Rajasthan में नए जिलों का ऐलान तो लोगों के सामने कई कन्फ्यूजन, क्या कुछ बदलेगा जानिए सबकुछ

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Rajasthan में नए जिलों का ऐलान तो लोगों के सामने कई कन्फ्यूजन, क्या कुछ बदलेगा जानिए सबकुछ

Rajasthan में नए जिलों का ऐलान तो लोगों के सामने कई कन्फ्यूजन, क्या कुछ बदलेगा जानिए सबकुछ


जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 17 मार्च को 19 नए जिलों के गठन का ऐलान किया। इतनी बड़ी घोषणा ने राजस्थान के भौगोलिक नक्शे को ही बदल दिया। अब नए जिलों का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद मौजूदा 33 जिलों में से 25 जिलों का पूरा प्रशासनिक ढांचा बदल जाएगा। नए जिलों के गठन की घोषणा के बाद राजस्थान में लोगों के दिलों में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। हर कोई जानना चाहता है कि जिलों का गठन कब तक होगा। जिला कलेक्टर और एसपी कब तक नियुक्त होंगे। नए जिले से जुड़े सर्टिफिकेट आने पर पुराने दस्तावेज कैसे काम आएंगे? नए और पुराने जिलों को लेकर कई कन्फ्यूजन है। आइए असमंजस की इस स्थिति तो दूर करने का प्रयास करते हैं।

2 महीने में बाद स्प्ष्ट होंगी स्थितियां

नए जिलों के गठन के बाद प्रशासनिक काम काफी बढ़ गया है। नए जिलों के नोटिफिकेशन जारी होने के बाद पुराने जिला कलेक्टरों से प्रस्ताव मांगे जाएंगे। गठन को मंजूरी मिलने के करीब 2 महीने बाद स्थितियां स्पष्ट हो पाएंगी कि नए जिले का सीमांकन क्या रहेगा? सीमांकन का निर्धारण अमूमन तहसील के हिसाब से ही किया जाएगा। बहुत जरूरी हुआ तो ग्राम पंचायतों के हिसाब से भी जिलों का नक्शा तैयार किया जा सकता है। सीमांकन के बाद राजस्व रिकॉर्ड में व्यापक बदलाव करना होगा। सभी प्रकार के दस्तावेज नए सिरे से बनाने होंगे। हर व्यक्ति को अपने परिचय पत्र नए बनाने होंगे। इन कामों में करीब 4 साल का वक्त लगेगा।

कौन-कौन से दस्तावेज बदलेंगे

कौन-कौन से दस्तावेज बदलेंगे

नए जिलों का गठन होते ही सीमांकन बदलेगा तो नए जिला क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों के तमाम दस्तावेज बदल जाएंगे। जैसे मतदाता पहचान पत्र, जन्मप्रमाण पत्र, मूल निवास सहित वे तमाम डॉक्यूमेंट चेंज होंगे जिसमें मूल पता और जिले के नाम लिखा होता है। हालांकि ये काम तीन से चार महीने बाद शुरू होंगे लेकिन जिले के लाखों लोगों के लिए ये काम होने में काफी समय लग सकता है।

विधानसभा सीटों का एरिया नहीं बदलेगा

विधानसभा सीटों का एरिया नहीं बदलेगा

नए जिलों का गठन होने के बाद हर कोई यह मान बैठा है कि इसका सीधा फायदा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिलेगा। हां, प्रशासनिक सुधार के लिहाज से राजनैतिक लाभ जरूर मिल सकता है। नए जिलों के गठन से विधानसभा सीटों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। विधानसभा सीटों का क्षेत्र पहले की भांति ही रहेगा। विधानसभा क्षेत्रों में बदलाव तभी होता है जब केंद्रीय चुनाव आयुक्त परिसीमन को मंजूरी देते हैं।

शुरुआती बड़े खर्च क्या होंगे

शुरुआती बड़े खर्च क्या होंगे

नए जिलों के गठन के बाद सबसे पहले प्रशासनिक ढांचे को स्थापित करने के लिए सभी तरह के कार्यालय और बिल्डिंग बनेंगे। जैसे जिला कलेक्टर कार्यालय, एसपी ऑफिस, अफसरों के सरकारी रेजीडेंस बनेंगे। हर जिले में अलग से पुलिस लाइन भी बनेंगी और जिला अस्पताल भी बनेंगे। जिले के लिहाज से पुलिस थाने जरूर बदलेंगे लेकिन थानों का क्षेत्राधिकार नहीं बदलेगा।

अफसरों की कैडर स्ट्रेंथ बढ़ेगी

अफसरों की कैडर स्ट्रेंथ बढ़ेगी

नए संभाग मुख्यालयों और जिलों का गठन होने के बाद संभागीय आयुक्त, पुलिस रेंज आईडी, जिला कलेक्टर और एसपी की नियुक्तियां होगी। इनके साथ जिला परिषदों के सीईओ पद पर भी आईएएस अफसरों की नियुक्ति होगी। ऐसे में अफसरों की कैडर स्ट्रेंथ को बढ़ाना होगा। आईएएस और आईपीएस अफसरों की कैडर स्ट्रैंथ बढ़ाने के साथ ही आरएएस अफसरों के प्रमोशन के रास्ते भी खुलेंगे। चूंकि केंद्र से ज्यादा अफसर नहीं मिलेंगे। ऐसे में राजस्थान प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसरों को प्रमोशन देकर अफसरों की स्ट्रेंथ को पूरा किया जाएगा।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर

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