बैंक की नौकरी छोड़ एनिमल एक्टिविस्ट बनने की ठानी… अब 10 साल से वीगन बनकर कर रहे देश की यात्रा h3>
सागर: शहर में पिछले दो दिन से एक वीगन एक्टिविस्ट गंदी दीवारों, जंग लगे बोर्ड और डस्टबिन आदि पर चॉक से पर्यावरण बचाएं वीगन बने, पशु बचाएं वीगन बने, जल बचाएं वीगन बने और वीगन सागर जैसे संदेश लिख रहे हैं। देशभर के 11 राज्यों के 40 शहरों की यात्रा कर सागर पहुंचे गिरीश शाह पिछले 9 साल से वीगन हैं और अब तक हजारों लोगों को वीगन बनने के लिए प्रेरित कर चुके हैं।गिरीश शाह लोगों को वीगन बनकर पशु पदार्थों जैसे मांस, अंडा, मछली, दूध, दही, घी, चमड़ा और ऊन आदि का इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं। गिरीश शाह का मानना है कि केवल इंसान की ऐसा प्राणी है जो दांत आने के बाद भी दूध का सेवन करता है। वह भी दूसरे प्राणी की मां से छीना हुआ। इतना ही नहीं पशु पदार्थों की डिमांड होना ही उनके शोषण का कारण है। जिसमें कृत्रिम गर्भाधान, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल और ऐसी कई चीजें शामिल हैं, जो न केवल पशुओं की हिंसा का कारण हैं, बल्कि इससे कहीं न कहीं पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
2013 में छोड़ी थी बैंक की नौकरी
गिरीश शाह मूल रूप से इंदौर के रहने वाले हैं। वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करते थे। लेकिन वर्ष 2013 में उन्होंने एनीमल एक्टिविस्ट बनने के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने पशु क्रूरता रोकने के लिए ऑनलाइन प्रचार शुरू किया। इस दौरान एक व्यक्ति ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि आप जो दूध पीते है वह कौन से पेड़ से उगता है। वह भी तो एनीमल प्रोडक्ट है। इसके बाद गिरीश शाह ने इस पर रिसर्च की और उन्हें वीगन शब्द का पता चला। करीब 24 घंटे तक विचार करने के बाद उन्होंने वीगन बनना तय किया और देश में इसके प्रचार के लिए निकल पड़े। गिरीश शाह अब तक 35 हजार संदेश देशभर में लिख चुके हैं।
ब्रिटेन से हुई थी वीगनिज्म की शुरूआत
गिरीश शाह ने बताया कि वीगनिज्म की शुरूआत ब्रिटेन में 1944 में हुई थी। जिसमें ब्रिटेन के समाजवादी चिंतक डोनाल्ड वाट्सन ने भारत में प्रचलित अहिंसा शब्द से प्रभावित होकर वेजिटेरियन से वीगन शब्द लिया गया है। जिसमें यथा संभव किसी भी पशु पदार्थ या सेवाओं का प्रयोग न करने की सलाह दी गई। भारत से ज्यादा वीगन इस समय यूएसए में है। इससे वहां काफी हद तक लोगों की डेयरी और मीट प्रोडक्ट पर निर्भरता खत्म हुई है। इतना ही नहीं इसके कई विकल्प भी बाजार में आए हैं। जिसमें सोया मिल्क, नारियल का दूध, बादाम का दूध, मूंगफली के दूध से दही, सोया पनीर, काजू से बटर और इसी तरह मीट का भी विकल्प बाजार में आए हैं। इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है।
वीगन में जू और सर्कस का भी त्याग
गिरीश शाह ने बताया कि वीगन बनने में सिर्फ खाद्य पदार्थों का ही त्याग नहीं बल्कि जहां पशुओं का उपयोग या दोहन किया जाता है उस स्थान का भी त्याग होता है। जिसमें चिड़ियाघर, सर्कस, पशुओं की दौड़े, पशु गाड़ियां और घुडसवारी आदि भी शामिल है। वीगन बनने का उद्देश्य है कि बगैर किसी पशु की हिंसा या यातना के जीवन यापन किया जाना।
देश की पहली जैन वीगन शादी भी कराई
गिरीश शाह ने बताया कि वर्ष 2018 में उनकी बहन चेतना जैन ने वीगनिज्म अपनाया और अपनी बेटी की शादी जैन वीगन तरीके से की। जिसमें उन्होंने खाने में दूध, दही और पनीर का इस्तेमाल नहीं किया और यह शादी भोपाल में हुई, जो देश की पहली जैन वीगन शादी थी।
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2013 में छोड़ी थी बैंक की नौकरी
गिरीश शाह मूल रूप से इंदौर के रहने वाले हैं। वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी करते थे। लेकिन वर्ष 2013 में उन्होंने एनीमल एक्टिविस्ट बनने के लिए बैंक की नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने पशु क्रूरता रोकने के लिए ऑनलाइन प्रचार शुरू किया। इस दौरान एक व्यक्ति ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि आप जो दूध पीते है वह कौन से पेड़ से उगता है। वह भी तो एनीमल प्रोडक्ट है। इसके बाद गिरीश शाह ने इस पर रिसर्च की और उन्हें वीगन शब्द का पता चला। करीब 24 घंटे तक विचार करने के बाद उन्होंने वीगन बनना तय किया और देश में इसके प्रचार के लिए निकल पड़े। गिरीश शाह अब तक 35 हजार संदेश देशभर में लिख चुके हैं।
ब्रिटेन से हुई थी वीगनिज्म की शुरूआत
गिरीश शाह ने बताया कि वीगनिज्म की शुरूआत ब्रिटेन में 1944 में हुई थी। जिसमें ब्रिटेन के समाजवादी चिंतक डोनाल्ड वाट्सन ने भारत में प्रचलित अहिंसा शब्द से प्रभावित होकर वेजिटेरियन से वीगन शब्द लिया गया है। जिसमें यथा संभव किसी भी पशु पदार्थ या सेवाओं का प्रयोग न करने की सलाह दी गई। भारत से ज्यादा वीगन इस समय यूएसए में है। इससे वहां काफी हद तक लोगों की डेयरी और मीट प्रोडक्ट पर निर्भरता खत्म हुई है। इतना ही नहीं इसके कई विकल्प भी बाजार में आए हैं। जिसमें सोया मिल्क, नारियल का दूध, बादाम का दूध, मूंगफली के दूध से दही, सोया पनीर, काजू से बटर और इसी तरह मीट का भी विकल्प बाजार में आए हैं। इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है।
वीगन में जू और सर्कस का भी त्याग
गिरीश शाह ने बताया कि वीगन बनने में सिर्फ खाद्य पदार्थों का ही त्याग नहीं बल्कि जहां पशुओं का उपयोग या दोहन किया जाता है उस स्थान का भी त्याग होता है। जिसमें चिड़ियाघर, सर्कस, पशुओं की दौड़े, पशु गाड़ियां और घुडसवारी आदि भी शामिल है। वीगन बनने का उद्देश्य है कि बगैर किसी पशु की हिंसा या यातना के जीवन यापन किया जाना।
देश की पहली जैन वीगन शादी भी कराई
गिरीश शाह ने बताया कि वर्ष 2018 में उनकी बहन चेतना जैन ने वीगनिज्म अपनाया और अपनी बेटी की शादी जैन वीगन तरीके से की। जिसमें उन्होंने खाने में दूध, दही और पनीर का इस्तेमाल नहीं किया और यह शादी भोपाल में हुई, जो देश की पहली जैन वीगन शादी थी।