फॉक्सकॉन भारत में अब तक का सबसे बड़ा निवेश करने जा रही है।
फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लियू ने इसी हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। आठ महीने में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री से मिले हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु में बनने वाले फॉक्सकॉन के प्लांट में एपल के हैंडसेट को असेंबल किया जा सकता है। कंपनी ने हाल ही में इलेक्ट्रिक वीकल बिजनस में कदम रखा है। इस प्लांट में इसके लिए कुछ कलपुर्जे बनाए जा सकते हैं। कंपनी का यह भारत में यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा। इससे करीब एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। अब तक दुनिया में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है लेकिन जल्दी ही उससे यह तमगा छिन सकता है।
ग्लोबल चेन पर असर
एपल और अमेरिका की कई कंपनियां चीन के सप्लायर्स को भारत और वियतनाम जैसे देशों में विकल्प खोजने के लिए दबाव बना रही हैं। कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स की मौजूदा व्यवस्था में भारी बदलाव आ सकता है। यानी चीन पर ग्लोबल कंपनियों की निर्भरता कम हो सकती है। चीन में Zhengzhou में फॉक्सकॉन के प्लांट में करीब 2,00,000 कर्मचारी काम करते हैं। कोरोना का कारण इस प्लांट में प्रॉडक्शन में गिरावट आई थी। इस कारण एपल ने चीन पर निर्भरता कम करने की योजना बनाई है।
मोदी सरकार देश में इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए फाइनेंशियल इनसेंटिव दे रही है। इनमें एपल के सप्लायर भी शामिल हैं। फॉक्सकॉन ने फिचले साल तमिलनाडु में लेटेस्ट जेनरेशन के आईफोन बनाने की शुरुआत की थी। एपल के दूसरे सप्लायर्स Wistron Corp. और Pegatron Corp. ने भी भारत में प्रॉडक्शन बढ़ा दिया है। इसी तरह Jabil Inc. ने AirPods के लिए भारत में पार्ट्स बनाने शुरू कर दिए हैं। फॉक्सकॉन साथ ही भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी उतरने जा रही है। इसके लिए उसने अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता के साथ हाथ मिलाया है। दोनों कंपनियों ने पिछले साल सितंबर में गुजरात सरकार के साथ प्लांट लगाने के लिए 1,54,000 करोड़ रुपये के एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे।