न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा गेहूं के किसानों को
फिलहाल 2050 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल का रेट मिल रहा है गेहूं किसानों को वर्षा से प्रभावित इस फसल घर आने में एक से दो सप्ताह की देरी हो रही है। वहीं जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर में…
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बेगुसरायTue, 04 Apr 2023 08:00 PM
ऐप पर पढ़ें
सिंघौल, निज संवाददाता। जिले के सभी प्रखंड में रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की कटनी व दौनी का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। वर्षा से प्रभावित इस फसल घर आने में एक से दो सप्ताह की देरी हो रही है। वहीं जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की जा रही है। जिले के किसानों के आय का मुख्य स्रोत गेहूं की खेती ही है। लेकिन किसानों को इस साल भी न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। शाम्हो के किसान हेलो सिंह, माधव सिंह, विभूति राय, रोहन चौधरी आदि ने बताया कि गेहूं का रेट इस बार 2050 रुपये से 2100 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। जबकि सरकार की ओर से गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये निर्धारित किया गया है। लेकिन सरकारी दर पर खरीद शुरू होने में हो रही देरी के कारण किसान अपनी गेहूं साहूकारों के हाथ बेच रहे हैं। इतना ही नहीं जैसे-जैसे कटनी और दौनी की रफ्तार बढ़ रही है, रेट में गिरावट ही देखने को मिल रही है। यही गेहूं कुछ दिनों पूर्व 22सौ रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा था। पिछले साल रूस और यूक्रेन युद्व के कारण गेहूं का रेट कटनी के कुछ माह बाद 26 से 28 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया था। बाहरी व्यवसायी किसानों को मुंहमांगी कीमत देने को तैयार थे। लेकिन इस साल फसल तैयार होने के समय दो बार हुई बारिश ने फसल की क्वालिटी को कमतर किया है। ऐसे में ज्यादा रेट पाने के लिए किसान गेहूं का स्टॉक करना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। दूसरी ओर गेहूं का भंडारण करने में भी कई तरह की समस्या है। ज़्यादातर किसान महाजन से कर्ज़ लेकर खेती करते हैं। वे जल्द से जल्द अपनी फसल बेच कर महाजन का कर्ज चुकाना चाहते हैं। इसलिए किसान आनन फानन में अपनी फसल बेचने को आतुर दिखते हैं। जिला सहकारिता अधिकारी ललन कुमार शर्मा ने बताया कि विभागीय निदेश प्राप्त होते ही पैक्स व व्यापार मंडल से गेहूं की खरीदारी शुरू कर दी जायेगी। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की खबर के अनुसार 20 अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदारी शुरू होने की सूचना मिल रही है। हालांकि, किसान सरकारी दर पर गेहूं बेचने की बजाए अपने स्तर से गेहूं बेचने में लगे हुए हैं।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
<!–
–>