जेपीसी मांग से सहमत नहीं लेकिन विपक्ष की एकता की खातिर विरोध नहीं करेंगे… अडानी मामले में शरद पवार का नया बयान h3>
मुंबई: अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग को व्यर्थ बताकर सियासी हलचल मचाने वाले एनसीपी चीफ शरद पवार का नया बयान सामने आया है। शरद पवार ने कहा कि उनकी पार्टी अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की बीजेपी विरोधी पार्टियों की मांग से हालांकि सहमत नहीं है, लेकिन वह विपक्षी दलों की एकता की खातिर उनके रुख के खिलाफ नहीं जाएगी। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने इससे पहले कहा था कि एक जेपीसी का गठन किया जाता है तो संसद में सत्तारूढ़ बीजेपी के संख्याबल को देखते हुए उसमें (समिति में) उसका बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच के परिणाम पर संदेह उत्पन्न होगा।
मराठी समाचार चैनल से बातचीत में पवार ने कहा, ‘हमारी मित्र पार्टियों की राय (जेपीसी पर) हमसे अलग है, लेकिन हम अपनी एकता बनाए रखना चाहते हैं। मैंने अपनी राय (जेपीसी जांच की निरर्थकता पर), दी लेकिन यदि हमारे सहयोगियों (विपक्षी दलों) को लगता है कि जेपीसी जरूरी है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे।’
पवार के बयान से लगा था झटका
पवार ने कहा, ‘हम उनसे (विपक्षी दलों से) सहमत नहीं हैं, लेकिन विपक्षी एकता की खातिर, हम इस पर (कि जेपीसी नहीं होनी चाहिए) जोर नहीं देंगे।’ शनिवार को, राज्यसभा सदस्य ने कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी जांच के पूरी तरह से विरोध में नहीं हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त जांच समिति इस मामले में ‘अधिक उपयोगी और प्रभावी’ होगी।
शरद पवार के बयान को विपक्षी एकता के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया। वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस मुद्दे पर एनसीपी के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन समान विचारधारा वाले 19 दलों का मानना है कि ‘प्रधानमंत्री से जुड़े अडानी समूह’ का मुद्दा वास्तविक और बहुत गंभीर है।
पवार ने पहले क्या कहा था?
पवार ने कहा कि यदि जेपीसी का गठन होता है, तो लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी की संख्या को देखते हुए, समिति में सत्तापक्ष के 14-15 सदस्य होंगे, जबकि विपक्ष के पांच से छह सांसद होंगे। एनसीपी नेता ने कहा था कि इसके बजाय, सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति को इस मुद्दे की जांच करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने शेयर बाजारों के लिए विभिन्न नियामक पहलुओं को देखने के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन करने का आदेश दिया था। इसमें हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से हाल ही में अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट शामिल है।
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मराठी समाचार चैनल से बातचीत में पवार ने कहा, ‘हमारी मित्र पार्टियों की राय (जेपीसी पर) हमसे अलग है, लेकिन हम अपनी एकता बनाए रखना चाहते हैं। मैंने अपनी राय (जेपीसी जांच की निरर्थकता पर), दी लेकिन यदि हमारे सहयोगियों (विपक्षी दलों) को लगता है कि जेपीसी जरूरी है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे।’
पवार के बयान से लगा था झटका
पवार ने कहा, ‘हम उनसे (विपक्षी दलों से) सहमत नहीं हैं, लेकिन विपक्षी एकता की खातिर, हम इस पर (कि जेपीसी नहीं होनी चाहिए) जोर नहीं देंगे।’ शनिवार को, राज्यसभा सदस्य ने कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जेपीसी जांच के पूरी तरह से विरोध में नहीं हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त जांच समिति इस मामले में ‘अधिक उपयोगी और प्रभावी’ होगी।
शरद पवार के बयान को विपक्षी एकता के लिए एक झटके के तौर पर देखा गया। वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस मुद्दे पर एनसीपी के अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन समान विचारधारा वाले 19 दलों का मानना है कि ‘प्रधानमंत्री से जुड़े अडानी समूह’ का मुद्दा वास्तविक और बहुत गंभीर है।
पवार ने पहले क्या कहा था?
पवार ने कहा कि यदि जेपीसी का गठन होता है, तो लोकसभा और राज्यसभा में बीजेपी की संख्या को देखते हुए, समिति में सत्तापक्ष के 14-15 सदस्य होंगे, जबकि विपक्ष के पांच से छह सांसद होंगे। एनसीपी नेता ने कहा था कि इसके बजाय, सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति को इस मुद्दे की जांच करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने शेयर बाजारों के लिए विभिन्न नियामक पहलुओं को देखने के लिए शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन करने का आदेश दिया था। इसमें हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से हाल ही में अडाणी समूह के शेयरों में गिरावट शामिल है।
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