राजस्थान में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार पर सतीश पूनियां का जवाब
BJP CM Face For Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में अब कुछ महीने शेष हैं। भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां से आगामी चुनाव को लेकर कई सवाल पूछ गए, इनमें से एक अहम सवाल है, पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा?
हाइलाइट्स
- राजस्थान में कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं
- बीजेपी यहां विपक्ष में है, उसमें गुटबाजी की खबरें आती रहती हैं
- क्या बीजेपी चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ उतरेगी?
- क्या होंगे उसके मुद्दे और चुनाव के लिए कितनी तैयार है पार्टी
विधानसभा चुनाव में कुछ महीने ही बचे हैं, बीजेपी कितनी तैयार है?
चुनाव के लिए पार्टी पूरी तरह तैयार है। होमवर्क हमने कर लिया है। एक समय था जब हम चुनाव से पहले वोटर लिस्ट और पर्चे बांटते थे, लेकिन आज 52 हजार में से 50 हजार बूथों पर हमारी मौजूदगी है। हमने पन्ना प्रमुख बनाने का काम भी समय रहते शुरू कर लिया था। इसका करीब 70 पर्सेंट काम पूरा हो चुका है। इस महीने के आखिर तक बचा हुआ काम भी पूरा हो जाएगा। संगठनात्मक रूप से हमारी पूरी तैयारी है। राजनीतिक रूप से भी, तमाम जरूरी मुद्दे हम सदन के अंदर और बाहर उठाते रहे हैं। इतना ही नहीं, मोदी सरकार की नीतियों को लाभार्थियों तक ले जाने का काम भी हम काफी पहले से करते आ रहे हैं। यानी हम चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
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बीजेपी के लिए चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या रहेंगे?
किसानों की कर्ज माफी बड़ा मुद्दा है। राहुल गांधी और कांग्रेस ने वादा किया था कि सारा कर्ज माफ हो जाएगा। इसलिए किसान भी इसकी उम्मीद कर रहे थे। लेकिन राजस्थान के 18 हजार किसानों की जमीन नीलाम हो गई और 200 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की। राजस्थान में बेरोजगारी बहुत है। इसे भी हम मुद्दा बनाएंगे। इन सबके साथ ही पेपर लीक कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा है। राज्य में कानून-व्यवस्था भी मसला है। राजस्थान शांतिपूर्ण राज्य था, लेकिन कांग्रेस राज में राजस्थान की कानून व्यवस्था खराब हुई है। करप्शन भी बड़ा मुद्दा है।
क्या बीजेपी सीएम उम्मीदवार देगी या फिर आप पीएम के नाम पर ही चुनाव लड़ेंगे?
राजस्थान आकर पार्टी के लगभग सभी सीनियर नेता कह चुके हैं कि इस बार हम सामूहिक नेतृत्व में लड़ेंगे और हमारा आधार होगा मोदी जी का नाम और उनका काम।
कहते हैं बीजेपी में बहुत गुटबाजी है, सीएम बनने की होड़ है। क्या इसलिए सीएम उम्मीदवार तय करना मुश्किल लग रहा है?
एक वक्त था, जब लोग कहते थे कि बीजेपी में लीडरशिप वैक्यूम है, लेकिन आज दर्जनों चेहरे गिनाए जा रहे हैं तो इसका मतलब है कि इतनी लीडरशिप विकसित हो गई है। हमारे नेता किसी भी तरह की भूमिका निभा सकते हैं। लोग कहते जरूर हैं कि बीजेपी में इनफाइटिंग है और इसकी कांग्रेस से तुलना भी करते हैं, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी की स्थिति में फर्क है। बीजेपी का आलाकमान मजबूत है, हमारे यहां कलेक्टिव लीडरशिप है और पार्लियामेंट्री बोर्ड पूरी तरह सक्षम है। जब सही वक्त आएगा, पार्टी फैसला करेगी और पार्टी जिसे चुनेगी, उसे सब स्वीकार करेंगे। बीजेपी अनुशासित पार्टी है। इसके विपरीत कांग्रेस का आलाकमान कमजोर है। इस वक्त हमारी प्राथमिकता है कांग्रेस को हराना। नेता कौन होगा यह चिंता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की है।
आपके और वसुंधरा राजे के बीच खींचतान की चर्चाएं होती रहती हैं, किस तरह के संबंध हैं आपके?
वसुंधरा जी पार्टी की वरिष्ठ सम्मानित नेता हैं उनसे मेरा कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है। पार्टी के नेता के नाते उनका सम्मान है। कांग्रेस के नेताओं ने यह प्रचार किया है कि बीजेपी नेताओं में मतभेद हैं। सच तो यह है कि अंदरूनी लडाई कांग्रेस में कहीं ज्यादा है। वसुंधरा जी हों, मैं होऊं या पार्टी का कोई भी नेता हो, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व जो भी आदेश देगा, उसे सब स्वीकार करेंगे। हमारे यहां किसी भी तरह का व्यक्तिगत मनमुटाव नहीं है।
कहा जा रहा है कि अगर वसुंधरा राजे को दरकिनार किया गया तो बीजेपी को राजस्थान में नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह बात कहां तक सही मानते हैं?
पार्टी न तो किसी को दरकिनार करेगी, न उसे कोई नुकसान होगा। हमारे यहां संगठन बड़ा है। हम विचारधारा के आधार पर राजनीतिक काम करते हैं। इसलिए हम किसी के फायदे-नुकसान की बात नहीं करते। हम मिलकर यह चुनाव लड़ेंगे। इसमें किसी का समर्थन या विरोध नहीं है। हम लोग पार्टी के अंब्रेला के नीचे हैं।
गुजरात में बीजेपी के कई सीनियर नेताओं और विधायकों के टिकट काटे गए, क्या राजस्थान में भी गुजरात वाला तरीका आजमाया जाएगा?
इसका फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा कि उम्मीदवारों के लिए क्या आयु सीमा होगी। यह चर्चा अक्सर होती रहती है कि अपेक्षाकृत नए लोगों को अवसर मिलना चाहिए और उसके लिए पार्टी ने हमेशा प्रयत्न भी किया है। पार्टी के पदों पर अपेक्षाकृत युवा लोग आए हैं। जनप्रतिनिधि भी अपेक्षाकृत नए और ऊर्जावान लोग हैं।
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