चिड़िया की आंख देखते हुए बड़ा हुआ है यह अर्जुन, अंगारों पर चलकर बनेगा कुंदन!

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चिड़िया की आंख देखते हुए बड़ा हुआ है यह अर्जुन, अंगारों पर चलकर बनेगा कुंदन!


चिड़िया की आंख देखते हुए बड़ा हुआ है यह अर्जुन, अंगारों पर चलकर बनेगा कुंदन!

नई दिल्ली:सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ जब आखिरी ओवर में 20 रन बचाने थे तो मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद युवा अर्जुन तेंदुलकर को पकड़ा दी। क्रिकेट मैदान पर पले बढ़े अर्जुन पर हर किसी निगाहें थीं। पिता महान सचिन तेंदुलकर हैं तो दबाव सामान्य खिलाड़ी से कहीं अधिक था। यह तेंदुलकर टाइटल का प्रेशर था, जिसने 24 वर्षों तक करोड़ों भारतीयों के सपने को जिया था। उस भरोसे की मान का मामला था, जिसके आउट होने के बाद धड़ाधड़ टीवी बंद हो जाया करती थी।अर्जुन जब रनअप की तैयारी कर रहे थे कैमारा बरबस ही सचिन पर टिक गया था। वह बड़ी मुश्किल से अपने इमोशंस पर काबू रख पाने में सफल हो रहे थे। अगर सचिन को यह ओवर फेंकना होता तो शायद कोई चिंता नहीं होती। सचिन ने यह वर्षों तक किया था, लेकिन यहां एक अच्छा खास स्कोर पॉकेट में होने के बावजूद एक अलग तरह का माहौल था। अब्दुल समद का शॉट लगने के बाद जब पहली गेंद स्लिप की ओर जाते दिखी तो चीते सी छलांग लगाकर ईशान किशन ने गजब की फुर्ती दिखाई।

इंतजार पूरा, सचिन पुत्र अर्जुन तेंदुलकर ने आखिरकार खेल ही लिया IPL

यह अर्जुन की ओर से की गई किसी पहली गेंद पर नहीं हुआ था, बल्कि उन्होंने पहले मैच और SRH के खिलाफ दूसरे मैच में जितनी भी गेंद की थी हर फील्डर कहीं अधिक मुस्तैद नजर आ रहा था। मैदान पर अतिरिक्त सतर्कता दिख रही थी। ऐसा लग रहा था मानो हर गेंद मैच का आखिरी है और उस पर विनिंग रन बनने से रोकना है। मुंबई इंडियंस का हर खिलाड़ी मानो यह कहना चाह रहा था कि अर्जुन सिर्फ बाण का संधान करो। गेंद गिरने के बाद जो होगा उसे हम देख लेंगे।

यही वह भरोसा था जो इस अर्जुन को चाहिए था। इसमें कोई शक नहीं कि बड़े पिता के बेटे को ट्रेनिंग के लिए बेस्ट ट्रेनर उपलब्ध होना आसान है, लेकिन परफॉर्म तो उसे खुद ही करना होगा। यह बात सचिन भी जानते थे। तभी तो अर्जुन दो वर्ष पहले मुंबई इंडियंस टीम से जुड़े थे, लेकिन बावजूद इसके उन्हें अपने आईपीएल कैप के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। क्रिकेट की दुनिया में कौन कितना पानी (तैयार) में है? इसे सचिन तेंदुलकर से बेहतर कौन जान सकता है।

सचिन जिस क्रिकेट के भगवान कहे जाते हैं उस खेल में अर्जुन को ‘युवराज’ बनने के लिए भी कड़ी मेहनत करनी होगी। आग में जलना होगा। तभी वह कुंदन बनकर निखरेंगे। जब तक अर्जुन मुंबई रणजी ट्रॉफी टीम में आने के लिए कोशिश कर रहे थे तब तक उनके बारे में दबी जुंबा से कहा जाता था बड़े नाजों से पाला जा रहा है। शॉट की बेस्ट टाइमिंग के लिए मशहूर सचिन ने महान सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर को भीड़ में गुम होते देखा था। इसलिए उन्होंने मौके पर चौका मारा और अर्जुन को कुंदन बनने के लिए असल आग में झोंक दिया। उन्होंने जब गुरु के तौर पर युवराज सिंह के हानिकारक बापू योगराज सिंह को चुना तो लक्ष्य साफ था। गुरु द्रोण की तरह इस अर्जुन को तराशना है।

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बेरहम कोच माने जाने वाले योगराज ने भी अर्जुन को मैदान में रौंदने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने सांचे में अर्जुन को डाला और एक जुझारू क्रिकेटर बनने में मदद की। यहां तारीफ करनी होगी अर्जुन की भी, जिन्होंने बड़े अनुशासन के साथ मखमली जिंदगी को छोड़कर घंटों धूप में अभ्यास किया और खुद को बड़ी चुनौती के लिए तैयार किया। अर्जुन ने जब गोवा की ओर से डेब्यू रणजी ट्रॉफी मैच में पिता की तरह शतक जड़ा तो लग गया कि यह अर्जुन अपने वजूद के लिए लड़ रहा है। इतनी आसानी से हथियार नहीं डालेगा।

मुंबई इंडियंस के लिए दूसरे ही मैच में जब आखिरी ओवर करना पड़ा तो उस लिटमस टेस्ट का रिजल्ट भी आ गया, जिसकी उन्हें जरूरत थी। हालांकि, न यह मैच आखिरी था न यह इस तरह का माहौल। जब भी इस तरह से मैच फंसेगा और अर्जुन के हाथ में गेंद या बल्ला होगा तो लोग सचिन से जोड़कर ही देखेंगे। क्रिकेट के भगवान का इज्जत दांव पर लगी होगी। खैर, कल क्या होगा कौन जानता है, लेकिन फिलहाल यह अर्जुन पहली परीक्षा में 100% पास हो गया है।
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