ने पार्टी में सबको चौंका दिया था। लेकिन अजित पवार और सुप्रिया सुले शांत नजर आए। यानी कहा जा सकता है कि यह फैसला पवार परिवार में हुआ है।
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