UP Politics: अखिलेश लगातार कर रहे बसपा की घेराबंदी, इधर अपने दलित वोट बैंक को कुछ यूं साध रहीं मायावती
मायावती ने कहा कि 1995 में लखनऊ का गेस्ट हाउस कांड नहीं हुआ होता तो देश में आज सपा और बसपा की सरकार होती। मायावती ने सपा पर दलित महापुरुषों को अपमान करने का आरोप लगाया है।
‘मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’
सपा पर हमलावर होते हुए बीएसपी चीफ ने कहा, ‘सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है। वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है।’
सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बना- मायावती
मायावती ने नेताजी का नाम लेकर नीयत पर सवाल उठाते हुए आगे कहा, ‘यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि सन 1993 में मान्यवर श्री कांशीराम जी ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, किन्तु श्री मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही।’
सपा ने बसपा को किया बदनाम- मायावती
बता यहीं खत्म नहीं हुई, बीएसपी चीफ ने कहा, “इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मन्दिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी. अतः सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत.” यानी सपा पर बसपा को बदनाम करने और साजिश रचने का आरोप लगाया।
क्यों भड़की मायावती..क्या बोले थे अखिलेश
अखिलेश ने कहा कि हम बाबा साहब और मान्यवर कांशीराम के रास्ते पर चलने वाले लोग हैं। हम बहुजन समाज में सेंध लगाने नहीं, बहुजन समाज को बांधने वाले हैं। नेताजी ने और कांशीराम ने देश में एक नई तरह की राजनीति शुरू की थी। नेताजी ने कांशीराम जी को इटावा से लोकसभा जिताकर संसद में पहुंचाने में मदद की थी। सपा मुखिया ने एक बार फिर बसपा का बिना नाम उसे भाजपा का मददगार बताया।
हमने बदलाव की कोशिश लेकिन कामयाब नहीं हुए- अखिलेश
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीते सोमवार को कांशीराम के बहाने बसपा पर खूब निशाना साधा। उन्होंने बसपा छोड़कर सपा में आए नेताओं का नाम गिनाते हुए कहा कि हम बसपा को साथ लाए थे तो वह जीरो से 10 पर पहुंच गई थी। लेकिन अब बसपा के नंबर एक नेता हमारे पास आए गए हैं। अब 10 में से एक हटा दोगे तो उनके पास क्या बचेगा? अखिलेश ने कहा कि मुलायम व कांशीराम ने मिलकर देश की राजनीति में बदलाव किया था। हमने भी बदलाव की कोशिश लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। अब जनता मन बना चुकी है। वर्ष 2024 और 2027 में देश और यूपी में बदलाव होकर रहेगा।
बीएसपी में सेंध की कोशिश में अखिलेश
अखिलेश यादव 2019 के बाद से ही बीएसपी में सेंध लगाने की कोशिशों में जुटे हैं। 2019 में अखिलेश यादव और मायावती मिलकर चुनाव लड़े थे। इसका फायदा भले सपा को नहीं हुआ, लेकिन अखिलेश को इससे एक संजीवनी का फॉर्मूला मिल गया। 2014 के बाद बीएसपी को चार चुनाव में भले हार मिली, लेकिन पार्टी का वोट परसेंट लगभग 15-20 फीसदी के बीच बना रहा। 2019 में सपा के वोट जिन जगहों पर ट्रांसफर हुए, वहां बीएसपी को जीत मिली। 2014 में जीरो सीट जीतने वाली बीएसपी 2019 में 10 सीटों पर जीत दर्ज कर ली। सपा को 5 सीटें ही मिली। अखिलेश की कोशिश है कि बीएसपी के वोटर्स को सपा के साथ लाया जाए, जिससे लोकसभा की डेढ़ दर्जन सीटों पर इसका असर हो।
मायावती के भतीजे ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के दलित प्रेम पर बुआ के भतीजे ने अखिलेश यादव पर हमला किया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सपा वाले मान्यवर साहब की प्रतिमा का अनावरण क्यों कर रहे हैं? इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन्हें पता है कि सत्ता की मास्टर चाबी बहन जी के हाथ में जा रही है। चौकन्ना रहना साथियों, मान्यवर साहेब ने पहले ही ऐसी ताकतों से सतर्क रहने को कहा है। बहुजन महापुरुषों का अखिलेश ने अपनी सरकार में अपमान किया।सत्ता में वापस आने के लिए हमारे महापुरुषों को याद कर रहे हैं।
बीएसपी का ऐलान करते मायावती के अकेले विधायक बोले- 2024 अकेले लड़ेंगे