PM Narendra Modi: भुखमरी और बीमारी एक झटके में होंगी दूर, पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया फॉर्म्युला
उन्होंने अन्य राज्यों से भी ऐसा करने की सलाह दी। मोदी ने मिडडे मील (Mid-Day Meal) में भी श्री अन्न को शामिल करने का आह्वान किया, जिससे बच्चों को पर्याप्त पोषण मिले। मोदी ने कहा कि भारत श्री अन्न को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि मोटा अनाज प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में और रसायनों एवं उर्वरकों का इस्तेमाल किए बिना आसानी से उगाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी कृषि प्रणाली दुनिया के साथ साझा करना चाहता है और अन्य देशों के अनुभवों से सीखना भी चाहता है। उन्होंने खेतों से बाजारों और एक देश से दूसरे देश के बीच मोटे अनाज की स्थायी आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने के लिए मजबूती से पक्ष रखा।
क्या है श्री अन्न
प्रधानमंत्री ने 2023 के ‘अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट और 75 रुपये का सिक्का जारी किया। हैदराबाद स्थित आईसीएआर-भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान को उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया गया। दुनिया के समक्ष खाद्य सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के संबंध में मोदी ने कहा, ‘दुनिया आज दो प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रही है। जहां एक तरफ एक ‘वैश्विक दक्षिण’ है जो गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंतित है तो वहीं दूसरी तरफ ‘वैश्विक उत्तर’ है जहां खान-पान से जुड़ी बीमारियां गंभीर समस्या बनती जा रही हैं।’
उन्होंने कहा, ‘जहां एक तरफ खाद्य सुरक्षा की चुनौती है तो वहीं दूसरी तरफ खानपान की आदत की समस्या है। दोनों समस्याओं में खेती में रसायन के ज्यादा उपयोग पर चिंता जताई गई है। श्री अन्न ऐसी सभी चुनौतियों के लिए समाधान प्रदान करता है।’ श्री अन्न आम तौर पर छोटे बीज वाली घासों को वर्गीकृत करने के लिए सामान्य शब्द है जिसे अक्सर पोषक अनाज कहा जाता है। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, ककून, चीना, सावा, कोदो और अन्य शामिल हैं। मोदी ने कार्यक्रम में मौजूदा विदेशी प्रतिनिधियों को भारत के मोटे अनाज से संबंधित पहलों के बारे में बताया। मोदी ने कहा कि मोटे अनाज को कम पानी में ही उगाया जा सकता है और रसायन-रहित कृषि का बड़ा आधार हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के मोटा अनाज मिशन से ढाई करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ होगा।
मिलेट्स की हिस्सेदारी कितनी है
उन्होंने कहा, ‘नेशनल फूड बास्केट में आज मोटा अनाज की हिस्सेदारी केवल पांच-छह प्रतिशत है। मैं भारत के वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों से इस हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए तेजी से काम करने का आग्रह करता हूं। हमें इसके लिए हासिल किए जा सकने योग्य लक्ष्य निर्धारित करने होंगे।’ कार्यक्रम के दौरान गुयाना, मालदीव, मौरीशस, श्रीलंका, सूडान, सूरीनाम और गाम्बिया के कृषि मंत्री भी मौजूद रहे। इनके अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।