ओवैसी के किशनगंज में दौरे के मायने, सीमांचल साधेंगे ओवैसी
किशनगंज में जनसभा
उसके बाद ओवैसी शनिवार शाम को उनका कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में बरबट्टा,कोचाधामन, भट्ठा हाट में कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। रविवार को वापसी से पहले वे बहादुरगंज विधानसभा के एलआरपी, जनता हाट, बहादुरगंज टाउन में कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। वहीं ठाकुरगंज विधानसभा में लोहागड़ा, पवाखाली, भेरिभेरी घाट, खरखरी घाट में वे पदयात्रा के बाद प्रेसवार्ता करेंगे। बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बताया कि सीमांचल के पिछड़ेपन के लिए मौजूदा सरकार कुछ नही कर पा रही है। इसी को लेकर ओवैसी सरकार को जगाने के लिए अपने तीन दिवसीय दौरे पर हैं। सीमांचल के विकास हेतु आयोग नहीं बनने का मुद्दा उठेगा। ओवैसी के नेतृत्व में सीमांचल अधिकार यात्रा का आयोजन किया जाएगा।
सियासी तापमान बढ़ा
ओवैसी के सीमांचल में आगमन को लेकर सियासी तापमान बढ़ गया है। सीमांचल के महत्व का अंदाजा अमित शाह और महागठबंधन की रैली से लगाया जा सकता है। ओवैसी बिहार सरकार पर सीमांचल में विकास नहीं होने का ठीकरा फोड़ेंगे। हालांकि सियासी जानकार मानते हैं कि ओवैसी की यात्रा सीमांचल के विकास से ज्यादा वोट कलेक्शन वाली यात्रा है। ओवैसी अपना सियासी स्वार्थ सिद्ध करने किशनगंज आ रहे हैं। AIMIM के पांच में से चार विधायक आरजेडी में जाने के बाद ओवैसी फिर से बिहार में पार्टी को खड़ा करने में लगे हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार के चुनाव में भी उन्हें अच्छी सीट मिलेगी। कम से कम सीमांचल उन्हें निराश नहीं करेगा।
ओवैसी की तैयारी पूरी
ओवैसी को मालूम है कि बंगाल से सटे सीमांचल में मुस्लिम आबादी 75 फीसदी से ज्यादा है। ओवैसी अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक प्रयोगशाला सीमांचल को ही मानते हैं। उन्होंने शुरुआत में यहां से सफलता अर्जित की। एक बार फिर उसी सीमांचल में अपनी पैठ बनाने जा रहे हैं। ओवैसी की पार्टी का जनाधार सीमांचल में अच्छा-खासा है। उन्हें अख्तरुल इमान नाम का एक ऐसा नेता सीमांचल में मिला है, जो शिक्षित और पार्टी के प्रति समर्पित भी है। पिछले लोकसभा चुनाव में ओवैसी को तीन लाख वोट मिले थे। जिसका प्रतिशत बेहतर था। वोट प्रतिशत से ओवैसी को उम्मीद जगी। उसके बाद 2020 विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी के पाच विधायक विजयी हुए। बाद में चार विधायकों ने आरजेडी का दामन थाम लिया। ये ओवैसी के लिए झटका था।